ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 01 (Hindi & English)
Om-Shiva
ऐसा कहते हैं कि शरीर में रोगों की, धनवान को भोगों की और ज्योतिष में योगों की कोई कमी नहीं है। योग का अर्थ होता है जुड़ना या संयुक्त होना। जब कोई ग्रह जन्मपत्री में किसी घर में स्थित होता है, या किसी ग्रह पर दृष्टि डालता है, अथवा एक दूसरे से किसी खास दूरी पर बैठता है, तब उनका यह सम्बन्ध या युति किसी खास परिणाम को इंगित करता है। इसे ही योग कहते हैं।
आइए, आज हम चर्चा करते हैं सूर्यग्रह और चन्द्रग्रह से बनने वाले कुछ प्रमुख योगों की। नवग्रहों की व्यवस्था में सूर्यदेव को ग्रहों का राजा और चंद्रदेव को रानी का दर्ज़ा प्राप्त है। सूर्यदेव जहां आत्मकारक ग्रह है, वहीं चंद्रमाग्रह को मन का स्वामी या मन का कारक ग्रह माना गया है। जहां सूर्य राजा, पिता और शासन को इंगित करते हैं, वहीं चंद्रमा जनता, माता और पोषण-सेवा को प्रस्तुत करते हैं।
सबसे पहले हम जानते हैं सूर्यग्रह द्वारा निर्मित होने वाले प्रमुख योगों को।
01. वेशि योग
यदि सूर्य से द्वितीय भाव में चंद्रमा को छोड़कर अन्य कोई भी ग्रह हों तो यह योग बनता है। यदि सूर्य से दूसरे घर में कोई शुभ ग्रह विराजमान हो तो शुभ वेशि योग बनता है। ऐसा व्यक्ति देखने मे सुंदर, आकर्षक और धर्मिक स्वभाव वाला, नेतृत्व प्रधान व्यक्ति होता है। जब सूर्य से दूसरे घर में कोई अशुभ ग्रह बैठता है तब अशुभ वेशि योग बनता है। ऐसा जातक देखने में अनाकर्षक, झूठ बोलने वाला, और निम्न मानसिकता वाला होता है।
02. वाशी योग
यदि सूर्य से, बारहवें घर में चंद्रमा को छोड़कर कोई अन्य ग्रह बैठता है तो वाशी योग बनता है। यदि कोई शुभ ग्रह हो तो शुभ वाशी और कोई अशुभ ग्रह हो तो अशुभ वाशी योग बनता है। शुभ वाशी योग वाला जातक भी अच्छे स्तर का गुणवान, प्रसिद्ध और लोकप्रिय होता है। जबकि अशुभ वाशी वाला जातक दुष्ट प्रकृति का और बात-बात में कुतर्क करने वाला व्यक्ति होता है। अभिमान की मात्रा अधिक रहती है।
03. उभयचरी योग
जब सूर्य से दूसरे और बारहवें भाव में (चंद्रमा के अलावा) अन्य ग्रह बैठे हों तो उभयचरी योग बनता है। इसमें भी 02 श्रेणियां हैं। शुभ और अशुभ उभयचरी। यदि सूर्य के दोनों तरफ शुभ ग्रह हों तो शुभ उभयचरी योग बनता है। ऐसे जातक सुविख्यात, धनवान और लोकप्रिय व्यक्ति होते हैं। जीवन में सुखी रहते हैं। यदि सूर्य से दोनों तरफ अशुभ ग्रह हों तो अशुभ उभयचरी का निर्माण होता है। ऐसे जातक कम पढेलिखे, दुःखी और दुर्भाग्यशाली होते हैं। अक्सर उन पर झूठे दोषारोपण लगते हैं।
आइए अब हम जानते हैं चंद्रग्रह द्वारा निर्मित होने वाले प्रमुख योगों को।
01. गजकेसरी योग
जब चंद्रमा से बृहस्पति केंद्र स्थान अर्थात प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। यह योग संपूर्ण जीवन में यश देता है, व्यक्ति को प्रभावशाली बनाता है, सुखी, साधन संपन्न जीवन देता है। और राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र में नेता बनाता है।
02. अधियोग
जब सभी स्वभाविक शुभ ग्रह चंद्रमा से षष्ठम, सप्तम और अष्टम भाव में हों हो तो चंद्र अधियोग बनता है। ऐसे जातक सुखी, शत्रुहीन, उच्च पद पर प्रतिष्ठित, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले और दीर्घायु होते हैं। लेकिन यहां पर शर्त यह है कि शुभ ग्रहों को अस्त या वक्री नहीं होना चाहिए। यहां स्वाभाविक शुभ ग्रहों से तात्पर्य बुध, शुक्र और बृहस्पति से है।
03. सुनफा योग
