loading

Tag: kundali me mangal ka ghar kaun sa hota hai

  • Home
  • Tag: kundali me mangal ka ghar kaun sa hota hai

ऐसा करेंगे तो मंगल ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं(Hindi & English)

ऐसा करेंगे तो मंगल ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं(Hindi & English)

हमारे संतान वैदिक ज्योतिष ग्रंथों में समस्त 09 ग्रहों में से मंगल ग्रह को ही ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। मंगल ग्रह को मेष(1) और वृश्चिक(8) चंद्र राशियों का स्वामी कहा जाता है। मंगल ग्रह व्यक्ति के शारीरिक पराक्रम, उत्तम साहस, भरपूर शक्ति एवम असीम ऊर्जा का कारक माना जाता है। किसी भी जातक व्यक्ति की लग्न कुंडली में अगर मंगल ग्रह शुभ अवस्था में होता है तो वह जातक अपने प्राकृतिक स्वभाव से निडर और साहसी होता है। ऐसा जातक किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना निडर होकर करता है। इन शुभ प्रभावों के अलावा मंगल ग्रह जातक के पूर्ण जीवन पर कई शुभाशुभ प्रभाव भीडालता है। चलिए समझते हैं कि मंगल ग्रह का क्या आंतरिक महत्व है?

मंगल ग्रह, शनिदेव की मकर(10) राशि में उच्च प्रभावी हो जाते हैं। वहीं दूसरी तरह चंद्रदेव की एकमात्र कर्क(4) राशि में मंगल ग्रह नीच प्रभावी हो जाते हैं। अगर 27नक्षत्रों की बात करी जाए तो मंगल ग्रह मृगशिरा नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र तथा धनिष्ठा नक्षत्र नक्षत्र के स्वामी होते हैं। ज्ञानियों के अनुभव अनुसार सुर्ख लाल रंग को मंगल ग्रह से सीधा जोड़कर देखा जाता रहा है। जातक जीवन में मंगल ग्रह के पूर्ण शुभ प्रभाव को बढ़ाने हेतु लाल रंग की वस्तुओं को शामिल किया जाता है।

अगर मंगल के शुभ प्रभावों की बात करें तो मंगल ग्रह के पूर्ण शुभ प्रभाव आ जाने से जातक निडर और साहसी बनता ही है तथा उसमें विशाल जनसमूह के नेतृत्व क्षमता बहुत ही तेज़ी से विकसित होनी प्रारंभ हो जाती है। एक अच्छी बात यह होती है कि ऐसा जातक सभी लोगों को अपने साथ लेकर चलने की शुद्ध भावना अपने हृदय में धारण किए रहता है। मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों की चर्चा करी जाए तो ऐसा जातक अपना पूर्ण जीवन ही एक अनावश्यक भय के साए में वयतित करता है। मंगल ग्रह के और भी अधिक अशुभ हो जाने पर जातक को हमेशा एक व्यर्थ(काल्पनिक) सा डर परेशान करना शुरू कर देता है। आगे चलकर ऐसा जातक अपना आत्मविश्वास खोने लग जाता है। उपायों के अभाव में वह कार्य तो शुरू कर लेता है परंतु उसे अपने ही कार्य के प्रति शंका उत्पन्न होने लग जाती है। मंगल ग्रह के सबसे अधिक अशुभ प्रभावों में हमेशा अंहकार बने रहना भी शामिल है। प्रभावित जातक अंहकार में अंधा सा हो जाता है तथा अपने ही परिवार में अपनी कर्कश वाणी के चलते कलह एवम अलगाव की अत्यंत दुखद स्थिति पैदा कर लेता है।

7 गलतियां जो आपके मंगल ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी

1. दैनिक भोजन में बहुत अधिक नमकीन, बहुत अधिक मीठा और बहुत अधिक खट्टा भोजन बहुत लंबे समय तक ग्रहण करते रहना।

2. अपने ही बड़े भाई-भाभी की लिखित भूमि पर धोखे से अपना अधिकार जमाकर किसी भी प्रकार का निर्माण करना या किसी भी तरह की छेड़खानी करके उस भूमि या संपत्ति से धन लाभ कमाना।

