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Tag: shukra grah ki majbuti ke liye kaun sa rattan pehne

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ऐसा करेंगे तो शनि ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

ऐसा करेंगे तो शनि ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

न्याय के स्वामी कहे जाने वाले शनिदेव जातक की लग्न कुंडली में मौजूद बारह भावों पर बहुत ही सटीक लेकिन काफी धीमा प्रभाव डालते हैं। शनिदेव कुंडली में जहां बैठते हैं और जहां पर अपनी सीधी दृष्टि डालते हैं उसका बहुत ही सटीक प्रभाव हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर अवश्य पड़ता है। वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को एक क्रूर ग्रह के तौर पर देखा जाता है। यदि जातक की लग्न कुंडली में शनि ग्रह की स्तिथि मजबूत होती है तो जातक को इसके काफी अच्छे और सुखद प्रभाव स्थिरता के साथ में देखने को मिलते हैं। और दूसरी तरफ अगर का जातक की लग्न कुंडली में शनिदेव थोड़े भी टेढ़े होकर बैठ जायेंगे तो जातक अपनी पूर्ण जिंदगी में संघर्ष भी देखता है तथा भाग्य भी उसका साथ नहीं देता है। इसलिए हर प्रकार से शनिदेव का विराजना और दृष्टि सभी जातकों के जीवन पर अपना गहरा प्रभाव बनाकर रखती है।

सनातन वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का बहुत ही बड़ा महत्व है। ज्योतिष विद्या में शनि ग्रह को लंबी आयु, स्थाई दुःख, लंबी चलने वाली बीमारियां, मानसिक पीड़ाएं, सूक्ष्म विज्ञान, तकनीकी मस्तिष्क, लोहा धातु, कच्चा खनिज तेल, हर प्रकार के कर्मचारी, हर प्रकार की सेवा देने वाले सेवक, जेल यात्रा आदि का स्थाई कारक माना जाता है। शनिदेव को मकर राशि(10) और कुंभ राशि(11) का स्वामित्व प्राप्त है। शुक्रदेव की तुला राशि(7) शनिदेव की उच्च राशि है तथा मंगलदेव की मेष राशि(1) में जाते ही यह नीच प्रभावी हो जाते हैं। क्योंकि शनिदेव की चाल सभी ग्रहों में सर्वाधिक धीमी है इसलिए शनि ग्रह का गोचर किसी भी राशि में ढ़ाई वर्ष तक बना रहता है। ज्योतिष विद्या में शनिदेव की ढाई वर्ष की ढैया और साढ़े सात वर्ष की साढ़ेसाती बहुत चर्चित है। शनिदेव की टेढ़ी दृष्टि और ढैया एवम साढ़ेसाती का भय अधिकांश जातकों में अक्सर देखा जाता है। जबकि ज्ञान आधार पर शनिदेव सर्वाधिक कल्याण करने वाले ग्रह हैं। वह तो बस का कर्मों का सीधा फल प्रदान करते हैं।

नक्षत्रों में शनिदेव पुष्य नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। शनिदेव जब भी साढ़ेसाती के रूप में किसी जातक के जीवन में प्रवेश करते हैं तो आने वाली तिथि से 06 माह पूर्व ही अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देते हैं। तथा जाने वाली तिथि के 06 माह पश्चात ही अपना पूर्ण प्रभाव उस स्थान से छोड़ते हैं। शनिदेव को समझना हैं और उनकी कृपा का रसपान करते रहना है तो केवल अपने कर्मों पर ध्यान देना शुरू कर दो। जहां तुम्हारें अंदर अहंकार ने बीजारोपण किया तो तुरंत ही शनिदेव की न्याय प्रक्रिया तुम पर लागू होनी शुरू हो जाएगी। यह बात अच्छे से समझ लीजिए कि शनिदेव केवल कर्मों का फल प्रदान करने वाले ग्रह हैं। अर्थात जैसे कर्मों का जमावड़ा रहेगा वैसे फलों का आना भी अटल है। आइए अब जानते हैं कि वो कौन सी गलतियां हैं जिसके कारण आपके शनि ग्रह हमेशा के लिए खराब भी हो सकते हैं।

7 गलतियां जो आपके शनि ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी

01. शयन करने वाले कमरे में और सोने वाले बिस्तर पर बैठकर बहुत लंबे समय तक अन्न ग्रहण करते रहना।

