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ऐसा करेंगे तो सूर्य ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

ऐसा करेंगे तो सूर्य ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

Om-Shiva

हमारे सनातन हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में सूर्यग्रह को देवता माना गया है जिसके अनुसार, सूर्यदेव समस्त जीवों और संपूर्ण संसार के लिए आत्मा स्वरूप हैं। सूर्यदेव के द्वारा जातक को जीवन का आधार, संचालित ऊर्जा एवं शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। प्रचलित मान्यता के अनुसार सूर्यदेव महान ऋषि महर्षि श्रीकश्यप के पुत्र हैं। इनकी माताश्री का नाम अदिति होने के कारण सूर्यदेव को आदित्य नाम से भी पुकारा जाता है। ज्योतिष विद्या में सूर्यग्रह को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्यग्रह के चिकित्सीय और आध्यात्मिक लाभ को पाने के लिए लोग प्रातः जल्दी उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं। हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार रविवार का दिन सूर्यग्रह के लिए समर्पित किया गया है जोकि पूर्ण सप्ताह का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

सनातन हिन्दू ज्योतिष में सूर्यग्रह जब मकर राशि(10) में प्रवेश करते हैं तो वह प्रवेश धार्मिक कार्यों के लिए बहुत ही शुभ समय होता है। इस दौरान सभी सनातनी आत्मशांति की प्राप्ति हेतु धार्मिक कार्यों का आयोजन कराते हैं तथा सूर्यदेव की उपासना भी करते हैं। विभिन्न चंद्र राशियों में सूर्यग्रह की चाल के आधार पर ही हिन्दू पंचांग की गणना संभव हो पाती है। जब सूर्यग्रह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं तो उसे एक सौरमाह कहा जाता है। पूर्ण राशिचक्र में 12 राशियाँ होती हैं। अतः राशिचक्र को पूरा करने में सूर्यग्रह को एक वर्ष लगता है। अन्य ग्रहों की तरह सूर्यग्रह वक्री स्वभाव को कभी धारण नहीं करते हैं। सूर्यदेव हमारे जीवन में से अंधकार को नष्ट करके उसे प्रकाशित करते हैं। यह एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो हमें सदैव सकारात्मक चीज़ों की ओर प्रेरित करते रहते हैं। इनकी किरणें सभी मनुष्यों के लिए जीवनदायिनी और आशा की किरणें होती हैं। साथ ही सूर्यग्रह हमें सदैव ऊर्जावान बने रहने की प्रेरणा देते हैं। जिससे हम अपने सभी लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सदैव अनवरत रूप से कार्य करते ही रहें।

सनातन वैदिक ज्योतिष में सूर्यग्रह जन्म कुंडली में हमारे पिताश्री का प्रतिनिधित्व करते हैं। सेवाक्षेत्र की बात करी जाए तो सूर्यग्रह सरकारी या अर्धसरकारी उच्च संबंधों एवम प्रशासनिक पदों तथा हमारे समाज में मान-सम्मान को दर्शाते हैं। यह साहस से आगे बढ़कर नेतृत्व करने वाले को भी दर्शाते हैं। यदि कुंडली में सूर्यग्रह शुभता के साथ बैठे हुए हों और इनकी महादशा चल रही हो तो रविवार के दिन जातकों को अच्छे फल देखने को मिलते हैं। सूर्यग्रह एकमात्र सिंह राशि(5) के स्वामी हैं। सूर्यदेव अपने मित्र मंगलदेव की मेष राशि(1) में यह उच्च प्रभावी होते हैं तथा शत्रु शुक्रदेव की तुला राशि(7) में यह नीच प्रभावी हो जाते हैं। आइए अब जानते हैं उन 07 गलतियों के बारे में जिनके कारण आपके सूर्यग्रह हमेशा के लिए खराब भी हो सकते हैं।

07 गलतियां जो आपके सूर्य ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी

01. बहुत लंबे समय तक बगैर नित्य शुद्धि कर्म के अभाव में सुबह उठते ही बिस्तर पर ही अन्न ग्रहण करते रहना।

02. पति-पत्नी द्वारा गृहस्थी धर्म में रहते हुए भगवान सूर्यदेव का प्रकाश रहते हुए पूर्ण ब्रह्मचर्य की पालना नहीं करना।

03. अपने माता-पिता की सेवा की अवहेलना करते हुए जन्म स्थान से दक्षिण दिशा की तरफ या विदेश में जाकर स्थायी रूप से अपना निवास स्थान बना लेना।

04. राहु ग्रह की खराब दशा के चलते और आंखों की दृष्टि कमज़ोर होने के फलस्वरूप मकान या दुकान का निर्माण करवाना या पूर्वमुखी मकान या दुकान में शिफ्ट होना।

05. बहुत लंबे समय तक आसक्ति के आधार पर मृत व्यक्ति को हर क्षण याद करते हुए विलाप करना।

06. गला व मुख अधिक प्रभावित रहने पर या इनके रोग होने की दशा में अहंकारी, क्रोधी, घमंडी और जिद्दी स्वभाव को हमेशा ग्रहण करके रहना।

07. उत्तम गृहस्थी सुख की प्राप्ति के बावजूद दूसरा विवाह करना, घर में कलह करना या जर, जोरू और ज़मीन के झगड़ों में पड़ना या उनका फैसला करवाना।

– गुरु सत्यराम

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If you do this, the Sun can be damaged for life (Hindi & English)

Om-Shiva

In our Sanatan Hindu mythology, the Sun is considered a deity, according to which, the Sun is the soul of all living beings and the entire world. The Sun provides the basis of life, energy and physical strength to the person. According to popular belief, the Sun is the son of the great sage Maharshi Sri Kashyap. His mother’s name is Aditi, so the Sun is also called Aditya. In astrology, the Sun is considered the factor of the soul. To get the medical and spiritual benefits of the Sun, people wake up early in the morning and do Surya Namaskar. According to our Hindu calendar, Sunday is dedicated to the Sun, which is considered an important day of the whole week.

In Hindu astrology, when the Sun enters Capricorn (10), that entry is a very auspicious time for religious activities. During this time, all Sanatanis organize religious activities to attain inner peace and also worship the Sun. The calculation of Hindu Panchang is possible only on the basis of the movement of Sun in different lunar signs. When Sun transits from one sign to another, it is called a solar month. There are 12 signs in the complete zodiac cycle. Hence, Sun takes one year to complete the zodiac cycle. Like other planets, Sun never adopts retrograde nature. Sun God removes darkness from our life and illuminates it. It is the only planet that always inspires us towards positive things. Its rays are life-giving and rays of hope for all human beings. Also, Sun inspires us to always remain energetic. So that we always keep working continuously to achieve all our goals.

In Sanatan Vedic Astrology, Sun represents our father in the birth chart. If we talk about the service sector, then Sun represents high relations and administrative posts in government or semi-government and respect in our society. It also represents the one who leads with courage. If Suryagrah is placed auspiciously in the Kundali and its Mahadasha is going on, then the natives get to see good results on Sunday. Suryagrah is the lord of only Leo sign (5). Suryadev is highly influential in his friend Mangaldev’s Aries sign (1) and becomes lowly influential in enemy Shukradev’s Libra sign (7). Let us now know about those 07 mistakes due to which your Suryagrah can be spoiled forever.

07 mistakes that will spoil your Suryagrah forever

01. Eating food on the bed as soon as you wake up in the morning without performing daily purification rituals for a very long time.

02. Husband and wife not following complete celibacy while living in the household Dharma while Lord Suryadev is in the light.

03. Ignoring the service of your parents, going from the birthplace towards the south or abroad and making your permanent residence.

04. Due to bad condition of Rahu planet and weak eye sight, getting a house or shop constructed or shifting to an east facing house or shop.

05. Lamenting remembering the dead person every moment for a very long time on the basis of attachment.

06. If the throat and mouth are more affected or in case of their disease, then always adopting an egoistic, short-tempered, proud and stubborn nature.

07. Despite getting good domestic happiness, getting married for the second time, creating quarrels in the house or getting involved in disputes related to money, wife and land or getting them decided.

– Guru Satyaram