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धनतेरस 2024 (Hindi & English)

धनतेरस 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva

01. परिचय

धनतेरस का त्यौहार दीपावली आने की पूर्व सूचना देता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि क्षीरसागर से अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनतेरस के दिन दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना से भगवान धन्वंतरि का पूजन पूरे हर्षोल्लास से किया जाता है। जब देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के पश्चात प्रकट हुए थे, तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। तब से ही धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा शुरू हुई

धनतेरस के दिन बर्तनों के अलावा सोने और चांदी के गहने तथा महंगी धातुओं के समान भी खरीदे जाते हैं। धनतेरस को धन त्रयोदशी व धनवंतरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से दीपावली के पंच दिवसीय पंचपर्व की शुरुआत होती है। माना जाता है कि इस दिन से ही माता लक्ष्मीजी और कुबेरजी का वास हमारे घरों में हो जाता है। इस दिन यमदेव की भी पूजा की जाती है और यमराज को दीपदान भी किया जाता है।

02. धनतेरस पूजन की तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष 2024 में धनतेरस 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। पूजन का मुहूर्त शाम 06:33 से रात्रि 08:45 तक है। इसी बीच खरीदारी और पूजन करना चाहिए।

03. पूजन का विधि विधान

धनतेरस के दिन प्रातः समय में हल्दी, चंदन आदि का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। उसके पश्चात संध्याकाल में भगवान धन्वंतरि का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। भगवान धन्वंतरि के साथ कुबेरजी एवं माता लक्ष्मीजी का भी पूजन करना चाहिए। शाम के समय घर के मुख्यद्वार और आंगन में दीप जलाने चाहिए। संध्या के पश्चात यम देवता के निमित्त दक्षिण दिशा में दीप का दान करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।

04. धनतेरस के दिन क्या खरीदें?

धनतेरस के दिन नए बर्तन, पीतल के कलश, सोने चांदी के आभूषण, वैभव की वस्तुएं और नए वस्त्रों को खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस दिन विशेष तौर पर साबुत धनिया, फूलझाड़ू खरीदना शुभ रहता है। इस दिन काले और नीले रंग की वस्तुएं, चीनी मिट्टी के सामान, अल्युमिनियम और लोहे की धातु से बनी चीजों को नहीं खरीदना चाहिए। फूलझाड़ू को भी हमेशा विषम संख्या में ही खरीदना चाहिए। ऐसा कहते हैं कि हमारे घर की झाड़ू घर की सफाई करके नकारात्मकता दूर करती है और लक्ष्मीजी का स्वागत करने में सहायता करती है। इसलिए इस दिन झाड़ू विशेष तौर पर फूलझाड़ू खरीदने का विशेष प्रावधान है।

05. यमदेव के पूजन का पौराणिक सन्दर्भ

एक बार यमराज ने अपने यमदूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राणों का हरण करते समय किसी पर दया उमड़ी है? तो वें संकोच में पड़कर बोले, नहीं महाराज! हमें दयाभाव से क्या मतलब? हम तो बस आपकी आज्ञा का पालन करने में लगे रहते हैं। जब यमराज ने उनसे बार-बार यही प्रश्न किया तब उन्होंने संकोच छोड़कर यह बताया कि एक बार ऐसी घटना घटी थी जिससे हमारा हृदय भी कांप उठा था। हिम नामक एक राजा की पत्नी ने जब एक पुत्र को जन्म दिया तब ज्योतिषियों ने नक्षत्र की गणना करके बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा उसके चार दिन के बाद ही मर जाएगा।

यह जानकर राजा ने उस बालक को स्त्रियों की छाया तक से बचाने के लिए यमुना नदी के तट पर एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में पालकर बड़ा किया। संयोगवश, एक दिन जब महाराज हंस की पुत्री यमुना के तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मचारी राजकुमार ने उस पर मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। किंतु विवाह के चार दिन पूरे होते ही राजकुमार की मृत्यु हो गई। अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी। उस नव विवाहता का गरुड़ विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा। हमने जीवन में कभी भी ऐसी सुंदर जोड़ी नहीं देखी थी। वे दोनों साक्षात कामदेव व रति के अवतार मालूम होते थे। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे।

यह सुनकर यमराज ने कहा, क्या करें विधि के विधान के अनुसार उसकी मर्यादा निभाकर हमें ऐसे अप्रिय कार्य करने ही पड़ते हैं। फिर एक यमदूत ने उत्सुकतावश यमराज से पूछा, महाराज क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई भी उपाय नहीं है? ।यमराज बोले, हां उपाय तो है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कथा के पश्चात धनतेरस के दिन यम को दीपदान करने और उनका पूजन करने का प्रचलन प्रारंभ हुआ।

उपर्युक्त आलेख में मैंने धनतेरस के विषय में एक संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करती हूं कि मेरा यह प्रयास आप पाठकों को पसंद आएगा।

धन्यवाद और आभार!

-एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Dhanteras 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva

01. Introduction

The festival of Dhanteras gives advance information about the arrival of Diwali. On this day, Lord Dhanvantari appeared from Kshirsagar with a pot of nectar. On the day of Dhanteras, Lord Dhanvantari is worshipped with great joy with the wish of long life and healthy life. When Lord Dhanvantari, the physician of the gods, appeared after the churning of the ocean, he had a pot full of nectar in his hand. Since then the tradition of buying utensils on the day of Dhanteras started.

Apart from utensils, gold and silver jewelry and expensive metals are also purchased on the day of Dhanteras. Dhanteras is also known as Dhan Trayodashi and Dhanvantari Jayanti. From this day the five-day Panchparva of Diwali begins. It is believed that from this day onwards Mother Lakshmi and Kuberji reside in our homes. On this day, Yamdev is also worshiped and lamps are also donated to Yamraj.

02. Date and auspicious time of Dhanteras worship

This year in 2024, Dhanteras will be celebrated on Tuesday, October 29. The auspicious time for worship is from 06:33 pm to 08:45 pm. Shopping and worship should be done during this time.

03. Method of worship

On the day of Dhanteras, one should take a bath in the morning by applying a paste of turmeric, sandalwood etc. After that, Shodashopachar worship of Lord Dhanvantari should be done in the evening. Along with Lord Dhanvantari, Kuberji and Mother Lakshmi should also be worshipped. In the evening, lamps should be lit at the main entrance and courtyard of the house. After evening, a lamp should be donated in the south direction for Yam Devta. By doing this, one gets freedom from the fear of untimely death.

04. What to buy on Dhanteras?

On the day of Dhanteras, it is considered auspicious to buy new utensils, brass urns, gold and silver ornaments, luxury items and new clothes. Apart from this, it is especially auspicious to buy whole coriander and flower broom on this day. Black and blue colored items, porcelain items, aluminum and iron metal items should not be bought on this day. Flower brooms should also always be bought in odd numbers. It is said that the broom of our house cleans the house and removes negativity and helps in welcoming Goddess Lakshmi. Therefore, there is a special provision to buy brooms and especially flower brooms on this day.

05. Mythological reference of Yamdev’s worship

Once Yamraj asked his Yamdoots whether they ever felt pity for someone while taking away the lives of living beings? Then they said hesitantly, No Maharaj! What do we have to do with pity? We just keep on following your orders. When Yamraj asked him the same question again and again, he left his hesitation and told that once such an incident had happened which had made even our heart tremble. When the wife of a king named Him gave birth to a son, the astrologers calculated the stars and told that whenever this child would get married, he would die within four days.

Knowing this, the king raised that child as a brahmachari in a cave on the banks of river Yamuna to protect him from even the shadow of women. Coincidentally, one day when the daughter of Maharaj Hans was roaming on the banks of Yamuna, that celibate prince got attracted to her and married her in Gandharva style. But after four days of marriage, the prince died. Seeing her husband’s death, his wife started crying bitterly. Hearing the Garuda lamentation of that newly married woman, our heart also trembled. We had never seen such a beautiful couple in our life. Both of them looked like incarnations of Kaamdev and Rati. Our tears were not stopping while taking away the life of that prince.

Hearing this, Yamraj said, what to do, we have to do such unpleasant tasks by fulfilling the rules of the law. Then a Yamdoot asked Yamraj out of curiosity, Maharaj, is there no way to avoid untimely death? Yamraj said, yes there is a way. To get rid of untimely death, a person should worship and give lamps properly on the day of Dhanteras, this will not cause fear of untimely death. After this story, the practice of giving lamps to Yam and worshipping him on the day of Dhanteras started.

In the above article, I have tried to give a brief information about Dhanteras. I hope that you readers will like my effort.

Thanks and gratitude!

-Astro Richa Srivastava.