02. अगर विवाह अग्नि को साक्षी मानकर किया गया है और इसको ध्यान में रखते हुए परस्त्री से संबंध रखना।

03. बहुत अधिक बाल झड़ने पर तथा बहुत अधिक आंखो की दृष्टि कमजोर होने पर लगातार खड़े होकर स्नान करते रहना।

04. स्वयं का मकान बनवाते समय अपने ही मजदूरों पर हाथ उठाना और अपशब्द कहना और उनकी मजदूरी समय पर नहीं देना।

05. किसी भी शुभ तिथि या भगवान के जन्मोत्सव पर या किसी भी तीज-त्यौहार के समय पति-पत्नी द्वारा पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य की पालना नहीं करना।

06. चोरी करना, ईमानदारी का अभाव, दूसरों के विपरीत समय का मजाक उड़ाना, ईश्वर के धन स्थान, समाज के धन स्थान का प्रयोग अपने निजी स्वार्थ के लिए करना।

07. अपनी धर्म पत्नी, संतान, माता-पिता की सेवा और संतुष्टि के अभाव में हमेशा घर से बाहर व्यर्थ में लोगों की दिखावटी सेवा में लगे रहना।

-गुरु सत्यराम

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If you do this, Saturn can be bad for your entire life (Hindi & English)

Shani Dev, who is called the lord of justice, has a very precise but very slow effect on the twelve houses present in the native’s Lagna Kundali. Wherever Shani Dev sits in the Kundali and wherever he casts his direct gaze, it definitely has a very precise effect on our direct life. In Vedic astrology, Saturn is seen as a cruel planet. If the position of Saturn is strong in the native’s Lagna Kundali, then the native gets to see its very good and pleasant effects with stability. And on the other hand, if Shani Dev sits even slightly crookedly in the native’s Lagna Kundali, then the native sees struggle in his entire life and luck also does not support him. Therefore, in every way, the sitting and sight of Shani Dev keeps its deep effect on the life of all the natives.

Saturn has a very big importance in Sanatan Vedic astrology. In astrology, Saturn is considered to be the permanent factor of long life, permanent sorrow, long lasting diseases, mental pains, subtle science, technical brain, iron metal, crude mineral oil, all types of employees, servants providing all types of services, jail visits etc. Shani Dev has ownership of Capricorn (10) and Aquarius (11). Venus’s Libra sign (7) is Shani Dev’s exalted sign and as soon as Mars goes to Aries sign (1), it becomes lowly influential. Because Shani Dev’s speed is the slowest among all planets, therefore, Saturn’s transit remains in any sign for two and a half years. In astrology, Shani Dev’s two and a half years of Dhaiya and seven and a half years of Sadesati are very famous. Shani Dev’s crooked vision and fear of Dhaiya and Sadesati is often seen in most of the people. Whereas on the basis of knowledge, Shani Dev is the most beneficial planet. He simply provides direct results of deeds.

Among the nakshatras, Shanidev is the lord of Pushya nakshatra, Anuradha nakshatra and Uttarabhadrapada nakshatra. Whenever Shanidev enters the life of a person in the form of Sadhesati, he starts showing his effect 6 months before the coming date. And he leaves his full effect from that place only 6 months after the leaving date. If you want to understand Shanidev and keep enjoying his blessings, then start focusing on your deeds. Wherever ego sows seeds inside you, the justice process of Shanidev will immediately start getting applied on you. Understand this thing well that Shanidev is only the planet that gives the fruits of deeds. That is, as the deeds keep piling up, the fruits are also inevitable. Let us now know what are those mistakes due to which your Saturn can get spoiled forever.

7 mistakes that will spoil your Saturn forever

01. Eating food for a long time while sitting in the bedroom and on the bed.

02. If the marriage has been done with fire as a witness, then keeping this in mind, having relations with another woman.

03. If there is excessive hair fall and eyesight is very weak, then continuously taking bath while standing.

04. While building one’s own house, raising hands on one’s own workers and using abusive language and not paying their wages on time.

05. Husband and wife not observing celibacy completely on any auspicious date or on the birthday of God or on any festival.

06. Stealing, lack of honesty, making fun of others’ adverse times, using God’s wealth place, society’s wealth place for personal gain.

07. Always being engaged in useless service to people outside the home in a superficial manner due to lack of service and satisfaction to one’s wife, children, parents.

-Guru Satyaram

ऐसा करेंगे तो शुक्र ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

ऐसा करेंगे तो शुक्र ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

Om-Shiva

हमारे वैदिक ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है। इसकी शुभता के प्रभाव से जातक को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। इसलिए ज्योतिष विद्या में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास के सुख, समाज में शौहरत, कला में निपुणता, प्रतिभावान, सौन्दर्य से परिपूर्ण, रोमांस में रुचि, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग जैसे क्षेत्रों का कारक माना जाता है। शुक्र वृषभ राशि(2) और तुला राशि(7) का स्वामी होते हैं, और मीन राशि(12) इनकी उच्च राशि है, जबकि कन्या राशि(6)इसकी नीच राशि कही गई है। शुक्र ग्रह को 27 नक्षत्रों में से भरणी नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। नवग्रहों में बुध ग्रह और शनि ग्रह शुक्र ग्रह के परम मित्र ग्रह माने जाते हैं तथा सूर्य ग्रह और चंद्रमा ग्रह शुक्र ग्रह के परम शत्रु ग्रह माने जाते हैं। शुक्र ग्रह का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है। अर्थात शुक्र ग्रह एक राशि में क़रीब 23 दिन तक विराजमान बने रहते हैं।

आइए अब सबसे पहले बात करते हैं कि, शुक्र ग्रह का एक सामान्य मानव शरीर की संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है? ज्योतिष विद्या के विज्ञान अनुसार शुक्र ग्रह जिस किसी जातक की कुंडली में लग्न भाव(प्रथम) में विराजमान होते हैं वह जातक रूप-रंग से बेहद सुंदर व आकर्षक दिखता है। जातक का व्यक्तित्व कुछ ऐसा बना रहता है कि वह विपरीत लिंग के जातकों को अपनी तरफ आकर्षित करता रहता है। अच्छी बात यह रहती है कि जातक का स्वभाव मृदुभाषी बना रहता है। कुंडली के लग्न स्थान पर शुक्रदेव का विराजना अर्थात जातक का मन कला के क्षेत्र के प्रति रूचिवान बना रहता है।

 

वैदिक ज्योतिष विद्या के अनुसार यदि शुक्र ग्रह लग्न कुंडली में प्रभावी एवम मजबूत स्थिति में बना हुआ है तो जातक का वैवाहिक जीवन प्रेम से पूर्ण एवम सुखमयी बना रहता है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत हैं तो आपको भी यह अनुभव अवश्य हुआ होगा कि आपका भी प्रेमपक्ष काफी उत्तम बना रहता है। शुक्र ग्रह पति और पत्नी के बीच प्रेम की भावना को बढ़ाता है तथा प्रेम करने वाले जातकों के जीवन में रोमांस की ऊर्जा में वृद्धि करता है। जातक भौतिक जीवन में उच्च की रूचि रखता है तथा उच्च के भोगों का सुख भी प्राप्त करता है।

यदि जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह बलहीन स्थिति में हो या किसी क्रूर ग्रह के साथ प्रतिकूल स्थिति में बैठा हो या किसी पाप ग्रह की सीधी दृष्टि शुक्र ग्रह पर पड़ रही हो या शुक्र ग्रह नीच प्रभावी हो गए हों तो ऐसी स्तिथि में जातक को परिवार व प्रेम के क्षेत्र में काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। शुक्र ग्रह के अति कमजोर होने पर जातक बहुत ज्यादा प्रैक्टिकल और काफी कम रोमांटिक हो सकता है। इसके साथ ही जातक प्रेम और वैवाहिक जीवन में भी काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव से गुजरता है तथा इसी के चलते पति और पत्नी के मध्य मतभेद होते ही रहते हैं। अकारण ही विवाद उत्पन्न होना या कुछ भी ऐसा होना जिसके कारण जातक का वैवाहिक सुख भी क्षीण बना रहता है तथा जातक इतना अधिक परेशान बना रहता है कि वह भौतिक सुखों को भी भोग नहीं पाता है। आइए अब जानते हैं कि वो कौन सी गलतियां हैं जिसके कारण आपके शुक्र ग्रह आजीवन हेतु खराब भी हो सकते हैं।

7 गलतियां जो आपके शुक्र ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी

01. पूर्ण ब्रह्मचर्य की पालना के अभाव में लक्ष्मीजी से संबंधित संकल्पित भक्ति मार्ग में आगे बढ़ना।

