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श्री गणेश चतुर्थी 2024(Hindi & English)

श्री गणेश चतुर्थी 2024(Hindi & English)

हमारे सनातन धर्म में सर्वप्रथम पूजनीय श्री गणेश जी के पूजन का विस्तृत विधान है। गणेश, गजानन या गणपति के श्रीपूजन और आह्वान के मंत्रों का वेदों में भी वर्णन है। मूलतः श्रीगणपति पंच वैदिक देवों में से एक माने जाते हैं। हमारे सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य का शुभारंभ सर्वप्रथम श्रीगणेश पूजन से ही किया जाता है। ये सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। अतः किसी शुभ कार्य के आरंभ को “श्री गणेश करना” भी कहते हैं।

भविष्य पुराण में यह कहा गया है कि जब-जब मनुष्य भारी संकट और कष्ट में हो, या निकट भविष्य में किसी बड़ी विपदा की आशंका हो तो उसे चतुर्थी के व्रत करने चाहिए। इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होकर, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी?

कहा जाता है कि इंद्रदेव की पत्नी देवी रति द्वारा दिये गए श्राप के कारण देवी पार्वती अपने गर्भ से संतान को जन्म नहीं दे सकतीं थीं। अतः जब शिव ध्यानावस्था में कई वर्षों के लिए समाधि में चले गए तब पार्वती अपने एकांत के कारण घबरा उठीं। एक दिन वे उबटन स्नान कर रहीं थीं। तब शरीर से उतरे उबटन से उन्होंने एक बालक की आकृति बनाई और अपने योग शक्ति से उसमें प्राण डाल दिए। इस प्रकार गणेश जी का जन्मावतार हुआ। उस दिन भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि थी। तब से इस दिन को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

क्यों रखे जाते हैं 10 दिनों तक गणपति?

यह कथा महर्षि वेदव्यास के महाभारत लेखन से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से महर्षि वेदव्यास द्वारा प्रार्थना करने पर गणेश जी नें महाभारत के श्लोकों को लिपिबद्ध करना प्रारम्भ किया था। इस कार्य में उन्हें 10 दिन लगे थे। 10 दिनों तक लगातार एक ही मुद्रा में बैठे रहने से उनके शरीर पर धूल मिट्टी जम गई थी और शरीर मे अकड़न हो गयी थी। तब वे सरस्वती नदी में में स्नान करके स्वच्छ हुए। इस कार्य में उन्हें 10 दिन लगे थे। 10 दिनों तक लगातार एक ही मुद्रा में बैठे रहने से उनके शरीर पर धूल मिट्टी जम गई थी और शरीर मे अकड़न हो गयी थी। तब वे सरस्वती नदी में में स्नान करके स्वच्छ हुए। उस दिन अनन्त चतुर्दशी थी। तब से दस दिनों तक गणपति को विराजमान करा के ग्यारहवें दिन उनके विसर्जन की परिपाटी शुरू हुई।

आज भारत के कई राज्यों में बड़े बड़े पंडाल लगाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके बहुत ही धूमधाम से दस दिनों तक यह त्यौहार मनाने की परंपरा है। वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी दिन शनिवार, 7 सितंबर को मनाई जायेगी।

क्या है गणेश चतुर्थी व्रत की कथा?

सतयुग में नल नामक एक बहुत पराक्रमी राजा थे, जिनकी दमयंती नामक अत्यंत रूपवती पत्नी थी और एक बहुत आज्ञाकारी पुत्र भी था। राजा अपने परिवार में सभी सुखों को भोगते हुए कुशलता पूर्वक अपने राज काज में सलंग्न रहते थे। एक बार कालचक्र की विषम परिस्थितियों के कारण राजा का महल आग में जल गया और उन्हें पत्नी पुत्र सहित जंगल में दर-दर भटकना पड़ा। इसी क्रम में सभी एक दूसरे से बिछुड़ गए। रानी दमयंती भटकती हुई और विलाप करती हुई शरभंग ऋषि के आश्रम में जा पहुंची और करुण स्वर में अपनी व्यथा ऋषि को सुनाने लगी। तब ऋषि शरभंग नें उन्हें श्रीगणेश पूजन और व्रत का महात्म्य बताया और कहा कि गणेश जी तुम्हारे सभी कष्टों और दुखों को हर लेंगे। तब रानी में निराहार और निर्जल रहकर दस दिनों तक गणेश जी की पूजा उपासना की। इससे भगवान गणेश जी ने प्रसन्न होकर राजा रानी का राज पाट और सुख सौभाग्य वापस दिलवा दिया। तब से हमारी सनातन परंपरा में गणेशोत्सव की प्रथा प्रारम्भ हुई।

क्यों होता है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र दर्शन का निषेध?

