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श्री गणेशजी का पूजन क्यों अनिवार्य है? (Hindi & English)

श्री गणेशजी का पूजन क्यों अनिवार्य है? (Hindi & English)

01. हमारे प्रथम आराध्य श्री गणेशजी

हमारे सनातन धर्म में भगवान श्री गणेशजी को प्रथम पूजनीय कहा जाता है। हमारे यहां कोई भी शुभ मांगलिक कार्य बिना गणेशजी के पूजन किए नहीं किया जाता है। हमारे हिन्दू धर्म में “श्री गणेश” करना ही किसी भी कार्य का शुभारंभ करने का द्योतक माना गया है।

02. क्यों हैं श्री गणेशजी प्रथम पूजनीय?

गणेश जी को ब्रह्मा, विष्णु, महेश इत्यादि त्रिदेवों के अलावा समस्त देवी-देवताओं द्वारा अग्र पूजनीय होने का वरदान मिला है। इसका जिक्र विभिन्न पुराणों और धर्म ग्रन्थों में आता है। वेदों में भी यज्ञ-हवनादि से पूर्व गणेशजी का आह्वान करने का विधान है। और हवन यज्ञादि को निर्विघ्न सफल बनाने के लिए सर्व प्रथम गणेशजी का पूजन करना ही अनिवार्य बताया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख है कि सर्वप्रथम भगवान विष्णु ने गणेशजी को अग्रपूज्य और सर्वपूज्य होने का वरदान दिया था।भगवान ने कहा था कि जबतक गणेशजी की पूजा नहीं होगी, अन्य सभी देवी-देवताओं का पूजन भी स्वीकार्य नहीं होगा। पुराणों में उन्हें “विघ्नहर्ता” भी कहा गया है।

03. क्या हमारे पुराणों में भी है उल्लेख?

स्कन्दपुराण में उल्लेख है कि समुद्रमंथन के पूर्व देवताओं ने गणेशजी का पूजन नहीं किया था, तब कालकूट नामक हलाहल विष निकला। और मंथन कार्य में बहुत बड़ा विघ्न उत्पन्न हो गया। तब भगवान शिव ने उस विष को ग्रहण करते समय सभी देवताओं को निर्देश दिया कि जब भी गणेश पूजन के बिना कोई शुभ कार्य किया जायेगा तो विघ्न उत्पन्न अवश्य होगा।

ब्रह्मांड पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने भी गणेशजी को समस्त देवताओं में अग्रपूज्य होने का वरदान दिया था।
गणेश पुराण और लिंग पुराण में उल्लेख है कि जब त्रिपुर नामक राक्षस के वध के समय विघ्न उत्तपन्न होने लगा तो गणेश जी ने समस्त विघ्नों को हरकर त्रिपुर विजय दिलवाई। तब त्रिदेवों नें उन्हें विघ्नहर्ता और अग्रपूज्य होने का वरदान दिया।

ब्रह्मांड पुराण, लिंग पुराण, और स्कन्दपुराण आदि में उल्लेख है कि विवाह, मुंडन, आदि सोलह संस्कारों, यात्रा, व्यापार, गृह प्रवेश, कृषि कर्म, युद्ध, देवता पूजन, यज्ञ और अनुष्ठानों में जो व्यक्ति भक्तिपूर्वक सर्वप्रथम श्री गणेशजी का पूजन करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं।

04. क्यों लगाते हैं श्री गणेशजी को सिंदूर?

भगवान गणेशजी को सिंदूर अवश्य चढ़ाया जाता है। उनकी मूर्तियों पर सिंदूर का लेपन किया जाता है। शिवपुराण के अनुसार जब शिवजी के द्वारा गणेशजी का सर काटे जाने के पश्चात हाथी का सर लगाया गया, तब उसमें पहले से ही सिंदूर का लेपन हो रखा था। माता पार्वती ने जब देखा तो वरदान दिया कि पुत्र! तुम्हारे मुख पर सिंदूर का विलेपन हो रहा है, अतः मनुष्यों द्वारा तुम सिंदूर से पूजे जाओगे। गणेश पुराण में भी एक कथा है कि एक बार बाल्यावस्था में ही गणेशजी ने सिंदूर नाम के दैत्य का वध करके उसके रक्त का अपने शरीर पर लेपन कर लिया था। तब से भगवान गणेश सिंदूर वदन एवम सिन्दूरप्रिय के नाम से विख्यात हुए और भक्त उन्हें सिंदूर लगाने लगे।

05. क्यों चढ़ाते हैं श्रीगणेश को दूब?

इस घटना के बारे गणेश पुराण में ही विभिन्न उल्लेख मिलते हैं। गणेश पुराण की एक कथा के अनुसार एक चांडाली, एक गधा और एक बैल गणेश मंदिर में जाते हैं। अनजाने में ही उनके हाथों से दुर्वा घास गणेशजी की प्रतिमा पर गिर जाती है। जिससे प्रसन्न होकर गणेशजी विमान से उन्हें अपने लोक बुला लेते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार गणेशजी ने बालक रूप में अनलासुर को अपने कंठ में धारण कर लिया था, इससे उनके गले मे तेज जलन होने लगी। तब उस ताप की शांति मुनियों द्वारा इक्कीस दूर्वांकुरों को अर्पण करने पर हुई थी।

गणेश पुराण के उपासना खण्ड में वर्णन है कि मिथिला नरेश जनक के नगर का सम्पूर्ण अन्न भक्षण करने के बाद भी एक कुष्ठ रोगी वेषधारी गणेशजी तृप्त नहीं हो रहे थे। तब त्रिशिरा की चतुर पत्नी विरोचना ने एक दूर्वा में धरती के समस्त व्यंजनों की कल्पना करके गणेशजी को भक्तिपूर्वक भेंट किया। तब कहीं जाकर गणेशजी तृप्त और प्रसन्न हुए थे। इसी प्रकार कौण्डिन्य की पत्नी आश्रया नें भी दूर्वांकुरों द्वारा भगवान गणेशजी को प्रसन्न करने की कथा मिलती है। इस प्रकार से उपर्युक्त कथाएं दूर्वांकुरों के महत्व को बताती हैं। इसीलिए गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए दूब चढ़ाने का विधान बना।

उपर्युक्त आलेख में मैंने भगवान श्री गणेशजी के विषय में एक संक्षिप्त जानकारी प्रदान की है। आप को आलेख कैसा लगा? सुधी पाठक जन कृपया कमेंट के ज़रिए ज़रूर बताएं।

धन्यवाद और आभार !

– ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Why is it mandatory to worship Shri Ganesh Ji? (Hindi & English)

01. Our first deity Shri Ganesh Ji

In our Sanatan Dharma, Lord Shri Ganesh Ji is said to be the first to be worshipped. No auspicious work is done here without worshipping Ganesh Ji. In our Hindu religion, chanting “Shri Ganesh” is considered to be the symbol of starting any work.

02. Why is Shri Ganesh Ji the first to be worshipped?

Ganesh Ji has got the blessing of being worshipped first by all the gods and goddesses apart from the Tridevas like Brahma, Vishnu, Mahesh etc. This is mentioned in various Puranas and religious texts. In the Vedas also, there is a rule to invoke Ganesh Ji before Yagya-Havana etc. And to make Havan Yagya etc. successful without any hindrance, it is said to be mandatory to worship Ganesh Ji first. It is mentioned in Brahmavaivart Purana that first of all Lord Vishnu blessed Ganeshji to be the foremost and the most revered. God had said that till Ganeshji is not worshipped, the worship of all other gods and goddesses will also not be accepted. He is also called “Vighnaharta” in Puranas.

03. Is it mentioned in our Puranas too?

It is mentioned in Skanda Purana that before Samudra Manthan, the gods did not worship Ganeshji, then the poison named Kalakut came out. And a great obstacle arose in the churning work. Then Lord Shiva, while consuming that poison, instructed all the gods that whenever any auspicious work is done without Ganesh worship, then an obstacle will definitely arise.

According to Brahmanda Purana, Lord Krishna also blessed Ganeshji to be the foremost revered among all the gods. It is mentioned in Ganesha Purana and Linga Purana that when obstacles arose while killing a demon named Tripura, Ganesha defeated all the obstacles and helped Tripura win. Then the Tridevas gave him the boon of being the destroyer of obstacles and the first to be worshipped.

It is mentioned in Brahmanda Purana, Linga Purana and Skanda Purana that if a person worships Lord Ganesha first with devotion in sixteen rites like marriage, tonsure, etc., travel, business, housewarming, agricultural work, war, deity worship, yagya and rituals, then all his wishes are fulfilled.

