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ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 04 (Hindi & English)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 04 (Hindi & English)

Om-Shiva

आज मैं जन्म कुंडली में बनने वाले प्रमुख शुभ योगों की श्रृंखला की चौथी कड़ी प्रस्तुत करने जा रही हूं। ऐसे तो ज्योतिष शास्त्र में अनगिनत शुभ योगों की चर्चा है। किंतु मैं यहां सभी योगों में से सर्वाधिक प्रचलित योगों की प्रस्तुति करने जा रही हूं।

01. सौभाग्य योग

यदि पत्रिका के नवम भाव में शुभ ग्रह हों और नवम का स्वामी नीच अथवा अस्तगत ना हो, और वह किसी शुभ घर में बैठा हो। साथ ही नवम भाव पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो सौभाग्य योग बनता है। ऐसे योग वाला जातक धार्मिक, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होता है। जीवनभर उसे भाग्य का साथ मिलता रहता है और वह सुखमय जीवन व्यतीत करता है।

02. मान योग

यदि जन्म कुंडली के दसवें भाव में शुभ ग्रह हों, और दसवें भाव का स्वामी नीच अथवा अस्तगत ना हो। दसवें भाव का स्वामी स्वक्षेत्रीय हो या उच्च के घर में हो, तो ऐसा व्यक्ति समाज में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त नेता या अफसर होता है। वह अपने विरासत को आगे बढ़ाता है। समाज में उसका बहुत मान सम्मान रहता है।

03. शुभ लाभ योग

यदि पत्रिका के एकादश भाव में शुभ ग्रह हों, और एकादश का स्वामी अपने उच्च के घर में हों, और उसे शुभ ग्रह देखते हों, तो ऐसे योग वाले जातक को आजीवन व्यापार से, मित्रों से और रिश्तेदारों से किसी न किसी रूप में लाभ प्राप्त होता रहता है।

04. नीच भंग राजयोग

ज्योतिष शास्त्र में यह अत्यंत प्रसिद्ध और क्रियामूलक(functional) राजयोग है। नीच भंग राजयोग बनने की कई सारी शर्ते हैं। जो निम्न प्रकार से हैं।

(क) जब कोई नीच का ग्रह जिस घर में बैठता है उस घर का मालिक यदि अपने उच्च के घर में हो, और केंद्र में स्थित हो तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है

(ख) यदि कोई ग्रह अपने नीच के घर पर बैठा हो, और उस घर का मालिक उस नीच ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देखता है तो नीच भंग राजयोग बनता है।

(ग) यदि नीच की राशि में स्थित ग्रह नवांश कुंडली में अपने उच्च राशि में हो, तो भी नीच भंग हो जाता है।

(घ) कोई ग्रह जिस भी नीच राशि में हो, उस नीच राशि का स्वामी जन्म लग्न से केंद्र में हो, साथ ही जो ग्रह नीच हो रहा हो, उस ग्रह की उच्च राशि का स्वामी भी केंद्र भाव में कहीं भी उपस्थित हो, तब यह प्रबल नीच भंग राजयोग का निर्माण करेगा।

(च) नीच राशि के स्वामी तथा नीच ग्रह जहां उच्च राशि का होता है उसका स्वामी दोनो ही, चंद्रमा ग्रह से केंद्र भावों में कहीं भी स्थिति हों तब भी पूर्ण नीच भंग राजयोग होता है।

(छ) एक नीच राशि में स्थित ग्रह परस्पर अपने से सातवीं राशि में स्थित नीच ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो, ऐसी स्थिति में दोनों नीच स्थित ग्रहों का पूर्ण नीच भंग हो जाएगा।

(ज) नीच राशि में स्थित ग्रह के साथ यदि उस राशि का स्वामी दृष्टि अथवा युति संबंध बनाता हो, ऐसे में नीच राशि ग्रह का पूर्ण नीच भंग हो जाएगा।

नीच भंगराज योग के प्रभाव का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि ऐसे जातक जीवन के पूर्वार्ध में संघर्ष व अभाव की अग्नि में तपकर, धीरे-धीरे अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए अपनी इच्छा अनुरूप समाज में अपने स्थान को बनाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के भीतर उत्तरोत्तर धार्मिक प्रवृत्ति का विकास होता है। उसमें दान, परोपकार आदि सात्विक गुणों की वृद्धि होती रहती है। प्राय: ऐसे जातक प्रतिष्ठित संत, मठाधीश, तपस्वी, समाजसेवी, राजनेता और चिकित्सक के रूप में अधिक सफलता प्राप्त करते देखे गए हैं।

आज के उपर्युक्त आलेख में मैनें ज्योतिष के कुछ प्रमुख शुभ योगों का उल्लेख किया है। आशा करती हूं कि आप पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय अवश्य दें।

धन्यवाद और आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)

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Some major yogas in astrology – Part 04 (Hindi & English)

Om-Shiva

Today I am going to present the fourth part of the series of major auspicious yogas formed in the birth chart. There are countless auspicious yogas discussed in astrology. But here I am going to present the most popular yogas among all the yogas.

01. Saubhagya Yoga

If there are auspicious planets in the ninth house of the horoscope and the lord of the ninth house is not low or setting, and it is sitting in an auspicious house. Also, if there is an auspicious planet’s sight on the ninth house, then Saubhagya Yoga is formed. A person with such yoga is religious, honest and dutiful. He gets the support of luck throughout his life and he lives a happy life.

02. Maan Yoga

If there are auspicious planets in the tenth house of the birth chart, and the lord of the tenth house is not low or setting. If the lord of the tenth house is in its own house or in an exalted house, then such a person is a leader or officer with high reputation in the society. He takes his legacy forward. He is respected a lot in the society.

03. Shubh Labh Yoga

If there are auspicious planets in the eleventh house of the horoscope, and the lord of the eleventh house is in its exalted house, and auspicious planets are looking at it, then the person with such yoga keeps getting benefits in some form or the other from business, friends and relatives throughout his life.

04. Neech Bhang Rajyoga

This is a very famous and functional Rajyoga in astrology. There are many conditions for the formation of Neech Bhang Rajyoga. Which are as follows.

(a) When the owner of the house in which a debilitated planet sits, is in its exalted house, and is situated in the center, then Neech Bhang Rajyoga is formed.

(b) If a planet is sitting in its debilitated house, and the owner of that house looks at that debilitated planet with full sight, then Neech Bhang Rajyoga is formed.

(c) If a planet situated in a debilitated sign is in its exalted sign in the Navamsha Kundli, then also the debilitation gets dissolved.

(d) If the lord of the debilitated sign in which a planet is debilitated is in the center from the birth lagna, and also if the lord of the exalted sign of the planet which is getting debilitated is also present anywhere in the center house, then this will create a strong Neech Bhang Rajyoga.

(f) If the lord of the debilitated sign and the lord of the exalted sign of the debilitated planet are both situated anywhere in the center houses from the Moon, then also complete Neech Bhang Rajyoga takes place.

(g) If a planet situated in a debilitated sign is looking at the debilitated planet situated in the seventh sign from it with full sight, then in such a situation the complete debilitation of both the planets situated in the debilitated sign will be dissolved.

(h) If the lord of that sign makes a sight or Yuti relation with the planet situated in the debilitated sign, then the complete debilitation of the planet in the debilitated sign will be dissolved.

By studying the effect of Neech Bhangraj Yoga, it is known that such natives, after suffering in the fire of struggle and deprivation in the first half of their life, gradually walk on the path of achieving their goals and make their place in the society according to their wish. Such persons gradually develop a religious tendency. Satvik qualities like charity, philanthropy etc. keep on increasing in them. Usually such natives have been seen achieving more success as renowned saints, heads of religious monasteries, ascetics, social workers, politicians and doctors.

In today’s above article, I have mentioned some major auspicious yogas of astrology. I hope that you readers would have liked my effort. Please give your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 03 (Hindi & English)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 03 (Hindi & English)

Om-Shiva

आइए, आज हम जन्मपत्री में बनने वाले अन्य प्रकार के विभिन्न शुभ योगों को जानने का प्रयास करते हैं।

01. नीलकंठ योग

यदि लग्नेश, सूर्य और चंद्रमा तीनों केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित होते हुए अपने मित्र, अथवा अपने स्वयं के, अथवा अपने उच्च के घर में हों, तो नीलकंठ योग का निर्माण होता है। ऐसा जातक शिव भक्त होता है और उसके ऊपर महादेव की कृपा आजीवन बनी रहती है।

02. श्रीनाथ योग

यदि बुध, शुक्र और नवमेश केंद्र में होते हुए अपने मित्र, अपने स्वयं के घर या अपने उच्च के घर में हों तो श्रीनाथ योग बनता है। ऐसा व्यक्ति विष्णु भक्त होता है और धर्म परायण रहता है। भगवान विष्णु की कृपा से उसको सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

03. वीरांची योग

यदि छठे भाव का स्वामी एवम गुरु और शनि केंद्र अथवा त्रिकोण में होते हुए अपने स्वयं के घर में हों, अथवा अपने मित्र के घर में हों, अथवा अपने उच्च के घर में हों, तो ऐसे जातक में अपार विद्या होती है। वह वेद पुराणों का आचार्य या ज्ञाता हो सकता है। ऐसे जातक पर ब्रह्मा भगवान की कृपा होती है।

04. काहल योग

लग्नपति जिस राशि में बैठता है, उसका मालिक केंद्र या त्रिकोण में होते हुए अपने उच्च के घर में हो, अपने खुद के घर में हो या अपने मित्र के घर में हो, तो पत्रिका में काहल योग बनता है। ऐसा जातक यशस्वी व कुशाग्र बुद्धि का होता है। अक्सर ऐसा व्यक्ति फैक्ट्री बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के कार्य में लगा रहता है।

05. वीणा योग

यदि कुंडली में राहु-केतु को छोड़कर, अन्य सातों ग्रह विभिन्न सात राशियों में हों, तो वीणा योग बनता है। ऐसे जातक को संगीत में बहुत रुचि होती है। वह संगीत का अच्छा ज्ञाता होता है। और संगीत विद्या के माध्यम से वह धनवान भी बनता है।

06. चामर योग

यदि लग्न में शुभ ग्रह बैठा हो, तथा लग्न पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, परंतु लग्न का मालिक नीच का अथवा अस्तगत ना हो, और वह किसी शुभ घर में बैठा हो, तब पत्रिका में चामर योग बनता है। ऐसा जातक अपने भाग्य को स्वयं अपने शुभ कर्मों से चंद्रमा की भांति चमकाता है।

07. धन योग

यदि जन्मपत्री के द्वितीय घर में शुभ ग्रह हों, और उस पर ऐसे शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो, जो अपने घर या अपने उच्च के घर में बैठे हों तो धन योग बनता है। ऐसे योग वाले जातकों को धन की कभी कमी नहीं होती और उन्हें कुटुंब का सुख भी मिलता रहता है।

08. शौर्य योग

यदि जन्मपत्री के तीसरे घर में शुभ ग्रह हों, और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो। दृष्टि डालने वाले ग्रह अपने घर या अपने उच्च के घर में स्थित हों तो शौर्य योग बनता है। ऐसा व्यक्ति वीर, साहसी, पराक्रमी होता है। अक्सर ऐसे योग वाले व्यक्ति पुलिस अथवा सेना या रक्षा सेवा में पाए जाते हैं। या उच्च स्तर के खिलाड़ी होते हैं।

09. जलधि योग

यदि चतुर्थ घर में शुभ ग्रह हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो परंतु चतुर्थ का मालिक अस्तगत ना हो, और वह अपने घर अथवा अपने उच्च के घर में बैठा हो तो जलधि योग बनता है। ऐसा जातक सुख के सागर में डुबकियां लगता है, उसे अच्छे मित्र प्राप्त होते हैं।

10. काम योग

यदि पत्रिका में सातवें घर में शुभ ग्रह हों, और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, लेकिन सातवें घर का मालिक अस्तगत ना हो। साथ ही वह अपने घर अथवा उच्च के घर में हो तो ऐसे व्यक्ति को अत्यंत सुंदर, सुशील जीवनसाथी प्राप्त होता है। और समाज में अपने पिता से भी ज्यादा मान-सम्मान प्राप्त करता है।

उपर्युक्त आलेख में मैं ज्योतिष में बनने वाले कुछ शुभ योगों की श्रृंखला की तीसरी कड़ी प्रस्तुत की है। आशा करती हूं आप पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय अवश्य दें।

धन्यवाद एवं आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)

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Some important yogas in astrology – Part 03 (Hindi & English)

Om-Shiva

Let us try to know about the other types of auspicious yogas formed in the birth chart today.

01. Neelkanth Yoga

If Lagneshwar, Sun and Moon are situated in the centre or triangle and are in their friend’s house, or their own house, or their exalted house, then Neelkanth Yoga is formed. Such a person is a Shiva devotee and the grace of Mahadev remains on him throughout his life.

02. Shrinath Yoga

If Mercury, Venus and Navamesh are situated in the centre and are in their friend’s house, their own house or their exalted house, then Shrinath Yoga is formed. Such a person is a Vishnu devotee and is devoted to religion. He gets happiness and prosperity by the grace of Lord Vishnu.

03. Veeranchi Yoga

If the lord of the sixth house and Jupiter and Saturn are in the center or triangle and are in their own house, or in their friend’s house, or in their exalted house, then such a person has immense knowledge. He can be an Acharya or a knower of Vedas and Puranas. Such a person is blessed by Lord Brahma.

04. Kahal Yoga

If the lord of the sign in which the Lagnapati sits is in the center or triangle and is in his exalted house, in his own house or in his friend’s house, then Kahal Yoga is formed in the horoscope. Such a person is famous and sharp minded. Often such a person is engaged in factory building and construction work.

05. Veena Yoga

If in the horoscope, except Rahu-Ketu, the other seven planets are in different seven signs, then Veena Yoga is formed. Such a person is very interested in music. He is a good knower of music. And through the knowledge of music, he also becomes rich.

06. Chamar Yog

If auspicious planets are placed in the Lagna, and auspicious planets are aspecting the Lagna, but the lord of the Lagna is not low or setting, and it is placed in an auspicious house, then Chamar Yog is formed in the horoscope. Such a person makes his fortune shine like the moon with his own good deeds.

07. Dhan Yog

If auspicious planets are placed in the second house of the birth chart, and auspicious planets are aspecting it, which are sitting in their own house or their exalted house, then Dhan Yog is formed. People with such Yog never have any shortage of money and they also get happiness in the family.

08. Shaurya Yog

If auspicious planets are placed in the third house of the birth chart, and auspicious planets are aspecting it. The planets aspecting it are located in their own house or their exalted house, then Shaurya Yog is formed. Such a person is brave, courageous, valiant. Often people with such yoga are found in police or army or defense service. Or are high level sportsmen.

09. Jaladhi Yoga

If there are auspicious planets in the fourth house or auspicious planets are aspecting it, but the lord of the fourth house is not setting, and he is sitting in his own house or his exalted house, then Jaladhi Yoga is formed. Such a person dives into the ocean of happiness, he gets good friends.

10. Kaam Yoga

If there are auspicious planets in the seventh house in the horoscope, and auspicious planets are aspecting it, but the lord of the seventh house is not setting. Also, he is in his own house or exalted house, then such a person gets a very beautiful, well-mannered life partner. And in the society, he gets more respect than his father.

In the above article, I have presented the third part of the series of some auspicious yogas formed in astrology. I hope you readers would have liked my effort. Please give your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Shrivastava (Jyotish Kesari)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 02 (Hindi & English)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 02 (Hindi & English)

Om-Shiva

आज हम चर्चा करते हैं ज्योतिष के कुछ अन्य प्रमुख योगों की, जिनकी कुंडली विश्लेषण में बहुत उपयोगिता होती है।

01. कर्तरी योग

कर्तरी का अर्थ होता है कैंची। जिस प्रकार से कैंची के दो फलक होते हैं, और उन फलों के बीच में आने पर कोई वस्तु कट जाती है, या फिर कोई आकार लेती है। इस प्रकार से कुंडली के किसी भी भाव अथवा घर के दोनों तरफ कोई ग्रह विराजमान हों तो कर्तरी योग बनता है और उस भाव पर अपना असर डालता है। यदि किसी घर के अथवा भाव के दोनों ओर शुभ ग्रह बैठे हों तो शुभ कर्तरी योग बनता है। यह शुभ कर्तरी उस भाव के शुभ परिणाम को बढ़ा देता है। और यदि किसी घर के अथवा भाव के दोनों ओर अशुभ ग्रह बैठे हों तो अशुभ कर्तरी या पाप कर्तरी योग बनता है। यह योग उस घर के शुभ प्रभाव को कम कर देता है और ऐसा जातक अपने जीवन में दुःख पाता है।

02. अमला योग

यदि लग्न से या चंद्रमा से दशम स्थान में कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो अमला योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक अपने संपूर्ण जीवन में यश और मान पाता है, और उसका चरित्र भी अच्छा होता है।

03. महाभाग्य योग

यह योग दो प्रकार से विभाजित है।

(क) पुरूष जातक के लिए, यदि दिन का जन्म हो और लग्नेश, सूर्य तथा चंद्रमा विषम राशि में हों, ऐसे जातक महाभाग्यशाली होते हैं।

(ख) स्त्री जातिका के लिए रात्रि का जन्म हो और लग्नेश, सूर्य तथा चंद्रमा सम राशि में बैठे हो, ऐसी स्त्री महा भाग्यशाली होती हैं।

महाभाग्य योग वाले जातकों को आजीवन सुख और सुविधाओं की कोई कमी नहीं रहती है। वें अपने जीवन में अधिकतर सुखी और खुशहाल रहते हैं।

04. वसुमान योग

यदि लग्न से या चंद्रमा से उपचय स्थान में यानी जन्म कुंडली के तीसरे, छठे, दसवें और ग्यारहवें भाव में सभी शुभ ग्रह हों तो वसुमान योग बनता है। ऐसे व्यक्ति का अपना घर होता है और वह धन-धान्य से संपन्न बना रहता है।

05. पुष्कल योग

यदि लग्न और जन्म चंद्र राशि, दोनों के स्वामी एक साथ युक्त होकर केंद्र स्थान में बैठे हों, और वह घर उनके मित्र का हो, तथा लग्न स्थान को कोई बलवान शुभ ग्रह देखता हो तो पुष्कल योग बनता है। ऐसा जातक अत्यंत धनी और यशस्वी होता है और समाज के उच्च और संपन्न वर्ग में उसकी प्रतिष्ठा होती है।

06. लक्ष्मी योग

यदि नवमपति और शुक्र दोनों ही अपने या अपने उच्च के घर में बैठकर लग्न से केंद्र या त्रिकोण में हों, तो लक्ष्मी योग बनता है। ऐसे जातक को सुशील पत्नी मिलती है और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। यह एक अच्छा राजयोग माना जाता है।

07. गौरी योग

यदि चंद्रमा अपने घर में या अपने उच्च के घर में बैठकर लग्न से केंद्र या त्रिकोण में हो, और उस पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो गौरी योग बनता है। ऐसे योग वाला जातक या जातिका खुशहाल दाम्पत्य जीवन, सुखी गृहस्थी, पुत्र-पौत्र, धन-धान्य आदि से संपन्न बने रहते हैं।

08. सरस्वती योग

यदि बुध, शुक्र या बृहस्पति केंद्र, त्रिकोण अथवा द्वितीय भाव में हों और वह भाव उनका अपना घर हो, मित्र का घर हो अथवा उच्च का घर हो, ऐसे में सरस्वती योग बनता है। ऐसे जातक कुशाग्र बुद्धि वाले होते हैं। कहानी, कविता अथवा उपन्यास के लेखक होते हैं। प्राय: ऐसे जातक उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, और समाज में उन्हें उनके ज्ञान के लिए सम्मान मिलता है।

09. विपरीत राजयोग

यह ज्योतिष के प्रसिद्ध राजयोगों में से एक है। यदि छठे भाव का स्वामी, अष्टम भाव का स्वामी, और द्वादश भाव का स्वामी एक दूसरे के साथ आपस में स्थान परिवर्तन करते हैं तो विपरीत राजयोग बनता है। ऐसे राजयोग वाले जातक विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल करके समाज में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं और संघर्ष के साथ अपने भाग्य की उन्नति कर लेते हैं।

10. छत्र योग

यदि कुंडली के पंचम भाव में शुभ ग्रह हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, लेकिन चतुर्थ भाव का स्वामी अस्तगत ना हो। साथ ही चतुर्थ भाव का स्वामी स्वराशि में हो या उच्च के घर में बैठा हो तो छत्र योग का निर्माण होता है। छत्र योग वाला जातक शारीरिक रूप से पुष्ट, बलवान और शत्रुजित होता है। ऐसे योग वाला जातक संपूर्ण जीवन में सुख पाता है और उसे अच्छे मित्रों की संगति मिलती है।

उपर्युक्त आलेख में मैंने ज्योतिष के कुछ बहुचर्चित योगों की चर्चा की है। उम्मीद है ज्योतिष में रुचि रखने वाले पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय दें।

धन्यवाद और आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)

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Some major yogas in astrology – Part 02 (Hindi & English)

Om-Shiva

Today we discuss some other major yogas of astrology, which are very useful in horoscope analysis.

01. Kartari Yoga

Kartari means scissors. Just as scissors have two blades, and when an object comes in between those blades, it gets cut or takes a shape. In this way, if any planet is placed on either side of any Bhaav or house of the horoscope, then Kartari Yoga is formed and it affects that house. If auspicious planets are placed on either side of any house or house, then Shubh Kartari Yoga is formed. This Shubh Kartari increases the auspicious results of that house. And if inauspicious planets are placed on either side of any house or house, then inauspicious Kartari or Paap Kartari Yoga is formed. This Yoga reduces the auspicious effects of that house and such a person experiences sorrow in his life.

02. Amala Yoga

If any auspicious planet is placed in the tenth house from the Lagna or the Moon, then Amala Yoga is formed. Due to the effect of this yoga, the native gets fame and respect in his entire life, and his character is also good.

03. Mahabhagya Yoga

This yoga is divided into two types.

(a) For a male native, if the birth is during the day and the Lagnesh, Sun and Moon are in odd zodiac signs, such a native is very fortunate.

(b) For a female native, if the birth is during the night and the Lagnesh, Sun and Moon are in even zodiac signs, such a woman is very fortunate.

The natives with Mahabhagya Yoga have no dearth of happiness and facilities throughout their life. They are mostly happy and content in their life.

04. Vasuman Yoga

If all the auspicious planets are in the Upachaya Sthan from the Lagna or the Moon, i.e. in the third, sixth, tenth and eleventh houses of the birth chart, then Vasuman Yoga is formed. Such a person has his own house and remains rich in wealth.

05. Pushkal Yoga

If the lords of the Lagna and the birth Moon sign are together and sitting in the center house, and that house belongs to their friend, and the Lagna house is seen by a strong auspicious planet, then Pushkal Yoga is formed. Such a person is very rich and famous and has prestige in the high and rich class of the society.

