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कार्तिक पूर्णिमा 2024 (Hindi & English)

कार्तिक पूर्णिमा 2024 (Hindi & English)

कार्तिक पूर्णिमा का महात्म्य

Om-Shiva
साल में कुल 12 पूर्णिमाएं होती हैं। जिसमे कार्तिक पूर्णिमा को श्रेष्ठ माना गया है। भविष्य पुराण के अनुसार मासों में कार्तिक माह, और पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा को सर्वोत्तम माना जाता है। क्योंकि ये पूरा माह भगवान विष्णु को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों और कुंडों में स्नान करके भगवान श्रीहरि का जप, तप, ध्यान, दान, पूजन आदि किया जाता है तो अन्य तिथियों से अधिक पुण्यफलों की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों का क्षय होकर, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान करने से ग्रह दोषों की भी शांति होती है। इस दिन सिक्खों के प्रथम गुरु, गुरुनानकदेव जी का अवतरण दिवस भी मनाया जाता है। गुरूद्वारों में दिनभर शब्द-कीर्तन और लंगर-भंडारे चलते हैं।

क्यों मनाते हैं कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली?

उत्तर भारत मे कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव-दीपावली मनाई जाती है। क्योंकि इसी दिन भगवान शिव ने अत्याचारी त्रिपुरासुर का वध करके तीनों लोकों को भयमुक्त किया था। तब भगवान विष्णु ने भगवान शिव को “त्रिपुरारी” नाम दिया था। और देवताओं ने प्रसन्न होकर स्वर्ग में दीपावली मनाई थी। तब से पृथ्वी पर भी देव दीपावली मनाने की प्रथा शुरू हुई। इस दिन नदियों में घी के दिये जलाकर प्रवाहित करना सर्वथा शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इससे पार्वती और शिव पुत्र कुमार कार्तिकेय की देखभाल करने वाली छः कृत्तिकाएं प्रसन्न होती हैं और दुर्भाग्य दूर करती हैं।

इसके अतिरिक्त कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने प्रथम अवतार मत्स्य अवतार लिया था। पुराणों के अनुसार इसी दिन गंगा-गण्डकी के संगम पर हाथी और मगरमच्छ में युद्ध हुआ था, तब विष्णुभक्त गज यानि हाथी की करुण पुकार सुनकर मगरमच्छ का वध करके भगवान विष्णु ने गज के जीवन की रक्षा की थी। इस दिन पितरों की शांति के लिए पूजा-उपासना भी शुभ होती है। महाभारत युध्द के पश्चात पांडवों ने मारे गए योद्धाओं की आत्माओं की शांति के लिए पूजन किया था।

कार्तिक पूर्णिमा तिथि

इस बार कार्तिक पूर्णिमा का व्रत, पूजन, स्नान और दान आदि 15 नवम्बर, दिन शुक्रवार को होगा। स्नान-दान का शुभ मुहूर्त प्रातः 05:00 बजे से 06:02 मिनट तक रहेगा।

सत्यनारायण पूजन मुहूर्त

प्रातः 06:45 से प्रातः 10:45 तक होगा। देव दीपावली और दीपदान सायंकाल 04:45 से 06:05 मिनट तक रहेगा।

पूजन विधि-विधान

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह गंगाजल डालकर स्नान करें। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के आगे शुध्द घी का दीपक जलाएं। कलश में गंगाजल रखें। पीले फूल, पीले फल, पीली मिठाई, पीला चन्दन और तुलसी दल चढ़ाएं। विधिवत पूजन करें।“ॐ नमो नारायणा” मंत्र का यथा शक्ति जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करें। नवग्रहों और पितरों सहित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें। विधिवत पूजन के बाद श्रीविष्णु, श्रीराम या श्रीकृष्ण मंदिर के वृद्ध ब्राह्मण को दान दें। शाम को भगवान शिव का कच्चे दूध से अभिषेक कर पूजन-अर्चन करें। शाम को नदी या तालाब में देशी घी का दिया प्रवाहित करें। घर और मन्दिर को दीप मालाओं से सजाएं। चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दें और खीर का भोग लगाकर पूजा करें । इस प्रकार पूजन-अर्चन करने से कुंडली के सूर्य तथा चन्द्र बलवान होते हैं। राहु-केतु जनित दोषों का शमन होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः यह पूर्णिमा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

कार्तिक पूर्णिमा का पौराणिक संदर्भ

पुराणों में मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की तिथि पर शिवजी ने त्रिपुरा नामक एक भयंकर राक्षस को मारा था। एक बार त्रिपुरा नामक राक्षस ने प्रयागराज में एक लाख वर्ष तक घोर तप किया। इस तपस्या के प्रभाव से सभी चराचर और देवतागण भयभीत हो उठे। सभी देवताओं ने विभिन्न अप्सराओं को भेजकर उसका तप भंग करने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। यह देखकर ब्रह्माजी स्वयं उसके पास गए और वर मांगने के लिए कहा। तब त्रिपुर ने अंतरिक्ष में तीन अलग-अलग नगर बसाए और वह अति शक्तिशाली होकर देवताओं और मनुष्यों को प्रताड़ित करने लगा। सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव से त्रिपुरा और उसके नगरों का नाश करने की प्रार्थना की। जब कार्तिक पूर्णिमा के दिन अभिजीत मुहूर्त में त्रिपुरा और उसके तीनों नगर परिक्रमा करते हुए एक सीध में आए तब भगवान शिव ने अपने दिव्य अस्त्रों से त्रिपुरा सहित उसके तीनों नगरों का सर्वनाश कर दिया। त्रिपुरा के वध के पश्चात सभी देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान शिव को त्रिपुरारि और त्रिपुरान्तक का नाम दिया। उस दिन देवताओं ने तीनों लोकों में दीप जलाकर दीपावली मनाई। तब से इस दिन का महत्व बहुत बढ़ गया। और इसे देव दीपोत्सव के रूप में भी मनाए जाने लगा। पूर्णिमा तिथि सभी पापों का नाश करके अक्षय पुण्य प्रदान करने की एक अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव सहित सभी ग्रह नक्षत्र और देवी-देवताओं के पूजन का विशिष्ट फल मिलता है।