04. Why do we apply sindoor to Shri Ganesh Ji?

Sindoor is definitely offered to Lord Ganesh Ji. Sindoor is applied on his idols. According to Shiv Puran, when Ganesh Ji’s head was cut off by Lord Shiva and an elephant’s head was put on it, it was already coated with sindoor. When Mother Parvati saw this, she blessed him that son! Sindoor is being applied on your face, so you will be worshipped by humans with sindoor. There is also a story in Ganesh Puran that once in his childhood, Ganesh Ji killed a demon named Sindoor and applied his blood on his body. Since then, Lord Ganesh became famous by the name of Sindoor Vadan and Sindoorpriya and devotees started applying sindoor to him.

05. Why do we offer grass to Shri Ganesh?

Various references are found about this incident in Ganesh Puran itself. According to a story in Ganesha Purana, a Chandali, a donkey and a bull go to the Ganesha temple. Unknowingly, Durva grass falls from their hands on the idol of Ganesha. Pleased with this, Ganesha calls them to his world in his plane. According to another story, Ganesha in the form of a child had put Analasur around his neck, due to which he started having severe burning sensation in his throat. Then that heat was relieved when the sages offered twenty-one Durva shoots.

It is described in the Upasana section of Ganesha Purana that even after eating all the food of the city of King Janak of Mithila, Ganesha disguised as a leper was not getting satiated. Then Trishira’s clever wife Virochana imagined all the delicacies of the earth in a Durva and offered it to Ganesha with devotion. Then Ganesha became satisfied and happy. Similarly, there is a story of Kaundinya’s wife Aashraya pleasing Lord Ganesha with Durva shoots. In this way, the above stories tell the importance of Durva shoots. That is why the tradition of offering grass to please Lord Ganesha was made.

In the above article, I have provided a brief information about Lord Shri Ganesha. How did you like the article? Dear readers, please do let us know through comments.

Thanks and gratitude!

– Astro Richa Srivastava

एक स्त्री किन कारणों से अपने पति के लिए भाग्यशाली साबित होती हैं?(Hindi & English)

एक स्त्री किन कारणों से अपने पति के लिए भाग्यशाली साबित होती हैं?(Hindi & English)

हमारे भारतीय सनातन परंपरा में स्त्री को “लक्ष्मी” का दर्जा दिया गया है। लक्ष्मी को सुख, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी कहा जाता है। हमारे यहाँ यह भी कहा जाता है कि स्त्री ही एक “मकान” को “घर” बनाती है। यह भी स्त्रियों के ही हाथ में होता है कि वह घर को “स्वर्ग” बना दें या “नर्क”। साथ ही, हमारे यहां यह भी प्रचलित है कि एक पुरूष की सफलता के पीछे एक औरत का ही हाथ होता है। यदि स्त्री घर का माहौल सुंदर और सुकून वाला बनाकर रखे तो पुरूष घर के प्रति निश्चिंत रहता है और वह आसानी से अपनी नौकरी या व्यापार की जिम्मेदारियों का पूर्ण कौशल से निर्वाह कर सकता है, और अपने जीवन में सफलता की ऊंचाई को प्राप्त कर सकता है। तो आइए , हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे कौन से कारण हैं जो एक स्त्री के माध्यम से उसके पति के लिए सौभाग्य का द्वार खोलते हैं।

01. त्याग

सबसे पहला और महत्वपूर्ण पॉइंट है स्त्री द्वारा किया जाने वाला त्याग। विवाह के बाद स्त्री अपने मायके से जब विदा होती है तो माता, पिता, भाई, बहन आदि रिश्ते-नातों को वह पीछे छोड़ देती है। और बड़ी ही सहजता एवम सरलता से अपने पति के पूरे परिवार को अपना लेती है। अपने परिवार और पति के लिए निजी जीवन में वह कितने छोटे-बड़े त्याग करती है, इसकी गिनती की जाय तो शायद सभी संख्याएं छोटी पड़ जाएंगी।अनेक बार वह अपने पति और परिवार के लिए, अपनी भूख, प्यास, नींद, आराम सबको त्याग करके सभी को सुख पहुंचाने का प्रयास करती है। कई बार महिलाओं को अपने परिवार, पति और बच्चों के लिए अपना अच्छा खासा कैरियर और मोटी तनख्वाह वाली नौकरी भी छोड़ते देखा गया है। पति-परिवार को आर्थिक संकटों से बचाने के लिए अपने स्त्री धन के गहने तक गिरवी रखने या बेचने के अनेक उदाहरण हैं।