यदि चंद्रमा से द्वितीय भाव में कोई ग्रह नहीं हो तथा द्वितीय भाव में सूर्य, राहु, केतु के अतिरिक्त अर्थात मंगल, बुध बृहस्पति, शुक्र या शनि में से कोई एक ग्रह उपस्थित हो तो सुनफा योग बनता है। इस योग वाला जातक तीक्ष्ण बुद्धिशाली, प्रसिद्ध, धनवान और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है।
04. अनफा योग
सूर्य के अतिरिक्त यदि दो या दो से अधिक ग्रह चंद्रमा से द्वादश घर में हो तो अनफा योग बनता है। ऐसे योग वाले जातक को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और उसका स्वभाव मिश्रित होता है, यानी उसमें सगुण और दुर्गुण बराबर मात्रा में पाए जाते हैं।
05. दुरूधरा योग
यदि चंद्रमा से द्वितीय व द्वादश दोनों भावों में सूर्य, राहु, केतु के अतिरिक्त पांच ग्रह (मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र या शनि) में से कोई उपस्थित हो तो दुरुधरा योग बनता है। ऐसे योग वाला व्यक्ति आत्मत्यागी, दूसरों की सेवा करने वाला, धनी और सुख सुविधा संपन्न होता है।
06. केमद्रुम योग
यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों ही भाव में कोई भी ग्रह मौजूद न हो, तो केमद्रुम योग बनता है। यह एक अशुभ योग है जिसके कारण व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है, सुखों से दूर होकर दुःखी बना रहता है। किंतु चंद्रमा से केंद्र में यदि कोई भी ग्रह हो तो यह योग रद्द हो जाता है।
07. महालक्ष्मी योग
जब चंद्रमा और मंगल कुंडली में किसी भी भाव में युति करते हैं तब महालक्ष्मी योग उत्पन्न होता है। ऐसे योग वाले व्यक्ति भाग्यशाली और सदैव धन-धान्य से सम्पन्न बने रहते हैं। यह आजीवन किसी न किसी जरिए से धन प्राप्ति करते रहते हैं।
08. शकट योग
यदि चंद्र लग्न से छठे, आठवें या बारहवें भाव में बृहस्पति उपस्थित हों तो इस स्तिथि में जातक शकट योग के कुप्रभाव के आधीन होता है। शकट योग के अंतर्गत जातक दुःख से ग्रस्त बना रहता है तथा उसके जीवन में कई उतार चढ़ाव होते हैं। परंतु यदि लग्न कुंडली में चन्द्रमा केंद्र स्थान पर बैठें हुए हों तो शकट योग का कुप्रभाव नहीं पड़ता है।
इस आलेख में मैंने सूर्य और चंद्र से बनने वाले कुछ प्रमुख योगों की चर्चा की है। आशा है आप पाठकों को मेरा यह आलेख उपयोगी और जानकारी पूर्ण लगा होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय दें।
धन्यवाद और आभार।
एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव(ज्योतिष केसरी)
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Some major yogas in astrology – Part 01 (Hindi & English)
Om-Shiva
It is said that there is no dearth of diseases in the body, pleasures for the rich and yogas in astrology. Yoga means to join or be united. When a planet is situated in a house in the horoscope, or looks at a planet, or sits at a particular distance from each other, then their relation or union indicates a particular result. This is called yoga.
Come, today we will discuss some major yogas formed by the Sun and Moon. In the system of nine planets, the Sun is the king of planets and the Moon is the queen. While the Sun is the self-causing planet, the Moon is considered the lord of the mind or the planet that causes the mind. While the Sun indicates the king, father and governance, the Moon represents the public, mother and nourishment-service.