02. स्त्रीवर्ग का उचित सम्मान नहीं करना। व्यर्थ में घर की स्त्रियों को कोसना तथा अपशब्द कहते रहना और धर्म पत्नी पर हाथ उठाना।

03. घर की स्त्रियों का हमेशा कर्कश वाणी में ही बात करना। सांझ की संध्या पश्चात या रात्रि के समय घर की स्त्री का निरर्थक शिकायतें करना या कलह करते ही रहना।

04. माता-पिता की आत्मा दुखाकर विवाह करना या विवाह पश्चात किसी भी रूप में माता-पिता की अवहेलना करना।

05. घर की स्त्री का बहुत लंबे समय तक जमीन पर नंगे पांव चलते रहना और पूर्ण एवम् उत्तम श्रृंगार नहीं करना।

06. गृहस्थी में रहते हुए धर्म से संबंधित कार्यों में धर्मपत्नी का हाथ नहीं लगवाना और जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों में धर्मपत्नी की सलाह नहीं लेना।

07. नवविवाहित जोड़े के कमरे में मंदिर का होना, भगवान और गुरुदेव का कोई भी चित्र या पेंटिंग का होना और जिस भी कमरे में गुरुदेव या भगवान का चित्र हो वहां पर स्त्रियों का कपड़े बदलना।

-Guru SatyaRam

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If you do this, Venus can be bad for your whole life (Hindi & English)

Om-Shiva

According to our Vedic astrology, Venus is considered an auspicious planet. Due to its auspiciousness, the native gets material, physical and marital happiness. Therefore, in astrology, Venus is considered to be the factor of material happiness, marital happiness, pleasure of pleasure, fame in society, proficiency in art, talent, beauty, interest in romance, lust and fashion designing. Venus is the lord of Taurus (2) and Libra (7), and Pisces (12) is its exalted sign, while Virgo (6) is said to be its debilitated sign. Out of the 27 constellations, Venus owns Bharani constellation, Purva Phaguni constellation and Purvashada constellation. Among the nine planets, Mercury and Saturn are considered to be the best friends of Venus, while the Sun and Moon are considered to be the worst enemies of Venus. The transit of Venus lasts for a period of 23 days. That is, Venus remains in one zodiac sign for about 23 days.

Now let us first talk about what effect Venus has on the structure of a normal human body? According to the science of astrology, the person in whose horoscope Venus is situated in the ascendant house (first) looks very beautiful and attractive in appearance. The personality of the person remains such that he keeps attracting people of the opposite sex. The good thing is that the nature of the person remains soft-spoken. The presence of Shukradev in the ascendant place of the horoscope means that the mind of the person remains interested in the field of art.

According to Vedic astrology, if Venus is in an effective and strong position in the ascendant horoscope, then the married life of the person remains full of love and happiness. If Venus is strong in your horoscope, then you must have also experienced that your love side also remains very good. Venus increases the feeling of love between husband and wife and increases the energy of romance in the life of the natives in love. The native has a high interest in material life and also enjoys the pleasures of high pleasures.

If Venus is weak in the native’s horoscope or is sitting in an unfavorable position with a cruel planet or a sinful planet is directly looking at Venus or Venus has become lowly influential, then in such a situation the native may have to face many problems in the field of family and love. If Venus is very weak, the native may be very practical and very less romantic. Along with this, the native also goes through a lot of ups and downs in love and married life and due to this, differences keep occurring between husband and wife. Disputes arising without any reason or anything due to which the marital happiness of the native also remains weak and the native remains so troubled that he is not able to enjoy even material pleasures. Let us now know what are those mistakes due to which your Venus can get spoiled for life.

7 mistakes that will spoil your Venus forever

01. Moving forward on the path of devotion related to Lakshmiji without following complete celibacy.

02. Not giving proper respect to women. Cursing and using foul language against the women of the house for no reason and raising hand on the wife.

03. The women of the house always talking in a harsh voice. The woman of the house making useless complaints or quarreling after dusk or at night.

04. Getting married by hurting the spirit of the parents or ignoring the parents in any form after marriage.

05. The woman of the house walking barefoot on the ground for a very long time and not doing complete and perfect makeup.

06. While living in the household, the wife should not be involved in religious activities and the wife should not be consulted in important decisions of life.

07. There should not be a temple in the room of the newly married couple, any picture or painting of God and Gurudev and women should change clothes in the room where there is a picture of Gurudev or God.

-Guru SatyaRam