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व्यापार क्षेत्र की मजबूती कैसे करें? (Hindi & English)

व्यापार क्षेत्र की मजबूती कैसे करें? (Hindi & English)

आपकी जन्म कुंडली में व्यापार या नौकरी अर्थात कर्मक्षेत्र को दसवें स्थान से देखा जाता है। दशम भाव के स्वामी को दशमेश या कर्मेश या कार्येश कहा जाता है। दसवें भाव से यह देखा जाता है कि, जातक सरकारी नौकरी करेगा या प्राइवेट? अगर व्यापार करेगा तो कौन सा व्यापार उसे फलित होगा? और उसे आने वाले भविष्य में किस कर्मक्षेत्र में अधिक सफलता मिल पाएगी? कुंडली का सातवां स्थान आपसी भागीदारी का होता है। इस भाव में अगर मित्र ग्रह विराजमान हों तो पार्टनरशिप से लाभ मिलना अटल रहता है। और अगर शत्रु ग्रह विराजे हुए हैं तो आपसी साझेदारी अधिकांश नुकसान ही देती है। स्वाभाविक मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु होते हैं। शनि, मंगल, राहु, केतु यह चारों ग्रह भी आपस में मित्र स्वभाव धारण करते हैं। सूर्य, बुध, गुरु और शनि दशम भाव के कारक ग्रह हैं। अर्थात कुंडली में दशम स्थान की गणना से पूर्व इनकी पक्की जांच भी अति आवश्यक हो जाती है।

ऐसा भी कहा जाता है कि मन और अवचेतन मन के स्वामी चंद्रमां ग्रह जिस भी राशि में बैठे हुए हों, उस अमुक राशि के स्वामी ग्रह की प्रकृति के आधार पर या चंद्रमां से उसकी युति अथवा दृष्टि संबंध के आधार पर ही कोई भी जातक अपनी आजीविका या कर्मक्षेत्र के कार्य का चयन करता है। शक्तिशाली चंद्रमां से दशम भाव में अगर बृहस्पति ग्रह विराजे हुए हों तो गजकेसरी/राजकेसरी नामक राजयोग का निर्माण होता है। परंतु ऐसा भी माना जाता है कि अगर बृहस्पति उच्च प्रभावी हों या फिर स्वगगृही होकर बैठे हुए हों तो ही अधिक लाभ प्राप्ति संभव बनी रहती है। ऐसा जातक जन्म से यशस्वी, परोपकारी स्वभाव, प्रकृति से धर्मात्मा, अध्ययन में मेधावी, अति गुणवान और भाग्य से राजपूज्य होता है। यदि जन्म लग्न, सूर्यग्रह और दसवां स्थान बलवान हों तथा पाप ग्रहों के प्रभाव में नहीं आते हैं तो जातक शाहीकार्यों से धन कमाता है और आजीवन सर्वसुख एवम सर्वलाभ अवश्य प्राप्त करता है।

अगर लग्न कुंडली के दसवें स्थान में केवल शुभ ग्रह बैठे हुए हों तो अमल कीर्ति नामक शुभ योग निर्मित होता है। परंतु उसके अशुभ भावेश नहीं होने तथा अपनी नीच राशि में नहीं विराजने की स्थिति में ही इस योग का पूर्ण लाभ मिल पाता है। दसवें स्थान के स्वामी ग्रह के शक्तिशाली होने से जीविका की वृद्धि होती है और निर्बल हो जाने की स्तिथि में लगातार हानि पर हानि होती रहती है। लग्न से द्वितीय और एकादश भाव में बली एवं शुभ ग्रह हों तो जातक केवल व्यापार से ही अधिक धन कमा पाता है। धन भाव के स्वामी और लाभ भाव के स्वामी का आपसी परस्पर संबंध कुंडली में धनयोग का निर्माण कर देता है। दसवें स्थान का कारक ग्रह यदि उसी भाव में ही स्थित हो जाए या दसवें स्थान को सीधी दृष्टि से देख रहा हो तो जातक कभी भी खाली नहीं बैठ सकता है। जातक को कोई ना कोई रोजगार की प्राप्ति अवश्यमेव होती है।

आपके व्यापार को 10 गुना बढ़ाने के लिए 5 सरल उपाय

01. बृहस्पतिवार को सवा किलो साबुत उड़द को एक काले कपड़े में डालकर एक पोटली बना लें। अब पोटली को सीधे हाथ में लेकर 1008 बार “शनि” बोलें और पोटली को ऑफिस में ही पवित्र स्थान पर रख दें या लटका दें।