First of all, we will know the major yogas formed by the Sun.
01. Veshi Yoga
If any planet other than the Moon is present in the second house from the Sun, then this yoga is formed. If any auspicious planet is present in the second house from the Sun, then auspicious Veshi Yoga is formed. Such a person is beautiful, attractive, religious by nature and a leader. When any inauspicious planet is present in the second house from the Sun, then inauspicious Veshi Yoga is formed. Such a person is unattractive, a liar and has a low mentality.
02. Vashi Yoga
If any planet other than the Moon is present in the twelfth house from the Sun, then Vashi Yoga is formed. If any auspicious planet is present, then auspicious Vashi and if any inauspicious planet is present, then inauspicious Vashi Yoga is formed. A person with auspicious Vashi Yoga is also of good quality, famous and popular. Whereas a person with inauspicious Vashi Yoga is of evil nature and gives false arguments on every matter. He is very proud.
03. Ubhayachari Yoga
When other planets (except Moon) are placed in the second and twelfth house from the Sun, then Ubhayachari Yoga is formed. There are 02 categories in this too. Auspicious and inauspicious Ubhayachari. If there are auspicious planets on both sides of the Sun, then auspicious Ubhayachari Yoga is formed. Such natives are well-known, wealthy and popular. They remain happy in life. If there are inauspicious planets on both sides of the Sun, then inauspicious Ubhayachari is formed. Such natives are less educated, unhappy and unfortunate. Often false accusations are made on them.
Let us now know the major yogas formed by the Moon.
01. Gajkesari Yoga
When Jupiter is in the center place i.e. first, fourth, seventh or tenth house from the Moon, then Gajkesari Yoga is formed. This yoga gives fame in the whole life, makes the person influential, gives a happy, prosperous life. And makes a person a leader in political and religious field.
02. Adhiyog
When all the naturally auspicious planets are in the sixth, seventh and eighth house from the moon, then Chandra Adhiyog is formed. Such a person is happy, without enemies, holds a high position, has an influential personality and is long-lived. But the condition here is that the auspicious planets should not be set or retrograde. Here naturally auspicious planets mean Mercury, Venus and Jupiter.
03. Sunapha Yoga
If there is no planet in the second house from the moon and in the second house, apart from Sun, Rahu, Ketu, i.e. one of the planets Mars, Mercury, Jupiter, Venus or Saturn is present, then Sunapha Yoga is formed. The person with this yoga is sharp-witted, famous, wealthy and respected in the society.
04. Anapha Yoga
If apart from the Sun, two or more planets are in the twelfth house from the moon, then Anapha Yoga is formed. A person with such yoga gets worldly pleasures and his nature is mixed, that is, he has good and bad qualities in equal amounts.
05. Durudhara Yoga
If any of the five planets (Mars, Mercury, Jupiter, Venus or Saturn) other than Sun, Rahu and Ketu is present in the second and twelfth houses from the moon, then Durudhara Yoga is formed. A person with such yoga is a self-sacrificing person, serves others, is rich and has plenty of comforts.
06. Kemadrum Yoga
If no planet is present in the second and twelfth house from the moon, then Kemadrum Yoga is formed. This is an inauspicious yoga due to which a person is unable to achieve success in life, remains unhappy by being away from happiness. But if any planet is present in the center from the moon, then this yoga is cancelled.
07. Mahalakshmi Yoga
When Moon and Mars combine in any house in the horoscope, then Mahalakshmi Yoga is formed. People with such yoga are lucky and always remain rich. They keep on getting money through some means throughout their life.
08. Shakat Yoga
If Jupiter is present in the sixth, eighth or twelfth house from the Moon ascendant, then in this situation the person is under the ill effects of Shakat Yoga. Under Shakat Yoga, the person remains suffering from sorrow and there are many ups and downs in his life. But if the Moon is sitting in the center place in the ascendant horoscope, then there is no ill effect of Shakat Yoga.
In this article, I have discussed some major yogas formed by the Sun and Moon. I hope you readers have found this article of mine useful and informative. Please give your opinion through comments.
Thanks and gratitude.
Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)