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इसे समझ लीजिए वास्तु दोष खत्म हो जाएंगे।(Hindi & English)

इसे समझ लीजिए वास्तु दोष खत्म हो जाएंगे।(Hindi & English)

01. वास्तु शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई?

वास्तु कोई सामान्य शब्द नहीं है अपितु यह देव वाणी संस्कृत का एक अनमोल तकनीकी शब्द है जिसका सामान्य अर्थ निवास होता है। देव भाषा संस्कृत के वास्तु शब्द का अर्थ है कि हमारा आवास/निवास या हमारा स्वयं का घर। वास्तु का अर्थ है घर की आंतरिक ऊर्जा, हमारे निवास स्थल की अंदरूनी ऊर्जा, हमारी भूमि की या जिस भूमि पर हमारा आश्रय है उसके अनाहत की ऊर्जा, हमारे पूर्ण भवन या निवास स्थान की आंतरिक ऊर्जा। अर्थात हमारे निर्माण और स्थल की आंतरिक ऊर्जा वास्तु ऊर्जा कहलाएगी। यहां वास शब्द भी है जिसका अर्थ है कि जहां भी आश्रय प्राप्त करते हैं, कुछ समय के लिए ठहरते हैं या अपना पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। हमारे पूर्ण दैनिक जीवन में जिन भी वस्तुओं का उपयोग होता है या हमारे द्वारा जिनका प्रयोग किया जाता है, तो उन्हें रखने और स्थान देना का विज्ञान ही वास्तु कहलाता है।

02. वास्तु दोष क्या होता है?

प्राचीन सनातन वास्तु शास्त्र हमें यह सिखाता है कि हमारे आसपास पंच तत्वों, नवग्रहों, देव पदों, आंतरिक/बाह्य ऊर्जाओं का समावेश बना रहता है। अगर उसके अनुरूप नहीं चला जाता है तो हमारे दैनिक जीवन में तथा हमारे पूर्ण भाग्य पर भी व्यर्थ का संघर्ष जो हमें झेलना पड़ता है उसे ही यहां वास्तु दोष कहा गया है। अर्थात एक ऐसा अनमोल शास्त्र जिसमें यह समझाया गया कि हमें निवास स्थान का निर्माण भी ध्यान रखना है और वस्तुओं को कहां पर रखना है? अगर वस्तु या तत्व को सही स्थान दिया जायेगा तो हमारा पूर्ण जीवन संतुलित बना रहेगा।

03. क्यों आवश्यक है निर्माण में वास्तु को प्रयोग करना?

सनातन वास्तु का ज्ञान आपके घर को ब्रह्माण्ड से आने वाली सकारात्मक एवम प्राकृतिक शक्तियों के साथ जोड़ देता है। जिसका सीधा प्रभाव आपके शरीर और घर की आंतरिक ऊर्जा पर पड़ता है और आप अपने घर तथा जीवन में असीम शांति को अनुभव कर पाते हैं। आपके निवास स्थान पर उत्तम वेंटिलेशन का बने रहना, अधिक से अधिक सूर्य की प्राकृतिक रोशनी का आते रहना और घर के प्रत्येक स्थान का निर्माण केवल आंतरिक ऊर्जा के नियम को ध्यान में रखते हुए करना ही वास्तु शास्त्र के मुख्य नियमों में से एक हैं।

उदाहरण के लिए, दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में अगर आपकी रसोई है तो लाभ के तौर पर आपको बेहतर स्वास्थ्य उत्तम पाचन की शक्ति प्राप्त होगी। अपने निवास स्थान पर निर्माण से पूर्व अगर पूर्ण वास्तु शास्त्र के नियमों का ध्यान रखा जाता है तो यही सकारात्मक ऊर्जाएं आपके जीवन में आपके रोजगार और वित्तीय स्थिरता को अत्यधिक मजबूती प्रदान करती हैं। ऐसा अनुभव रहा है कि आपके निवास स्थान या रोजगार स्थान पर उत्तर दिशा जितनी अधिक व्यवस्था से पूर्ण रहेगी उतना अधिक आप अपने जीवन में उत्तम धन ऊर्जा को आकर्षित कर पाओगे। आपके परिवार की आपसी प्रेम एवम आपसी एकता भी उत्तम वास्तु ऊर्जा का ही शुभ फल है।

सभी प्रकार के वास्तु दोषों को खत्म करने के लिए 9 सरल उपाय

 

1. नित्य सुबह और शाम की संध्या के समय घर के वास्तु भगवान के नाम से देसी घी का दीपक अपने घर के ईशान कोण में जलाएं।

2. घर के मुख्य दरवाजे की दहलीज पर एक लकड़ी के टुकड़े को पूर्ण चौखट के रूप में स्थापित कर दें। इस चौथी लकड़ी पर अपनी सामर्थ्य अनुसार चांदी या तांबा भी आप लगवा सकते हैं।