3. बहुत लंबे समय तक बैठी हुई अवस्था में नित्य दूध के साथ सूखे मेवे जैसे बादाम, काजू, अखरोट, मखाने इत्यादि ग्रहण करते रहना।

4. पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाले पारिवारिक या आशीर्वाद रूप में प्राप्त हुए अस्र-शस्र का विधिवत वार्षिक पूजन ना करना।

5. नियमित रूप से अपने-अपने धर्म व परिवार एवम् कुल अनुसार तीज-त्यौहारों को विधि पूर्वक ना मनाना। अपने धर्म का सम्मान ना करना और अपनी परम्पराओं को हमेशा विनोद की दृष्टि से ही देखना।

6. अपने जन्मस्थान से संबंधित भूमि को अपशब्द कहना। स्वयं के देश के किसानों और जवानों का उचित सम्मान ना करना। 14 वर्ष से 32 वर्ष की आयु के मध्य अपने बल का प्रयोग बड़ों का अपमान करने में करना।

7. धरती मां का सम्मान नहीं करना। जैसे मकान निर्माण से पूर्व उत्तम भूमि पूजन नहीं करना। भाग्य और मेहनत से प्राप्त हुई भूमि को कोसना। व्यर्थ में थूकते रहना और क्षमा प्रार्थना भी नहीं करना।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

++++++++++++++++++++++++++++++++++++++

If you do this, Mars can be bad for your whole life(Hindi & English)

In our Vedic astrology texts, out of all the 9 planets, Mars is called the commander of the planets. Mars is called the lord of Aries (1) and Scorpio (8) moon signs. Mars is considered to be the factor of physical prowess, great courage, abundant power and infinite energy of a person. If Mars is in auspicious state in the ascendant horoscope of any person, then that person is fearless and courageous by his natural nature. Such a person faces any kind of trouble fearlessly. Apart from these auspicious effects, Mars also has many auspicious and inauspicious effects on the entire life of the person. Let us understand what is the internal importance of Mars?

Mars becomes highly influential in Saturn’s Capricorn (10) sign. On the other hand, Mars becomes lowly influential in Chandra’s only Cancer (4) sign. If we talk about 27 constellations, Mars is the lord of Mrigasira constellation, Chitra constellation and Dhanishta constellation. According to the experience of the wise, the scarlet red color has been directly associated with Mars. Red colored objects are included to increase the full auspicious effect of Mars in the life of the native.

If we talk about the auspicious effects of Mars, then with the full auspicious effect of Mars, the native becomes fearless and courageous and the leadership ability of a large group of people starts developing very fast in him. One good thing is that such a native keeps the pure feeling of taking everyone along with him in his heart. If we talk about the negative effects of Mars, then such a native spends his entire life under the shadow of unnecessary fear. When Mars becomes even more inauspicious, a useless (imaginary) fear always starts troubling the native. Later on, such a native starts losing his self-confidence. In the absence of solutions, he starts the work but he starts having doubts about his own work. Always being arrogant is also one of the most inauspicious effects of Mars. The affected native becomes blind in arrogance and due to his harsh speech, he creates a very sad situation of discord and separation in his own family.

7 mistakes that will spoil your Mars forever

1. Consuming too much salty, too much sweet and too much sour food for a very long time in your daily diet.

2. Fraudulently establishing your right on the written land of your elder brother or sister-in-law and making any kind of construction or any kind of tampering to earn money from that land or property.

3. Consuming dry fruits like almonds, cashews, walnuts, lotus seeds etc. with milk every day in a sitting position for a very long time.

4. Not performing the annual worship of the family weapon or weapon received as a blessing from generations.

5. Not celebrating festivals regularly according to your religion, family and clan. Not respecting your religion and always looking at your traditions with a sense of humor.

6. Using abusive language for the land related to your birthplace. Not giving due respect to the farmers and soldiers of one’s own country. Using one’s strength to insult elders between the ages of 14 and 32.

7. Not respecting Mother Earth. Like not performing Uttam Bhoomi Pujan before building a house. Cursing the land obtained by luck and hard work. Spitting in vain and not even asking for forgiveness.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram