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Tag: guru grah kharab hone ke lakshan kya hain

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ऐसा करेंगे तो बृहस्पति ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

ऐसा करेंगे तो बृहस्पति ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)

जन्मकुंडली में देव गुरु बृहस्पति गुरुदेव के रूप में हमारा प्रतिनिधित्व करते हैं। बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव अनुसार जातक दयालु, धार्मिक, धैर्यवान, बुद्धिमान और चंचल स्वभाव को धारण किए ही रहता है। इन्हीं विशिष्ट सद्गुणों के चलते बृहस्पति ग्रह को आंतरिक बल प्राप्त होता है तथा ग्रह से आने वाली रश्मियां कुंडली के शुभ प्रभावों में और भी अधिक वृद्धि करते हुए जातक के जीवन को सुखमय बना देती है। बृहस्पति ग्रह, जिसे हम गुरू ग्रह भी कहते हैं, यह शुभ ग्रह हमारे नवग्रहों में अति महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी बृहस्पति ग्रह को देवगुरू, ज्ञान का कारक और समृद्धि का कारक कहकर परिभाषित एवम शोभित किया गया है।

जातक की लग्न कुण्डली में बृहस्पति ग्रह बलवान होने की स्तिथि में जातक ज्ञानवान एवं सद्गुणों से सम्पन्न बना ही रहता है। क्योंकि हमारे सभी नवग्रहों में केवल बृहस्पति ग्रह ही सर्वाधिक शुभ ग्रह आते हुए। अगर किसी कन्या जातक की लग्न कुण्डली में बृहस्पति ग्रह कमजोर अवस्था में हो, वक्री अवस्था में हो, पाप ग्रह द्वारा पीड़ित अवस्था में हो या फिर नीच गति को प्राप्त हों तो उसके विवाह में अति विलम्ब देखने को मिलता है। ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से बृहस्पति ग्रह को बलवान करने मात्र से ही कन्या जातक को सुहाग एवं सन्तान का सुख सहज ही प्राप्त होना संभव जाता है। बृहस्पति ग्रह संतान का भी कारक होता है। अगर आप सरल माध्यम से गुरू ग्रह को बल देना चाहते हैं तो आप पुखराज रत्न को स्वर्ण धातु की अंगूठी में जड़वाकर गुरूवार के दिन राहुकाल का ध्यान रखते हुए, सूर्यदेव का प्रकाश रहते हुए अपनी तर्जनी (प्रथम) उंगली में धारण करना चाहिए।

अगर आपको पुखराज रत्न थोड़ा सा महंगा लगता है तो आप इसके स्थान पर गुरु ग्रह का उपरत्न सुनहला भी धारण कर सकते हैं। बृहस्पति ग्रह के सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के कारण ही इनकी सीधी दृष्टि अति शुभ एवम कल्याणकारी मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष के नियमों अनुसार भी अगर किसी भी जातक की लग्न कुण्डली में केन्द्र स्थान पर बृहस्पति ग्रह बैठे हुए हैं तो अन्य ग्रहों से उत्पन्न दोषों की शून्यता स्वतः ही होनी प्रारंभ हो जाती है। कुंडली में केन्द्र स्थान पर विराजमान बृहस्पति ग्रह की प्रशंसा करते हुए ऋषि-महर्षियों का कथन है कि जिसके केन्द्र स्थान पर में बृहस्पति ग्रह विराजे हुए हैं तो कुंडली के अन्य ग्रह अगर एकसाथ होकर भी जातक का विरोध करें तो भी जातक का कुछ नहीं बिगड़ सकता है। आइए अब हम समझते हैं कि उन 07 गलतियों के बारे में जिनके कारण हमारा बृहस्पति ग्रह हमेशा के लिए खराब हो सकता है।

7 गलतियां जो आपके बृहस्पति ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी

1. किसी भी उन्नत पीपल के वृक्ष को मूल जड़ सहित अकारण कटवा देना।

2. अपनी पाठयक्रम की पुस्तकों को पैर लगाना या धर्म ग्रंथों को हमेशा बंद करके ही रखना।

3. नित्य शुद्धि कर्म के नियमों के अभाव में किसी भी पूज्य माला या रुद्राक्ष की माला को धारण करे ही रहना।

4. अपने पितरों और पूर्वजों की उचित एवम् उत्तम सेवा जैसे भोजन, वस्त्र और दक्षिणा उनके नाम से नहीं निकालना।

5. घर आने वाले अतिथि का सामर्थ्य अनुसार उचित सम्मान नहीं करना और घर पर मांगने वालों के आने पर हमेशा ही उन्हें खाली हाथ लौटाना।

6. उत्तम गृहस्थी सुख की प्राप्ति के बावजूद घर की स्त्री का सम्मान नहीं करना और परस्त्री से किसी भी प्रकार का संपर्क रखना।

7. किन्हीं भी गुरुजन, टीचर्स एवम् बुजुर्गों का अपमान करना। उन्हें अपशब्द कहना और उनका आशीर्वाद लिए बगैर कुछ भी शुभ कार्य शुरु करना।

– गुरु सत्यराम

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If you do this, Jupiter can be bad for your entire life (Hindi & English)

In the birth chart, Dev Guru Brihaspati represents us in the form of Gurudev. According to the auspicious effects of Jupiter, the native remains kind, religious, patient, intelligent and playful in nature. Due to these special virtues, Jupiter gets internal strength and the rays coming from the planet increase the auspicious effects of the horoscope even more and make the life of the native happy. Jupiter, which we also call Guru Graha, this auspicious planet holds a very important place among our nine planets. In astrology also, Jupiter has been defined and adorned by calling it Devguru, the factor of knowledge and the factor of prosperity.

In the condition of Jupiter being strong in the ascendant horoscope of the native, the native remains knowledgeable and endowed with virtues. Because among all our nine planets, only Jupiter is the most auspicious planet. If the Jupiter planet is weak in the Lagna Kundali of a girl, is in a retrograde state, is afflicted by the malefic planets or is in a low state, then a lot of delay is seen in her marriage. By merely strengthening the Jupiter planet through astrological remedies, it is possible for the girl to get the happiness of marital bliss and children easily. Jupiter is also a factor for children. If you want to strengthen the Guru planet through simple means, then you should get the Pukhraj gemstone embedded in a gold metal ring and wear it on your index (first) finger on Thursday, keeping in mind the Rahu Kaal, while the sunlight is there.

If you find the topaz gemstone a bit expensive, then you can also wear the golden sub-gemstone of Jupiter in its place. Jupiter being the most auspicious planet, its direct sight is considered to be extremely auspicious and beneficial. According to the rules of Vedic astrology, if Jupiter is placed in the center position in the Lagna Kundali of any native, then the defects caused by other planets start vanishing automatically. Praising the Jupiter placed in the center position in the Kundali, the sages and seers have said that if Jupiter is placed in the center position, then even if the other planets of the Kundali come together and oppose the native, then also nothing can go wrong for the native. Let us now understand about those 07 mistakes due to which our Jupiter can be spoiled forever.

7 mistakes that will spoil your Jupiter forever

1. Getting any grown Peepal tree cut along with its roots without any reason.

2. Touching your textbooks with your feet or always keeping religious texts closed.

3. In the absence of rules of daily purification rituals, wearing any venerated rosary or Rudraksha rosary.

4. Not providing proper and best service to your forefathers and forefathers like giving food, clothes and dakshina in their name.

5. Not giving proper respect to the guests who come to the house according to your capacity and always sending back empty handed when people come to the house to beg.

6. Despite having great domestic happiness, not respecting the woman of the house and having any kind of contact with another woman.

7. Insulting any Guru, teachers and elders. Using abusive language against them and starting any auspicious work without taking their blessings.

– Guru Satyaram