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पापांकुशा एकादशी एक विस्तृत परिचय (Hindi & English)

पापांकुशा एकादशी एक विस्तृत परिचय (Hindi & English)

Om-Shiva

01. क्या होती है पापांकुशा एकादशी?

वर्षभर की सभी एकादशियों में से एक पापांकुशा एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है, यह एकादशी व्यक्ति के समस्त पाप कर्मों पर अंकुश लगाकर उन्हें पापों से मुक्त करती है। इस एकादशी का वर्णन श्रीभागवत पुराण, श्री ब्रह्मवैवर्त पुराण और पवित्र महाभारत ग्रन्थ में भी आता है। इस एकादशी में भगवान श्रीहरि विष्णुजी के पाप मोचन रूप की पूजा और उपासना की जाती है तथा उपवास भी रखा जाता है।

02. कब मनाई जाती है पापांकुशा एकादशी?

यह एकादशी आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में यह दिनांक 13 अक्टूबर, रविवार को मनाई जायेगी। वैष्णव सम्प्रदाय के लोग दिनांक 14 अक्टूबर को यह एकादशी मनाएंगे।

03. पापांकुशा एकादशी का महात्म्य क्या है?

इस व्रत की गाथा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से युधिष्ठिर को सुनाई गई है। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि, हजारों वर्ष की तपस्या से भी जो पुण्य और फल नहीं मिलता वहनामष्ट पुण्यफल मात्र यह एकादशी व्रत को करने से मिल जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत हज़ार अश्वमेघ और सौ सूर्य यज्ञों को करने के समान फल देने वाली बताई गई है। जो भी यह व्रत, उपवास, पूजन और जागरण इत्यादि करता है वह सभी पाप कर्मों से मोक्ष प्राप्त करके बैकुंठ लोक को जाता है और उसे श्रीहरि विष्णुजी अपनी शरण में ले लेते हैं। एकादशी जीवों के जीवन के परम लक्ष्य अर्थात भगवत प्राप्ति में बहुत ही सहायक होती है।

04. पापांकुशा एकादशी पूजन का विधि-विधान क्या है?

एकादशी तिथि के दिन प्रातः जल्दी उठकर, नित्य कर्मों से निवृत होकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखकर कलश की स्थापना करें तथा पूजन और व्रत का संकल्प लें। फिर धूप, दीप, पुष्प, पीले अक्षत, फल, नारियल और नैवेद्य आदि से पूजन करें। भगवान की झांकी के निकट भजन, कीर्तन, रात्रि जागरण आदि करके श्रीहरि के पावन नाम का जप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी अति शुभ फलदायी होता है। पूजन के पश्चात योग्य कर्मकांडी ब्राह्मण को सामर्थ्य अनुसार दान, दक्षिणा, भोजन, भेंट आदि अवश्य देना चाहिए। भगवान के उपवास में अन्न और नमक का प्रयोग निषेध रहता है। जो लोग पूर्ण उपवास नहीं रख सकते वें एक समय का फलाहार करके भी पूजन कर सकते हैं।

05. पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा क्या है?

पौराणिक काल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नाम का एक महाक्रूर बहेलिया रहता था। जो बहुत निर्दयता पूर्वक पशु-पक्षियों का शिकार करता था। जब उसके जीवन का अंत समय आया तो यमराज ने यमदूतों को उसे लाने की आज्ञा दी। यमदूतों नें उसे यह बात उसकी मृत्यु से बहुत पहले ही बता दी थी। तब बहेलिए को अपने पाप कर्मों का अहसास हुआ और नर्क में जाने के भय से वह कांपने लगा। मृत्यु के डर से वह भटकते हुए अंगिरा ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। उसे यमलोक में नर्क नहीं भुगतना पड़े, इससे रक्षा के लिए वह अंगिरा ऋषि से प्रार्थना करने लगा। तब अंगिरा ऋषि ने उसे आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के पूजन और उपवास का मार्ग दिया। उनके अनुसार बताए व्रत और पूजन करने से वह अपने सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को चला गया।

प्रिय पाठकों, उपर्युक्त आलेख में मैंने आपको पापांकुशा एकादशी की संक्षिप्त जानकारी दी है। आशा करती हूँ कि आपको यह जानकारी पसन्द आई होगी। कृपया एक कमेंट के ज़रिए अपनी राय अवश्य दें।

आभार और धन्यवाद।

-ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Papankusha Ekadashi: A detailed introduction (Hindi & English)

Om-Shiva

01. What is Papankusha Ekadashi?

Among all the Ekadashis of the year, Papankusha Ekadashi is considered very important. As the name suggests, this Ekadashi curbs all the sins of a person and frees them from sins. This Ekadashi is also described in Shri Bhagwat Purana, Shri Brahmavaivarta Purana and the holy Mahabharata Granth. In this Ekadashi, the sin-free form of Lord Shri Hari Vishnu is worshiped and fasting is also observed.

02. When is Papankusha Ekadashi celebrated?

This Ekadashi is celebrated on the Ekadashi date of Shukla Paksha of Ashwin month. This year in 2024, it will be celebrated on 13 October, Sunday. People of Vaishnav sect will celebrate this Ekadashi on 14th October.

03. What is the significance of Papankusha Ekadashi?

The story of this fast has been narrated to Yudhishthira by Lord Krishna. Lord Krishna says that the virtue and fruit that cannot be obtained even by thousands of years of penance, can be obtained by merely observing this Ekadashi fast. Lord Vishnu is worshipped on this day. The fast of Papankusha Ekadashi is said to give the same fruit as performing thousand Ashvamedha and hundred Surya Yagyas. Whoever observes this fast, fasting, worship and vigil etc., attains salvation from all sinful deeds and goes to Vaikunth Lok and Shri Hari Vishnuji takes him under his shelter. Ekadashi is very helpful in attaining the ultimate goal of the life of the living beings i.e. Bhagwat.

04. What is the ritual of Papankusha Ekadashi worship?

On the day of Ekadashi, wake up early in the morning, finish your daily chores, place an idol or picture of Lord Vishnu, install a Kalash and take a pledge to worship and fast. Then worship with incense, lamp, flowers, yellow rice, fruits, coconut and offerings etc. Chant the holy name of Shri Hari by doing bhajan, kirtan, night vigil etc. near the tableau of the Lord. Reciting Vishnu Sahasranama is also very auspicious and fruitful. After worship, one must give donations, dakshina, food, gifts etc. to a capable ritualistic Brahmin according to one’s ability. The use of food and salt is prohibited in the fast of God. Those who cannot keep a complete fast can also worship by eating fruits once a day.

05. What is the story of Papankusha Ekadashi fast?

In ancient times, a very cruel hunter named Krodhan lived on Vindhya mountain. He used to hunt animals and birds very mercilessly. When the end of his life came, Yamraj ordered the messengers of Yamraj to bring him. The messengers of Yamraj had told him this much before his death. Then the hunter realized his sins and started trembling in fear of going to hell. Out of fear of death, he wandered and reached the ashram of sage Angira. He started praying to sage Angira to protect him so that he does not have to suffer hell in Yamalok. Then sage Angira gave him the way to worship and fast for Lord Vishnu on Ekadashi Tithi of Shukla Paksha of Ashwin month. By fasting and worshiping as per his instructions, he got free from all his sins and went to Vishnu Lok.

Dear readers, in the above article I have given you a brief information about Papankusha Ekadashi. I hope you liked this information. Please give your opinion by commenting.

Gratitude and thanks.

-Astro Richa Srivastava