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करवा चौथ पर्व 2024 (Hindi & English)

करवा चौथ पर्व 2024 (Hindi & English)

करवा चौथ का पर्व पतिदेव के सुख और अखंड सौभाग्य हेतु सभी सुहागिन स्त्रियां बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाती हैं। इस दिन सभी विवाहित स्त्रियां निराहार रहकर अपने पति के दीर्घायु और समृद्धिशाली होने की कामना करते हुए उपवास करतीं हैं और शिव परिवार सहित चन्द्रदेव की पूजा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पतिसुख, सन्तान सुख, धन-धान्य और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

01. कब मनाया जाता है करवा चौथ?

करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मिट्टी के करवों में गेहूं, दूध, शक्कर, जल, तांबे या चांदी का सिक्का डालते हैं और भगवान का पूजन करते हैं, इसलिए इसे करवा चौथ कहते हैं। वर्ष 2024 में करवा चौथ का व्रत दिन रविवार, 20 अक्टूबर को है। चंद्रोदय मुहूर्त सांय लगभग 07 बजकर 40 मिनट पर होगा।

02. करवा चौथ की धार्मिक मान्यता

नारद पुराण में वर्णन है कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्थी को “करका चतुर्थी” व्रत करने का विधान है। यहां “करका” का अर्थ मिट्टी का एक छोटा पात्र होता है। यह सात्विक व्रत केवल स्त्रियों के लिए है। इसमें स्त्री को स्नानादि के बाद सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित होकर भगवान गणेश, शिव और गौरी की पूजा करने का निर्देश दिया गया है।

कहा जाता है कि देवों और असुरों के बीच हुए युद्ध के समय अपने अपने पतियों की रक्षा के लिए सभी देवियों नें ब्रह्माजी से इस व्रत का उपदेश लिया था। वैसे, इस व्रत की परंपरा माता पार्वती ने प्रारंभ की थी। इसके अतिरिक्त महाभारत काल में माता कुंती ने इस व्रत अनुष्ठान को द्रौपदी को सौंपा था। अतः इस व्रत में सुहागिन महिलाएं अपनी सास का आशीर्वाद ज़रूर लेती हैं।

03. पूजन का विधि-विधान

व्रत रखने वाली स्त्री प्रातः काल नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान आदि करके आचमन के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं। यह व्रत निराहार ही नहीं बल्कि निर्जला के रूप में करना अधिक फलप्रद माना जाता है। कई स्थानों पर प्रातः व्रत से पहले भोर में सरगी करने का प्रचलन है। यह सरगी सास अपनी बहू को देतीं हैं।। सरगी में फलाहारी खाद्यान्न दिया जाता है।

इस व्रत में शिव दरबार और चन्द्र देव की पूजा करने का विधान है। इनका षोडशोपचार पूजन किया जाता है और मिट्टी के करवों में मिष्ठान, धान्य, दूध, शर्करा आदि भरकर सुहाग की सामग्री की पिटारी रखी जाती है। फिर दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को चंद्रोदय के समय सभी व्रती महिलाएं व्रत की कथा सुनती हैं और छलनी से चन्द्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। फिर पूजन आरती करके पति के हाथों अपना व्रत खोलती हैं। फिर अंत में अपनी सास को भेंट देकर उनके पांव छूती है और उनसे अखंड सौभाग्य प्राप्ति का आशीर्वाद लेती हैं।

04. व्रत की कथा

एकं साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी सहित उसकी बेटी और बहुओं नें करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपने बहन से भोजन के करने लिए कहा। बहन ने कहा भाई अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी। बहन की बात सुनकर भाइयों ने एक काम किया कि नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए उन्होंने बहन से कहा कि देखो बहन, चांद निकल आया है। अर्घ्य देकर के भोजन कर लो।

यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा की आओ तुम भी चंद्रमा को अर्घ्य दे दो। भाभियों को अपने पतियों की चालाकी का पता था। वह अर्घ्य देने नहीं आई। उन्होंने अपनी ननद को बता दिया कि तेरे भाई तेरे से धोखा करके छलनी से प्रकाश दिखा रहे हैं। फिर भी बहन ने कुछ भी ध्यान ना दिया और छलनी से प्रकाश देखकर अर्घ्य दे दिया। इस प्रकार व्रत भंग करने से गणेशजी बहुत अप्रसन्न हो गए। इसके बाद उसका पति बहुत अधिक बीमार हो गया और उसकी सारी संपत्ति बीमारी में खर्च हो गई।

बाद में जब साहूकार की लड़की को अपने किए हुए दोषों का पता चला तो उसने बहुत पश्चात्ताप किया। फिर गणेशजी से प्रार्थना करते हुए पूर्ण विधि-विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत किया और दान-दक्षिणा आदि प्रदान करी। श्रद्धाभक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हुए और पुनः उसके पति को जीवनदान देकर उसे आरोग्य और धन संपत्ति वापस प्रदान कर दी।

प्रस्तुत आलेख में मैनें करवा चौथ के व्रत का एक संक्षिप्त विवरण देने का प्रयास किया है। आशा करती हूँ आप पाठकजनों को यह आलेख पसन्द आया होगा। कृपया कमेंट के ज़रिए अपनी राय अवश्य दें।

आभार और धन्यवाद।

-ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Karva Chauth Festival 2024 (Hindi & English)

All married women celebrate the festival of Karva Chauth with great devotion and faith for the happiness and unbroken good fortune of their husband. On this day, all married women fast by staying without food and wishing for the long life and prosperity of their husband and worship Chandradev along with the Shiva family. It is believed that by observing this fast, there is an increase in husband’s happiness, child happiness, wealth and good fortune.

01. When is Karva Chauth celebrated?

Karva Chauth is celebrated on the Chaturthi Tithi of Krishna Paksha of Kartik month. On this day, wheat, milk, sugar, water, copper or silver coin are put in clay pots and God is worshipped, hence it is called Karva Chauth. In the year 2024, the fasting day of Karva Chauth is on Sunday, October 20. Chandraodaya Muhurta will be at around 07:40 pm.

02. Religious belief of Karva Chauth

It is mentioned in Narada Purana that on the fourth day of Kartik Krishna Paksha, it is prescribed to observe “Karka Chaturthi” fast. Here “Karka” means a small earthen pot. This Satvik fast is only for women. In this, the woman is instructed to worship Lord Ganesha, Shiva and Gauri after bathing and then wearing beautiful clothes and ornaments.

It is said that during the war between the gods and the demons, all the goddesses took the advice of this fast from Brahmaji to protect their husbands. By the way, the tradition of this fast was started by Mother Parvati. Apart from this, during the Mahabharata period, Mother Kunti handed over this fast ritual to Draupadi. ​​Therefore, in this fast, married women definitely take the blessings of their mother-in-law.

03. Method of worship

The woman observing the fast takes a vow of fasting after finishing her daily chores in the morning, taking a bath etc. and sipping water. It is considered more fruitful to observe this fast not only without food but also without water. In many places, there is a practice of having Sargi in the morning before the fast. This Sargi is given by the mother-in-law to her daughter-in-law. Fruit food is given in Sargi.

In this fast, there is a ritual of worshipping Shiv Darbar and Chandra Dev. Their Shodashopachar worship is done and a box of Suhaag items is kept in clay pots filled with sweets, grains, milk, sugar etc. Then after observing Nirjala fast throughout the day, in the evening at the time of moonrise, all the fasting women listen to the story of the fast and after seeing the moon through a sieve, offer Arghya to the moon. Then after performing Puja Aarti, they break their fast in the hands of their husband. Then in the end, after giving gifts to their mother-in-law, they touch her feet and take blessings from her for attaining unbroken good fortune.

04. Story of the fast

A moneylender had seven sons and a daughter. The Seth’s wife, her daughter and daughter-in-laws had kept the fast of Karva Chauth. At night, when the sons of the moneylender started eating, they asked their sister to have food. The sister said, “Brother, the moon has not yet come out. I will eat only after offering Arghya to the moon.” On hearing the words of the sister, the brothers did one thing – they went out of the city and lit a fire and taking a sieve, showing the light through it, they told the sister, “Look sister, the moon has come out. Offer Arghya and have your food.”

On hearing this, she told her sisters-in-law to come and offer Arghya to the moon. The sisters-in-law knew about the cunningness of their husbands. They did not come to offer Arghya. They told their sister-in-law that your brothers are cheating you and showing light through the sieve. Still, the sister did not pay any attention and offered Arghya after seeing the light through the sieve. Ganeshji became very unhappy by breaking the fast in this way. After this, her husband became very ill and all his wealth was spent on his illness.

Later, when the moneylender’s daughter realized her mistakes, she repented a lot. Then, praying to Lord Ganesha, she again observed the Chaturthi fast with full rituals and offered donations etc. Seeing her act with devotion, Lord Ganesha was pleased with her and gave life to her husband and gave her health and wealth back.

In this article, I have tried to give a brief description of the fast of Karva Chauth. I hope you readers liked this article. Please give your opinion through comments.

Gratitude and thanks.

-Astro Richa Srivastava