02. शनिवार को सवा किलो चावल लें अब उसमे से थोड़ा चावल सीधी मुट्ठी में लेकर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। अब मुट्ठी वाले चावल को बाकी चावलों के साथ मिलाकर किसी भी पीपल वृक्ष पर अर्पण कर आएं।

03. बुधवार के दिन पंचमुखी भगवान श्रीगणेशजी की बैठी हुई तस्वीर को अपने कार्यस्थल के अंदर स्थान दीजिए और 1 कपूर और 1 लौंग के जोड़े से उन्हें दीप दान कीजिए।

04. मंगलवार के दिन लाल बैल के पैरों की मिट्टी, 4 हल्दी की गांठे, एक मुट्ठी खुशबूदार चावल, एक मुट्ठी सेंधा नमक को एक पीले कपडे में डालकर उसकी पोटली बनाकर अपने ऑफिस में ही पवित्र स्थान पर रख दें या लटका दें।

05. लाल बछड़ी के पैरों की मिट्टी को एक लाल कपड़े में डालकर उसकी पोटली बना लें। अब उस पोटली को ऑफिस के मंदिर में चावल के आसान पर रख लें और नित्य लक्ष्मीजी की स्तुति करा करें।

– गुरु सत्यराम

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How to strengthen business sector? (Hindi & English)

In your birth chart, business or job, i.e., the field of work is seen from the tenth house. The lord of the tenth house is called Dashmesh or Karmesh or Karyesh. It is seen from the tenth house whether the person will do a government job or a private job? If he does business, then which business will be fruitful for him? And in which field of work will he get more success in the future? The seventh house of the horoscope is of mutual partnership. If friendly planets are present in this house, then getting profit from partnership is certain. And if enemy planets are present, then mutual partnership mostly gives losses. Natural friendly planets are Sun, Moon, Mercury, Jupiter. Saturn, Mars, Rahu, Ketu, these four planets also have a friendly nature among themselves. Sun, Mercury, Jupiter and Saturn are the causative planets of the tenth house. That is, before calculating the tenth house in the horoscope, their thorough investigation also becomes very important.

It is also said that the person chooses his livelihood or work field based on the nature of the planet lord of the zodiac sign in which the Moon, the lord of the mind and subconscious mind, is placed or based on its conjunction or aspect with the Moon. If Jupiter is placed in the tenth house from the powerful Moon, then a Rajyoga named Gajkesari/Rajkesari is formed. But it is also believed that if Jupiter is highly influential or is placed in heaven, then only more benefits are possible. Such a person is famous by birth, charitable by nature, religious by nature, brilliant in studies, highly talented and revered by the king by luck. If the birth ascendant, Sun and the tenth house are strong and do not come under the influence of evil planets, then the person earns money from royal works and definitely gets all the happiness and benefits throughout life.

If only auspicious planets are placed in the tenth house of the ascendant horoscope, then an auspicious yoga named Amal Kirti is formed. But the full benefit of this yoga is obtained only when it is not an inauspicious Bhavesh and is not situated in its low zodiac sign. If the lord of the tenth house is strong, the livelihood increases and if it becomes weak, there is continuous loss after loss. If there are strong and auspicious planets in the second and eleventh house from the lagna, then the person is able to earn more money only from business. The mutual relationship between the lord of the wealth house and the lord of the profit house creates Dhanyoga in the horoscope. If the planet responsible for the tenth house is situated in the same house or is looking at the tenth house directly, then the person can never sit idle. The person definitely gets some kind of employment.

5 simple ways to increase your business 10 times

01. On Thursday, put 1.25 kg of whole urad in a black cloth and make a bundle. Now take the bundle in the right hand and say “Shani” 1008 times and keep or hang the bundle in a sacred place in the office itself.

02. Take 1.25 kg rice on Saturday. Now take some rice in your right fist and chant Gayatri Mantra 108 times. Now mix the rice in the fist with the rest of the rice and offer it to any Peepal tree.

03. On Wednesday, place a sitting picture of Panchmukhi Lord Shri Ganeshji in your workplace and donate a lamp to him with 1 camphor and a pair of cloves.

04. On Tuesday, put the soil from the feet of a red bull, 4 turmeric knots, a handful of fragrant rice, a handful of rock salt in a yellow cloth and make a bundle of it and keep it in a sacred place in your office or hang it.

05. Put the soil from the feet of a red calf in a red cloth and make a bundle of it. Now keep that bundle on a seat of rice in the temple of the office and offer prayers to Goddess Lakshmi daily.

– Guru Satyaram