02. समर्पण-

एक औरत अपने पति को पूरे हृदय से प्रेम करती है, उसकी सम्पूर्ण दुनियां उसके पति के इर्द गिर्द ही घूमती है। घर की साज सज्जा हो या खुद का बनाव श्रृंगार, वह अपने पति के चॉइस को ही महत्व देती है। यहां तक कि घर मे भोजन, नाश्ता भी अपने पति के पसन्द का ही बनाती है। वह अपने पति की खुशी में ही स्वयं की खुशी समझती है। वह घर का वातावरण ऐसा बनाने का प्रयास करती रहती है कि दिनभर का थका हारा पति घर लौटे तो उसे पूरा आराम मिले और मन प्रसन्न हो जाय। रात्रि में पति की सहचरी बनकर उसके शय्या सुख में भी पूरी तरह से समर्पित होकर उसका साथ देती है, और पति को संतुष्ट करती है।

03. देखभाल-

सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन कोई पुरूष कितना ही कठोर क्यों न हो, उसके भीतर एक नन्हा सा शिशु सदैव छुपा होता है। उसे हमेशा उसी तरह के स्नेह और देखभाल की ज़रूरत होती है जैसे एक माँ अपने बच्चे की करती है। एक समझदार स्त्री अपने पति की हर इच्छा को समझती है और वह उसी तरह से व्यवहार करती है। उसके दुःख तकलीफों में उसका पूरा साथ देती है। रोज़मर्रा के कार्यों में घर की देखभाल के साथ पति के लिए भोजन से लेकर कपड़े, जूते, मोजे, तक की एक दुरुस्त व्यवस्था बनाए रखती है। जब पति बीमार होता है तो वह एक माँ बनकर उसकी दवाइयों और जरूरतों का ख्याल रखती है, यहां तक कि उसके हाँथ-पांव भी दबाती है ताकि पति को सुकून मिले।

04. सहयोग और साथ-

एक सुलझी हुई स्त्री अपने पति के हर कार्य में सहयोग करती है और उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर उसके संघर्ष में उसका साथ देती है। जब कठिन फैसले लेने हों तो एक सच्चे मित्र की तरह उसे सलाह मशवरा देती है। जो पुरूष अपने हर फैसलों में अपनी पत्नी का परामर्श लेते हैं, उन्हें प्रायः सफलता की सीढ़ियों पर आसानी से चढ़ते देखा जा सकता है। एक पुरुष के लिए उसकी पत्नी उसकी वामंगी होती है, पत्नी के सलाह को लिए बगैर उसके निर्णय पूर्ण नहीं होते और तब उसे सफलता भी अधूरी ही मिलती है। वैसे तो स्त्रियां अपने घर गृहस्थी को ही अधिक महत्व देती हैं और उसी में खुश रहती हैं, लेकिन जब कभी घर में आर्थिक संकट आता है तो घर से बाहर जाकर नौकरी या व्यापार करने से भी नहीं झिझकतीं हैं। कई स्त्रियां अपने हुनर का इस्तेमाल करके घर बैठे ही कमाई करती हैं और पति को आर्थिक सहयोग भी देतीं हैं।

इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि एक समझदार नारी अपने वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारी को कुशलता पूर्वक निभाती हुए पुरुष को घर की कई समस्याओं से फ्री रखती है, ताकि पुरुष घर से बाहर निकलकर अपने व्यवसाय, या कैरियर को पूरी तरह से एकाग्र चित्त होकर उड़ान दे सके और सफल हो सके।

हमारे समाज की यह बड़ी विडम्बना रही है कि अनेक पुरुष अपने घर की लक्ष्मी की कद्र नहीं करते, अपनी पत्नी को अपने बराबरी का दर्जा नहीं देते, उसे मूर्ख और खुद से कमतर समझते हैं, जीवन में एक तरफा फैसले लेते हैं। ऐसे लोग अक्सर असफल और लक्ष्मी विहीन ही रहते हैं।