3. घर के सभी सदस्यों के साथ घर की एक फोटो को घर के अंदर उस स्थान पर लगा दीजिए जहां सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते हों तथा सभी की नजर उस फोटो पर पड़ती हो।

4. नित्य संध्या पूजन के समय शंखनाद, ॐ नाद, बांसुरी नाद या ईश्वर के नाम का जयकारा या भगवान की आरती को तेज वैखारी मुद्रा में उच्चारण करना।

5. घर में नित्य झाड़ू लगाया करें तथा नित्य के पौंछे में थोड़ा सा गौमूत्र अर्क या सेंधा नमक मिलाकर ही लगाया करें।

6. अपने घर के मध्य में श्रीराम तुलसी जी को या दिव्य अशोक वृक्ष के पौधे को रखा करें तथा उनका दीप पूजन भी नित्य करा करें।

7. घर में 9 वर्ष तक की कन्याओं को पायल अवश्य पहनाएं तथा उन पायलों को हमेशा अपने धन स्थान या किसी भी पवित्र स्थान में संभाल कर रखें।

8. घर के मुख्य दरवाज़े के ऊपर बैठे हुए पंचमुखी श्री हनुमान भगवान जी का या पंचमुखी श्री गणेश भगवान जी चित्र फ्रेम करा कर उत्तम 9 मोरपंखों के आधार पर स्थापित करें।

9. घर की मुख्य छत पर कूड़ा बिल्कुल इकट्ठा नहीं होना चाहिए। अगर छत पर बाथरूम है तो उसे वहां से हटा दें या प्रयोग बिल्कुल शून्य कर दें। यह बात घर के ईशान कोण पर भी हमेशा मान्य रहेगी।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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Understand this and the Vastu defects will be eliminated. (Hindi & English)

01. Where did the word Vastu originate from?

Vastu is not a common word but it is a precious technical word of Dev Vaani Sanskrit, which generally means residence. The word Vastu in Dev Bhasha Sanskrit means our residence/residence or our own house. Vastu means the internal energy of the house, the internal energy of our place of residence, the energy of the Anahat of our land or the land on which we have shelter, the internal energy of our complete building or place of residence. That is, the internal energy of our construction and place will be called Vastu energy. Here there is also the word Vaas, which means wherever we take shelter, stay for some time or spend our entire life. Whatever things are used in our complete daily life or are used by us, the science of keeping and giving them a place is called Vastu.

02. What is Vastu Dosh?

The ancient Sanatan Vastu Shastra teaches us that there are Panch Tatvas, Navgrahas, Deva Padas, internal/external energies around us. If we do not follow them, then we have to face a useless struggle in our daily life and even on our complete destiny, which is called Vastu Dosh here. That is, such a precious scripture in which it is explained that we have to take care of the construction of the living place and where to keep the things? If the object or element is given the right place, then our complete life will remain balanced.

03. Why is it necessary to use Vastu in construction?

The knowledge of Sanatan Vastu connects your house with the positive and natural forces coming from the universe. Which has a direct effect on the internal energy of your body and house and you are able to experience immense peace in your home and life. Maintaining good ventilation in your residence, maximum natural sunlight and constructing every place in the house keeping in mind only the law of internal energy are some of the main rules of Vastu Shastra.

For example, if your kitchen is in the south-east direction, then as a benefit you will get better health and better digestion power. If the rules of Vastu Shastra are followed before construction of your residence, then these positive energies provide great strength to your employment and financial stability in your life. It has been experienced that the more orderly the north direction of your residence or place of employment is, the more you will be able to attract good wealth energy in your life. The mutual love and unity of your family is also the auspicious result of good Vastu energy.

9 simple remedies to eliminate all types of Vastu defects

1. Every morning and evening, light a lamp of desi ghee in the name of the Vastu God of the house in the northeast corner of your house.

2. Install a piece of wood on the threshold of the main door of the house in the form of a complete door frame. You can also get silver or copper installed on this fourth piece of wood according to your capacity.

3. Put a photo of the house with all the members of the house at a place inside the house where all the members sit together and eat and everyone’s eyes fall on that photo.

4. During daily evening worship, blow Shankhnaad, Om Naad, flute Naad or chant God’s name or recite God’s Aarti in a loud Vaikhari Mudra.

5. Sweep the house daily and mop the floor with a little cow urine extract or rock salt.

6. Keep Shri Ram Tulsi Ji or divine Ashok tree in the middle of your house and worship it with a lamp every day.

7. Girls up to 9 years of age should wear anklets in the house and always keep those anklets safely in your wealth place or any holy place.

8. Get a framed picture of Panchmukhi Shri Hanuman Ji or Panchmukhi Shri Ganesh Ji sitting above the main door of the house or place it on the base of 9 excellent peacock feathers.

9. Garbage should not accumulate on the main roof of the house at all. If there is a bathroom on the roof, then remove it from there or reduce its use to zero. This thing will always be valid even in the north-east corner of the house.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram