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Tag: solah somvaar ke vrat kaise dharan kare

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घर बैठे भगवान शिव को प्रसन्न करें (Hindi & English)

घर बैठे भगवान शिव को प्रसन्न करें (Hindi & English)

Om-Shiva

देवों के देव महादेव – ईश्वरीय कृपा प्राप्ति का वह मार्ग जिस पर चलने वाला साधक सदैव प्रसन्न बना रहता है। क्योंकि जब कोई नहीं था तब भी शिव थे, और जब कोई नहीं रहेगा तब भी शिव रहेंगे। महादेव जिनका ना आदि है और ना अंत। वैसे तो महादेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत अधिक उपायों की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन महादेव की प्रसन्नता प्राप्ति में भक्त की शुद्ध भावना ही सब उपायों में आवश्यक एवम श्रेष्ठ मानी जाती है। शिवलिंग पर मात्र जल अर्पण करने से ही महादेव कृपा बरसाने लग जाते हैं।

अपने साधना काल के आरंभिक दौर में मैने यह जाना कि श्रीमद भगवत गीताजी के 18 अध्यायों का नित्य पाठ करना भी महादेव की कृपा प्राप्ति का एक सरल मार्ग है। और जब एक साधक महात्म्य के साथ 18 अध्यायों का अध्ययन करता है तो भक्त के बहुत सारे कष्ट महादेव काट देते हैं। मेरे निजी अनुभव में श्री गीताजी के 18 अध्यायों में से 10वें अध्याय का जो महात्म्य है उसमे एक पक्षी के द्वारा महादेव की स्तुति का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है। अनुभव अनुसार इस स्तुति को जो भी भक्त अपने नित्य पूजन में शामिल कर लेता है तो वह महादेव का कृपापात्र बना रहता है। आप भी इस सरल स्तुति के द्वारा महादेव का पूजन अवश्य कीजियेगा।

घर बैठे भगवान शिव को प्रसन्न करें इस सरल प्रार्थना द्वारा

।।ॐ नमः शिवाय।।

महादेव! आपकी जय हो। आप चिदानंदमयी सुधा के सागर तथा जगत के पालक हैं। सदा सद्भावना से युक्त एवम् अनासक्ति की लहरों से उल्लसित हैं। आपके वैभव का कहीं अंत नहीं है। आपकी जय हो। अद्वैत वासना से परिपूर्ण बुद्धि के द्वारा आप त्रिविध मलों से रहित हैं। आप जितेंद्रिय भक्तों के अधीन रहते हैं तथा ध्यान में आपके स्वरूप का साक्षात्कार होता है। आप अविद्यामय उपाधि से रहित, नित्यमुक्त, निराकार, निरामय, असीम, अहंकार शून्य, आवरण रहित और निर्गुण हैं।

आपके चरणकमल शरणागत भक्तों की रक्षा करने में प्रवीण हैं। अपने भयंकर ललाट रूपी महासर्प की विष ज्वाला से आपने कामदेव को भस्म किया है। आपकी जय हो। आप प्रत्यक्ष आदि प्रमाणों से दूर होते हुए भी प्रामाणय स्वरूप हैं। आपको बार-बार नमस्कार है। चैतन्य के स्वामी तथा त्रिभुवनरूपधारी आपको प्रणाम है। मैं श्रेष्ठ योगियों द्वारा चुंबित आपके उन चरण-कमलों की वंदना करता हूं, जो अपार भव-पाप के समुद्र से पार उतारने में अद्भुत शक्तिशाली हैं। महादेव! साक्षात बृहस्पति भी आपकी स्तुति करने की धृष्टता नहीं कर सकते। सहस्त्र मुखों वाले नागराज शेष में भी इतनी चातुरी नहीं है कि वे आपके गुणों का वर्णन कर सकें। फिर मेरे-जैसे छोटी बुद्धि वाले पक्षी की तो बिसात ही क्या है।

।।ॐ नमः शिवाय।।

– गुरु सत्यराम

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Make Lord Shiva happy at home (Hindi & English)

Om-Shiva

Mahadev, the God of Gods – the path of attaining divine grace on which the devotee remains happy always. Because when there was no one, Shiva was there, and when there will be no one, Shiva will remain there. Mahadev has no beginning and no end. Although, many measures are not required to please Mahadev, but the pure feelings of the devotee are considered essential and best among all measures to please Mahadev. Mahadev starts showering his blessings just by offering water on Shivling.

In the initial phase of my Sadhana period, I came to know that daily recitation of 18 chapters of Shrimad Bhagwat Geeta is also an easy way to attain the grace of Mahadev. And when a devotee studies 18 chapters along with Mahatmya, then Mahadev removes many of the troubles of the devotee. In my personal experience, the greatness of the 10th chapter out of the 18 chapters of Shri Geeta Ji, has a very beautiful description of the praise of Mahadev by a bird. According to experience, any devotee who includes this praise in his daily worship remains blessed by Mahadev. You too must worship Mahadev with this simple praise.

Please Lord Shiva at home with this simple prayer

।।Om Namah Shivaya।।

Mahadev! Victory to you. You are the ocean of nectar of bliss and the protector of the world. You are always filled with good will and are delighted with the waves of detachment. There is no end to your glory. Victory to you. With a mind full of non-dual desires, you are free from the three types of impurities. You remain under the control of the devotees who have controlled their senses and your form is realized in meditation. You are devoid of the title of ignorance, eternally free, formless, disease-free, infinite, devoid of ego, without cover and without attributes.

Your feet are expert in protecting the devotees who surrender to you. You have destroyed Kamadeva with the poisonous flame of the great serpent in the form of your fierce forehead. Victory to you. Even though you are far from direct evidence etc., you are the embodiment of authenticity. Salutations to you again and again. Salutations to you, the master of consciousness and the form of the three worlds. I worship your feet kissed by the best yogis, which are amazingly powerful in helping one cross the infinite ocean of worldly sins. Mahadev! Even Brihaspati himself cannot dare to praise you. Even the thousand-headed serpent king Shesh does not have the intelligence to describe your qualities. Then what is the status of a bird with a small intellect like me.

।।Om Namah Shivay।।

– Guru Satyaram