06. Lakshmi Yoga

If both the Navampati and Venus are sitting in their own or their exalted house and are in the center or triangle from the Lagna, then Lakshmi Yoga is formed. Such a person gets a good wife and gets the blessings of Goddess Lakshmi. This is considered a good Rajyoga.

07. Gauri Yoga

If the Moon is sitting in its own house or in its exalted house and is in the center or triangle from the Lagna, and Jupiter is aspecting it, then Gauri Yoga is formed. A person having such yoga has a happy married life, happy household, children, grandsons, wealth etc.

08. Saraswati Yoga

If Mercury, Venus or Jupiter are in the center, triangle or second house and that house is their own house, friend’s house or exalted house, then Saraswati Yoga is formed. Such people are sharp minded. They are writers of stories, poems or novels. Usually such people get higher education and are respected in the society for their knowledge.

09. Vipreet Raj Yoga

This is one of the famous Raj Yogas of astrology. If the lord of the sixth house, the lord of the eighth house and the lord of the twelfth house exchange places with each other, then Vipreet Raj Yoga is formed. People having such Raj Yoga achieve success even in adverse circumstances and achieve a high position in the society and improve their fortune with struggle.

10. Chhatra Yoga

If there are auspicious planets in the fifth house of the horoscope or there is a sight of auspicious planets, but the lord of the fourth house is not setting. Also, if the lord of the fourth house is in its own sign or sitting in a high house, then Chhatra Yoga is formed. The person with Chhatra Yoga is physically strong, powerful and victorious over enemies. A person with such yoga finds happiness in his entire life and gets the company of good friends.

In the above article, I have discussed some of the most discussed yogas of astrology. Hope the readers interested in astrology would have liked my effort. Please give your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 01 (Hindi & English)

ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 01 (Hindi & English)

Om-Shiva

ऐसा कहते हैं कि शरीर में रोगों की, धनवान को भोगों की और ज्योतिष में योगों की कोई कमी नहीं है। योग का अर्थ होता है जुड़ना या संयुक्त होना। जब कोई ग्रह जन्मपत्री में किसी घर में स्थित होता है, या किसी ग्रह पर दृष्टि डालता है, अथवा एक दूसरे से किसी खास दूरी पर बैठता है, तब उनका यह सम्बन्ध या युति किसी खास परिणाम को इंगित करता है। इसे ही योग कहते हैं।

आइए, आज हम चर्चा करते हैं सूर्यग्रह और चन्द्रग्रह से बनने वाले कुछ प्रमुख योगों की। नवग्रहों की व्यवस्था में सूर्यदेव को ग्रहों का राजा और चंद्रदेव को रानी का दर्ज़ा प्राप्त है। सूर्यदेव जहां आत्मकारक ग्रह है, वहीं चंद्रमाग्रह को मन का स्वामी या मन का कारक ग्रह माना गया है। जहां सूर्य राजा, पिता और शासन को इंगित करते हैं, वहीं चंद्रमा जनता, माता और पोषण-सेवा को प्रस्तुत करते हैं।

सबसे पहले हम जानते हैं सूर्यग्रह द्वारा निर्मित होने वाले प्रमुख योगों को।

01. वेशि योग

यदि सूर्य से द्वितीय भाव में चंद्रमा को छोड़कर अन्य कोई भी ग्रह हों तो यह योग बनता है। यदि सूर्य से दूसरे घर में कोई शुभ ग्रह विराजमान हो तो शुभ वेशि योग बनता है। ऐसा व्यक्ति देखने मे सुंदर, आकर्षक और धर्मिक स्वभाव वाला, नेतृत्व प्रधान व्यक्ति होता है। जब सूर्य से दूसरे घर में कोई अशुभ ग्रह बैठता है तब अशुभ वेशि योग बनता है। ऐसा जातक देखने में अनाकर्षक, झूठ बोलने वाला, और निम्न मानसिकता वाला होता है।

02. वाशी योग

यदि सूर्य से, बारहवें घर में चंद्रमा को छोड़कर कोई अन्य ग्रह बैठता है तो वाशी योग बनता है। यदि कोई शुभ ग्रह हो तो शुभ वाशी और कोई अशुभ ग्रह हो तो अशुभ वाशी योग बनता है। शुभ वाशी योग वाला जातक भी अच्छे स्तर का गुणवान, प्रसिद्ध और लोकप्रिय होता है। जबकि अशुभ वाशी वाला जातक दुष्ट प्रकृति का और बात-बात में कुतर्क करने वाला व्यक्ति होता है। अभिमान की मात्रा अधिक रहती है।

03. उभयचरी योग

जब सूर्य से दूसरे और बारहवें भाव में (चंद्रमा के अलावा) अन्य ग्रह बैठे हों तो उभयचरी योग बनता है। इसमें भी 02 श्रेणियां हैं। शुभ और अशुभ उभयचरी। यदि सूर्य के दोनों तरफ शुभ ग्रह हों तो शुभ उभयचरी योग बनता है। ऐसे जातक सुविख्यात, धनवान और लोकप्रिय व्यक्ति होते हैं। जीवन में सुखी रहते हैं। यदि सूर्य से दोनों तरफ अशुभ ग्रह हों तो अशुभ उभयचरी का निर्माण होता है। ऐसे जातक कम पढेलिखे, दुःखी और दुर्भाग्यशाली होते हैं। अक्सर उन पर झूठे दोषारोपण लगते हैं।

आइए अब हम जानते हैं चंद्रग्रह द्वारा निर्मित होने वाले प्रमुख योगों को।

01. गजकेसरी योग

जब चंद्रमा से बृहस्पति केंद्र स्थान अर्थात प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में हो तो गजकेसरी योग का निर्माण होता है। यह योग संपूर्ण जीवन में यश देता है, व्यक्ति को प्रभावशाली बनाता है, सुखी, साधन संपन्न जीवन देता है। और राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र में नेता बनाता है।

02. अधियोग

जब सभी स्वभाविक शुभ ग्रह चंद्रमा से षष्ठम, सप्तम और अष्टम भाव में हों हो तो चंद्र अधियोग बनता है। ऐसे जातक सुखी, शत्रुहीन, उच्च पद पर प्रतिष्ठित, प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले और दीर्घायु होते हैं। लेकिन यहां पर शर्त यह है कि शुभ ग्रहों को अस्त या वक्री नहीं होना चाहिए। यहां स्वाभाविक शुभ ग्रहों से तात्पर्य बुध, शुक्र और बृहस्पति से है।

03. सुनफा योग

यदि चंद्रमा से द्वितीय भाव में कोई ग्रह नहीं हो तथा द्वितीय भाव में सूर्य, राहु, केतु के अतिरिक्त अर्थात मंगल, बुध बृहस्पति, शुक्र या शनि में से कोई एक ग्रह उपस्थित हो तो सुनफा योग बनता है। इस योग वाला जातक तीक्ष्ण बुद्धिशाली, प्रसिद्ध, धनवान और समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है।

04. अनफा योग

सूर्य के अतिरिक्त यदि दो या दो से अधिक ग्रह चंद्रमा से द्वादश घर में हो तो अनफा योग बनता है। ऐसे योग वाले जातक को सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और उसका स्वभाव मिश्रित होता है, यानी उसमें सगुण और दुर्गुण बराबर मात्रा में पाए जाते हैं।

05. दुरूधरा योग

यदि चंद्रमा से द्वितीय व द्वादश दोनों भावों में सूर्य, राहु, केतु के अतिरिक्त पांच ग्रह (मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र या शनि) में से कोई उपस्थित हो तो दुरुधरा योग बनता है। ऐसे योग वाला व्यक्ति आत्मत्यागी, दूसरों की सेवा करने वाला, धनी और सुख सुविधा संपन्न होता है।

06. केमद्रुम योग

यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों ही भाव में कोई भी ग्रह मौजूद न हो, तो केमद्रुम योग बनता है। यह एक अशुभ योग है जिसके कारण व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है, सुखों से दूर होकर दुःखी बना रहता है। किंतु चंद्रमा से केंद्र में यदि कोई भी ग्रह हो तो यह योग रद्द हो जाता है।

07. महालक्ष्मी योग

जब चंद्रमा और मंगल कुंडली में किसी भी भाव में युति करते हैं तब महालक्ष्मी योग उत्पन्न होता है। ऐसे योग वाले व्यक्ति भाग्यशाली और सदैव धन-धान्य से सम्पन्न बने रहते हैं। यह आजीवन किसी न किसी जरिए से धन प्राप्ति करते रहते हैं।

08. शकट योग

यदि चंद्र लग्न से छठे, आठवें या बारहवें भाव में बृहस्पति उपस्थित हों तो इस स्तिथि में जातक शकट योग के कुप्रभाव के आधीन होता है। शकट योग के अंतर्गत जातक दुःख से ग्रस्त बना रहता है तथा उसके जीवन में कई उतार चढ़ाव होते हैं। परंतु यदि लग्न कुंडली में चन्द्रमा केंद्र स्थान पर बैठें हुए हों तो शकट योग का कुप्रभाव नहीं पड़ता है।

इस आलेख में मैंने सूर्य और चंद्र से बनने वाले कुछ प्रमुख योगों की चर्चा की है। आशा है आप पाठकों को मेरा यह आलेख उपयोगी और जानकारी पूर्ण लगा होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय दें।

धन्यवाद और आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव(ज्योतिष केसरी)

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Some major yogas in astrology – Part 01 (Hindi & English)

Om-Shiva

It is said that there is no dearth of diseases in the body, pleasures for the rich and yogas in astrology. Yoga means to join or be united. When a planet is situated in a house in the horoscope, or looks at a planet, or sits at a particular distance from each other, then their relation or union indicates a particular result. This is called yoga.

Come, today we will discuss some major yogas formed by the Sun and Moon. In the system of nine planets, the Sun is the king of planets and the Moon is the queen. While the Sun is the self-causing planet, the Moon is considered the lord of the mind or the planet that causes the mind. While the Sun indicates the king, father and governance, the Moon represents the public, mother and nourishment-service.

First of all, we will know the major yogas formed by the Sun.

01. Veshi Yoga

If any planet other than the Moon is present in the second house from the Sun, then this yoga is formed. If any auspicious planet is present in the second house from the Sun, then auspicious Veshi Yoga is formed. Such a person is beautiful, attractive, religious by nature and a leader. When any inauspicious planet is present in the second house from the Sun, then inauspicious Veshi Yoga is formed. Such a person is unattractive, a liar and has a low mentality.

02. Vashi Yoga

If any planet other than the Moon is present in the twelfth house from the Sun, then Vashi Yoga is formed. If any auspicious planet is present, then auspicious Vashi and if any inauspicious planet is present, then inauspicious Vashi Yoga is formed. A person with auspicious Vashi Yoga is also of good quality, famous and popular. Whereas a person with inauspicious Vashi Yoga is of evil nature and gives false arguments on every matter. He is very proud.

03. Ubhayachari Yoga

When other planets (except Moon) are placed in the second and twelfth house from the Sun, then Ubhayachari Yoga is formed. There are 02 categories in this too. Auspicious and inauspicious Ubhayachari. If there are auspicious planets on both sides of the Sun, then auspicious Ubhayachari Yoga is formed. Such natives are well-known, wealthy and popular. They remain happy in life. If there are inauspicious planets on both sides of the Sun, then inauspicious Ubhayachari is formed. Such natives are less educated, unhappy and unfortunate. Often false accusations are made on them.

Let us now know the major yogas formed by the Moon.

01. Gajkesari Yoga

When Jupiter is in the center place i.e. first, fourth, seventh or tenth house from the Moon, then Gajkesari Yoga is formed. This yoga gives fame in the whole life, makes the person influential, gives a happy, prosperous life. And makes a person a leader in political and religious field.

02. Adhiyog

When all the naturally auspicious planets are in the sixth, seventh and eighth house from the moon, then Chandra Adhiyog is formed. Such a person is happy, without enemies, holds a high position, has an influential personality and is long-lived. But the condition here is that the auspicious planets should not be set or retrograde. Here naturally auspicious planets mean Mercury, Venus and Jupiter.

03. Sunapha Yoga

If there is no planet in the second house from the moon and in the second house, apart from Sun, Rahu, Ketu, i.e. one of the planets Mars, Mercury, Jupiter, Venus or Saturn is present, then Sunapha Yoga is formed. The person with this yoga is sharp-witted, famous, wealthy and respected in the society.

04. Anapha Yoga

If apart from the Sun, two or more planets are in the twelfth house from the moon, then Anapha Yoga is formed. A person with such yoga gets worldly pleasures and his nature is mixed, that is, he has good and bad qualities in equal amounts.

05. Durudhara Yoga

If any of the five planets (Mars, Mercury, Jupiter, Venus or Saturn) other than Sun, Rahu and Ketu is present in the second and twelfth houses from the moon, then Durudhara Yoga is formed. A person with such yoga is a self-sacrificing person, serves others, is rich and has plenty of comforts.

06. Kemadrum Yoga

If no planet is present in the second and twelfth house from the moon, then Kemadrum Yoga is formed. This is an inauspicious yoga due to which a person is unable to achieve success in life, remains unhappy by being away from happiness. But if any planet is present in the center from the moon, then this yoga is cancelled.

07. Mahalakshmi Yoga

When Moon and Mars combine in any house in the horoscope, then Mahalakshmi Yoga is formed. People with such yoga are lucky and always remain rich. They keep on getting money through some means throughout their life.

08. Shakat Yoga

If Jupiter is present in the sixth, eighth or twelfth house from the Moon ascendant, then in this situation the person is under the ill effects of Shakat Yoga. Under Shakat Yoga, the person remains suffering from sorrow and there are many ups and downs in his life. But if the Moon is sitting in the center place in the ascendant horoscope, then there is no ill effect of Shakat Yoga.

In this article, I have discussed some major yogas formed by the Sun and Moon. I hope you readers have found this article of mine useful and informative. Please give your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)