ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 02 (Hindi & English)
Om-Shiva
आज हम चर्चा करते हैं ज्योतिष के कुछ अन्य प्रमुख योगों की, जिनकी कुंडली विश्लेषण में बहुत उपयोगिता होती है।
01. कर्तरी योग
कर्तरी का अर्थ होता है कैंची। जिस प्रकार से कैंची के दो फलक होते हैं, और उन फलों के बीच में आने पर कोई वस्तु कट जाती है, या फिर कोई आकार लेती है। इस प्रकार से कुंडली के किसी भी भाव अथवा घर के दोनों तरफ कोई ग्रह विराजमान हों तो कर्तरी योग बनता है और उस भाव पर अपना असर डालता है। यदि किसी घर के अथवा भाव के दोनों ओर शुभ ग्रह बैठे हों तो शुभ कर्तरी योग बनता है। यह शुभ कर्तरी उस भाव के शुभ परिणाम को बढ़ा देता है। और यदि किसी घर के अथवा भाव के दोनों ओर अशुभ ग्रह बैठे हों तो अशुभ कर्तरी या पाप कर्तरी योग बनता है। यह योग उस घर के शुभ प्रभाव को कम कर देता है और ऐसा जातक अपने जीवन में दुःख पाता है।
02. अमला योग
यदि लग्न से या चंद्रमा से दशम स्थान में कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो अमला योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक अपने संपूर्ण जीवन में यश और मान पाता है, और उसका चरित्र भी अच्छा होता है।
03. महाभाग्य योग
यह योग दो प्रकार से विभाजित है।
(क) पुरूष जातक के लिए, यदि दिन का जन्म हो और लग्नेश, सूर्य तथा चंद्रमा विषम राशि में हों, ऐसे जातक महाभाग्यशाली होते हैं।
(ख) स्त्री जातिका के लिए रात्रि का जन्म हो और लग्नेश, सूर्य तथा चंद्रमा सम राशि में बैठे हो, ऐसी स्त्री महा भाग्यशाली होती हैं।
महाभाग्य योग वाले जातकों को आजीवन सुख और सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहती है। वें अपने जीवन में अधिकतर सुखी और खुशहाल रहते हैं।
04. वसुमान योग
यदि लग्न से या चंद्रमा से उपचय स्थान में यानी जन्म कुंडली के तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में सभी शुभ ग्रह हों तो वसुमान योग बनता है। ऐसे व्यक्ति का अपना घर होता है और वह धन-धान्य से संपन्न बना रहता है।
05. पुष्कल योग
यदि लग्न और जन्म चंद्र राशि, दोनों के स्वामी एक साथ युक्त होकर केंद्र स्थान में बैठे हों, और वह घर उनके मित्र का हो, तथा लग्न स्थान को कोई बलवान शुभ ग्रह देखता हो तो पुष्कल योग बनता है। ऐसा जातक अत्यंत धनी और यशस्वी होता है और समाज के उच्च और संपन्न वर्ग में उसकी प्रतिष्ठा होती है।
06. लक्ष्मी योग
यदि नवमपति और शुक्र दोनों ही अपने या अपने उच्च के घर में बैठकर लग्न से केंद्र या त्रिकोण में हों, तो लक्ष्मी योग बनता है। ऐसे जातक को सुशील पत्नी मिलती है और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। यह एक अच्छा राजयोग माना जाता है।
07. गौरी योग
यदि चंद्रमा अपने घर में या अपने उच्च के घर में बैठकर लग्न से केंद्र या त्रिकोण में हो, और उस पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो गौरी योग बनता है। ऐसे योग वाला जातक या जातिका खुशहाल दाम्पत्य जीवन, सुखी गृहस्थी, पुत्र-पौत्र, धन-धान्य आदि से संपन्न बने रहते हैं।
08. सरस्वती योग
यदि बुध, शुक्र या बृहस्पति केंद्र, त्रिकोण अथवा द्वितीय भाव में हों और वह भाव उनका अपना घर हो, मित्र का घर हो अथवा उच्च का घर हो, ऐसे में सरस्वती योग बनता है। ऐसे जातक कुशाग्र बुद्धि वाले होते हैं। कहानी, कविता अथवा उपन्यास के लेखक होते हैं। प्राय: ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, और समाज में उन्हें उनके ज्ञान के लिए सम्मान मिलता है।
09. विपरीत राजयोग
यह ज्योतिष के प्रसिद्ध राजयोगों में से एक है। यदि छठे भाव का स्वामी, अष्टम भाव का स्वामी, और द्वादश भाव का स्वामी एक दूसरे के साथ आपस में स्थान परिवर्तन करते हैं तो विपरीत राजयोग बनता है। ऐसे राजयोग वाले जातक विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल करके समाज में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं और संघर्ष के साथ अपने भाग्य की उन्नति कर लेते हैं।
10. छत्र योग
यदि कुंडली के पंचम भाव में शुभ ग्रह हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, लेकिन चतुर्थ भाव का स्वामी अस्तगत ना हो। साथ ही चतुर्थ भाव का स्वामी स्वराशि में हो या उच्च के घर में बैठा हो तो छत्र योग का निर्माण होता है। छत्र योग वाला जातक शारीरिक रूप से पुष्ट, बलवान और शत्रुजित होता है। ऐसे योग वाला जातक संपूर्ण जीवन में सुख पाता है और उसे अच्छे मित्रों की संगति मिलती है।
उपर्युक्त आलेख में मैंने ज्योतिष के कुछ बहुचर्चित योगों की चर्चा की है। उम्मीद है ज्योतिष में रुचि रखने वाले पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय दें।
धन्यवाद और आभार।
एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)
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Some major yogas in astrology – Part 02 (Hindi & English)
Om-Shiva
Today we discuss some other major yogas of astrology, which are very useful in horoscope analysis.
01. Kartari Yoga
Kartari means scissors. Just as scissors have two blades, and when an object comes in between those blades, it gets cut or takes a shape. In this way, if any planet is placed on either side of any Bhaav or house of the horoscope, then Kartari Yoga is formed and it affects that house. If auspicious planets are placed on either side of any house or house, then Shubh Kartari Yoga is formed. This Shubh Kartari increases the auspicious results of that house. And if inauspicious planets are placed on either side of any house or house, then inauspicious Kartari or Paap Kartari Yoga is formed. This Yoga reduces the auspicious effects of that house and such a person experiences sorrow in his life.
02. Amala Yoga
If any auspicious planet is placed in the tenth house from the Lagna or the Moon, then Amala Yoga is formed. Due to the effect of this yoga, the native gets fame and respect in his entire life, and his character is also good.
03. Mahabhagya Yoga
This yoga is divided into two types.
(a) For a male native, if the birth is during the day and the Lagnesh, Sun and Moon are in odd zodiac signs, such a native is very fortunate.
(b) For a female native, if the birth is during the night and the Lagnesh, Sun and Moon are in even zodiac signs, such a woman is very fortunate.
The natives with Mahabhagya Yoga have no dearth of happiness and facilities throughout their life. They are mostly happy and content in their life.
04. Vasuman Yoga
If all the auspicious planets are in the Upachaya Sthan from the Lagna or the Moon, i.e. in the third, sixth, tenth and eleventh houses of the birth chart, then Vasuman Yoga is formed. Such a person has his own house and remains rich in wealth.
05. Pushkal Yoga
If the lords of the Lagna and the birth Moon sign are together and sitting in the center house, and that house belongs to their friend, and the Lagna house is seen by a strong auspicious planet, then Pushkal Yoga is formed. Such a person is very rich and famous and has prestige in the high and rich class of the society.
06. Lakshmi Yoga
If both the Navampati and Venus are sitting in their own or their exalted house and are in the center or triangle from the Lagna, then Lakshmi Yoga is formed. Such a person gets a good wife and gets the blessings of Goddess Lakshmi. This is considered a good Rajyoga.
07. Gauri Yoga
If the Moon is sitting in its own house or in its exalted house and is in the center or triangle from the Lagna, and Jupiter is aspecting it, then Gauri Yoga is formed. A person having such yoga has a happy married life, happy household, children, grandsons, wealth etc.
08. Saraswati Yoga
If Mercury, Venus or Jupiter are in the center, triangle or second house and that house is their own house, friend’s house or exalted house, then Saraswati Yoga is formed. Such people are sharp minded. They are writers of stories, poems or novels. Usually such people get higher education and are respected in the society for their knowledge.
09. Vipreet Raj Yoga
This is one of the famous Raj Yogas of astrology. If the lord of the sixth house, the lord of the eighth house and the lord of the twelfth house exchange places with each other, then Vipreet Raj Yoga is formed. People having such Raj Yoga achieve success even in adverse circumstances and achieve a high position in the society and improve their fortune with struggle.
10. Chhatra Yoga
If there are auspicious planets in the fifth house of the horoscope or there is a sight of auspicious planets, but the lord of the fourth house is not setting. Also, if the lord of the fourth house is in its own sign or sitting in a high house, then Chhatra Yoga is formed. The person with Chhatra Yoga is physically strong, powerful and victorious over enemies. A person with such yoga finds happiness in his entire life and gets the company of good friends.
In the above article, I have discussed some of the most discussed yogas of astrology. Hope the readers interested in astrology would have liked my effort. Please give your opinion through comments.
Thanks and gratitude.
Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)