इसकी भी एक अद्भुत कथा है। एक बार भगवान गणेश अपने वाहन मूषक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। तभी रास्ते में मूषक के ठोकर खाने से गणेश जी गिर पड़े। यह देखकर चंददेव जोरों से हंस पड़े और मजाक उड़ाने लगे। तब गणेश जी नें चन्द्र देव को श्राप दिया कि भादो शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी चन्द्र दर्शन करेगा, उसे चोरी के झूठे कलंक का सामना करना पड़ेगा। कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमन्तक मणि के चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। क्योंकि उन्होंने चतुर्थी तिथि के चन्द्र का दर्शन कर लिया था।तब नारद ऋषि नें उन्हें बताया कि गणेश चतुर्थी व्रत करने से आप कलंक मुक्त हो जाएंगे। तब भगवान श्री कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी पूजन की प्रथा प्रारम्भ की थी।

– ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव

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Shri Ganesh Chaturthi 2024 (Hindi & English)

In our Sanatan Dharma, there is a detailed ritual of worshiping Shri Ganesh ji, the most revered. The mantras of Shri Puja and invocation of Ganesh, Gajanan or Ganapati are also described in the Vedas. Basically, Shri Ganapati is considered one of the Panch Vedic Gods. In our Sanatan Dharma, any auspicious work is started first with the worship of Shri Ganesh. He is the first to be worshiped among all the gods. Therefore, the beginning of any auspicious work is also called “Shri Ganesh Karna”.

It is said in Bhavishya Purana that whenever a person is in great trouble and pain, or there is a possibility of a big disaster in the near future, then he should observe the fast of Chaturthi. By observing this fast, all the troubles are removed and Dharma, Artha, Kama and Moksha are attained.

Why do we celebrate Ganesh Chaturthi?

It is said that due to the curse given by Indradev’s wife Devi Rati, Goddess Parvati could not give birth to a child from her womb. So when Shiva went into meditation for many years, Parvati got worried due to her solitude. One day she was taking a bath with Ubtan. Then she made the shape of a child from the Ubtan that came off her body and breathed life into it with her yogic powers. Thus Ganesha was born. That day was the Chaturthi Tithi of Bhadrapad month. Since then, this day is celebrated as the birthday of Ganesha.

Why is Ganapati kept for 10 days?

This story is related to Maharishi Ved Vyas’ writing of Mahabharata. It is said that on the Chaturthi Tithi of Bhadrapad month, on Maharishi Ved Vyas’s prayers, Ganesh ji started writing the verses of Mahabharata. It took him 10 days to complete this work. Due to sitting in the same posture for 10 days, dust and dirt had accumulated on his body and his body had become stiff. Then he bathed in the Saraswati river and cleaned himself. It took him 10 days to complete this work. Due to sitting in the same posture for 10 days, dust and dirt had accumulated on his body and his body had become stiff. Then he bathed in the Saraswati river and cleaned himself. That day was Anant Chaturdashi. From then onwards, the tradition of keeping Ganapati seated for ten days and then immersing him on the eleventh day started.

Today, in many states of India, there is a tradition of celebrating this festival for ten days with great pomp by erecting large pandals and installing the idol of Ganesha. In the year 2024, Ganesh Chaturthi will be celebrated on Saturday, 7 September.

What is the story of Ganesh Chaturthi Vrat?

In Satyug, there was a very powerful king named Nala, who had a very beautiful wife named Damyanti and a very obedient son. The king used to enjoy all the comforts of his family and was skillfully engaged in his royal duties. Once due to the adverse circumstances of the time cycle, the king’s palace burned down in fire and he had to wander from door to door in the forest along with his wife and son. In this process, everyone got separated from each other. Queen Damyanti, wandering and lamenting, reached the ashram of Sharabhang Rishi and started telling her sorrow to the sage in a sad voice. Then Rishi Sharabhang told her the significance of Shri Ganesh worship and fasting and said that Ganesh ji will take away all your troubles and sorrows. Then the queen stayed without food and water and worshipped Ganesh ji for ten days. Lord Ganesh ji was pleased with this and got the king and queen back their kingdom and happiness and good fortune. Since then the tradition of Ganeshotsav started in our eternal tradition.

Why is Chandra Darshan prohibited on Ganesh Chaturthi?

There is a wonderful story behind this. Once Lord Ganesha was going somewhere on his vehicle, a mouse. Then Ganesha fell down after being hit by a mouse on the way. Seeing this, Chanddev started laughing loudly and started making fun of him. Then Ganesha cursed Chandra Dev that whoever sees Chandra on the Chaturthi Tithi of Bhado Shukla Paksha will have to face the false accusation of theft. It is said that during the Mahabharata period, Lord Krishna was falsely accused of stealing the Syamantaka Mani. Because he had seen the moon on Chaturthi Tithi. Then Sage Narad told him that by observing Ganesh Chaturthi fast, he will be free from the accusation. Then Lord Krishna also started the practice of Ganesh Chaturthi worship.

– Astrologer Richa Shrivastava