उपर्युक्त आलेख में मैंने कार्तिक पूर्णिमा के बारे में कुछ विशेष जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करती हूं कि आप सुधी पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय अवश्य दें।

धन्यवाद और आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव(ज्योतिष केसरी)

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Kartik Purnima 2024 (Hindi & English)

Significance of Kartik Purnima

Om-Shiva

There are a total of 12 full moons in a year. In which Kartik Purnima is considered the best. According to Bhavishya Purana, Kartik month is considered the best among the months and Kartik Purnima is considered the best among the full moons. Because this whole month is dedicated to Lord Vishnu. It is said that on this day, if one takes a bath in holy rivers and ponds and chants, meditates, donates, worships Lord Shri Hari, then one gets more virtuous results than on other dates. Ganga bath has special significance on this day. It is believed that by taking a bath in the Ganga on this day, all sins are destroyed and one attains Akshaya Punya. Taking a bath in the Ganga on this day also brings peace from planetary defects. On this day, the incarnation day of the first Guru of the Sikhs, Guru Nanak Dev Ji is also celebrated. Shabad-Kirtan and Langar-Bhandaras go on in the gurudwaras throughout the day.

Why do we celebrate Kartik Purnima and Dev Deepawali?

In North India, Dev-Deepawali is celebrated on the day of Kartik Purnima. Because on this day Lord Shiva freed the three worlds from fear by killing the tyrant Tripurasur. Then Lord Vishnu named Lord Shiva as “Tripurari”. And the Gods were happy and celebrated Deepawali in heaven. Since then, the practice of celebrating Dev Deepawali started on earth as well. On this day, lighting ghee lamps and floating them in the rivers is considered auspicious. It is said that this pleases the six Krittikas who take care of Parvati and Shiva’s son Kumar Kartikeya and removes misfortune.

Apart from this, it is said that on this day Lord Vishnu took the first incarnation Matsya Avatar. According to the Puranas, on this day, there was a war between an elephant and a crocodile at the confluence of Ganga-Gandaki, then on hearing the pathetic cry of Vishnu devotee Gaj i.e. elephant, Lord Vishnu killed the crocodile and saved the life of Gaj. On this day, worship is also auspicious for the peace of ancestors. After the Mahabharata war, the Pandavas performed Puja for the peace of the souls of the slain warriors.

Kartik Purnima Tithi

This time the fast, Puja, bath and donation of Kartik Purnima will be on 15 November, Friday. The auspicious time for bath and donation will be from 05:00 am to 06:02 am.

Satyanarayan Pujan Muhurta

Will be from 06:45 am to 10:45 am. Dev Deepawali and Deepdaan will be from 04:45 to 06:05 pm.

Worship Method

On the day of Kartik Purnima, take a bath by adding Gangajal in the morning. Then light a lamp of pure ghee in front of the idol or picture of Lord Vishnu. Keep Gangajal in the Kalash. Offer yellow flowers, yellow fruits, yellow sweets, yellow sandalwood and Tulsi leaves. Perform worship as per the rituals. Chant the mantra “Om Namo Narayana” as per your capacity. Recite Vishnu Sahasranama. Organise the story of Lord Satyanarayan. Meditate on all the deities including the nine planets and ancestors. After proper worship, donate to an old Brahmin of Shri Vishnu, Shri Ram or Shri Krishna temple. In the evening, worship Lord Shiva by anointing him with raw milk. In the evening, float a lamp of pure ghee in a river or pond. Decorate the house and temple with garlands of lamps. After moonrise, offer water to the moon and worship it by offering kheer. By worshipping in this way, the Sun and Moon in the horoscope become strong. The defects caused by Rahu-Ketu are mitigated and the blessings of ancestors are received. Therefore, this Purnima is considered very important.

Mythological reference of Kartik Purnima

It is believed in the Puranas that on the date of Kartik Purnima, Lord Shiva killed a fierce demon named Tripura. Once a demon named Tripura performed severe penance for one lakh years in Prayagraj. Due to the effect of this penance, all living beings and gods became afraid. All the gods tried to break his penance by sending various Apsaras but they could not succeed. Seeing this, Brahma himself went to him and asked him to ask for a boon. Then Tripura established three different cities in the space and he became very powerful and started torturing the gods and humans. All the gods together prayed to Lord Shiva to destroy Tripura and its cities. When Tripura and its three cities came in a straight line while doing Parikrama in Abhijit Muhurta on the day of Kartik Purnima, then Lord Shiva destroyed Tripura and its three cities with his divine weapons. After the killing of Tripura, all the gods were very happy and they named Lord Shiva as Tripurari and Tripurantak. On that day, the gods celebrated Diwali by lighting lamps in all the three worlds. Since then the importance of this day has increased a lot. And it also started being celebrated as Dev Deepotsav. Purnima Tithi is a very important date for destroying all sins and providing Akshay Punya. On this day, worshiping all the planets, stars and gods and goddesses including Lord Vishnu and Lord Shiva gives special results.

In the above article, I have tried to give some special information about Kartik Purnima. I hope you, the wise readers, liked my effort. Please give your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)