यद्यपि एक सफल पुरुष के जीवन में उसकी पत्नी की भूमिका को मैंने कुछ बिंदुओं में समेटने का प्रयास किया है, लेकिन सुधी पाठक जन कमेंट के ज़रिए अपना नज़रिया भी रख सकते हैं।
आशा करती हूँ मेरा यह प्रयास आपको पसन्द आया होगा।
आभार एवम धन्यवाद।

-एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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What are the reasons why a woman proves to be lucky for her husband?(Hindi & English)

In our Indian Sanatan tradition, a woman has been given the status of “Lakshmi”. Lakshmi is called the goddess of happiness, prosperity and good fortune. It is also said here that a woman makes a “house” a “home”. It is also in the hands of women to make the house “heaven” or “hell”. Also, it is also popular here that a woman is behind the success of a man. If a woman keeps the atmosphere of the house beautiful and peaceful, then the man remains relaxed about the house and he can easily perform the responsibilities of his job or business with full skill, and can achieve the heights of success in his life. So let us try to know what are those reasons which open the door of good fortune for her husband through a woman.

01. Sacrifice

The first and most important point is the sacrifice made by a woman. When a woman leaves her maternal home after marriage, she leaves behind her mother, father, brother, sister and other relations. And with great ease and simplicity, she accepts her husband’s entire family. If we count the number of small and big sacrifices she makes in her personal life for her family and husband, then perhaps all the numbers will fall short. Many times, for her husband and family, she sacrifices her hunger, thirst, sleep, comfort and tries to bring happiness to everyone. Many times, women have been seen giving up their good career and high paying job for their family, husband and children. There are many examples of mortgaging or selling the jewellery of their Stridhan to save their husband and family from financial crises.

02. Dedication-

A woman loves her husband with all her heart, her whole world revolves around her husband. Whether it is decorating the house or her own makeup, she gives importance to her husband’s choice. Even the food and breakfast at home is prepared according to her husband’s choice. She finds her happiness in her husband’s happiness. She tries to create such an atmosphere in the house that when her husband returns home tired after a long day, he gets complete rest and is happy. At night, she becomes her husband’s companion and supports him in his bed pleasures by devoting herself completely, and satisfies her husband.

03. Care-

It may sound strange, but no matter how tough a man is, there is always a little child hidden inside him. He always needs the same kind of affection and care as a mother does for her child. An intelligent woman understands every wish of her husband and behaves accordingly. She supports him completely in his sorrows and troubles. Along with taking care of the house in the daily chores, she maintains a proper system for her husband from food to clothes, shoes, socks. When the husband is sick, she takes care of his medicines and needs like a mother, she even massages his hands and feet so that the husband gets relief.

04. Cooperation and companionship-

A mature woman cooperates with her husband in every task and stands shoulder to shoulder with him in his struggle. When difficult decisions have to be taken, she advises him like a true friend. Men who consult their wives in every decision can often be seen climbing the ladder of success easily. For a man, his wife is his left hand, without taking advice from his wife, his decisions are not complete and then he gets incomplete success. Although women give more importance to their household and remain happy in it, but whenever there is a financial crisis at home, they do not hesitate to go out of the house and do a job or business. Many women earn money sitting at home by using their skills and also provide financial support to their husbands.

In this way we can see that a wise woman, while efficiently fulfilling the responsibility of her married life, keeps the man free from many problems of the house, so that the man can go out of the house and give full concentration to his business or career and become successful.

It has been a big irony of our society that many men do not respect the Lakshmi of their house, do not give their wife equal status, consider her foolish and inferior to themselves, take one-sided decisions in life. Such people often remain unsuccessful and Lakshmi-less.

Although I have tried to summarise the role of a wife in the life of a successful man in a few points, but the intelligent readers can also give their views through comments.

I hope you liked my effort.

Gratitude and thanks.

-Astro Richa Shrivastava

हमारे देश का नाम “भारत” ही क्यों हैं?(Hindi & English)

हमारे देश का नाम “भारत” ही क्यों हैं?(Hindi & English)

हमारे प्यारे देश के नाम भारत में,”भारत” शब्द के उद्भव के कई कारण बताये गए हैं। “भा” संस्कृत में ज्ञान का द्योतक है। जो ज्ञान में रत है वह भारत कहलाता है। हमारे देश में प्रारम्भ से ही ज्ञान की खोज और “अज्ञात” के प्रति शोध-अनुसन्धान की प्रथा रही है। वस्तुतः हमारा देश ज्ञानियों और ऋषि-मुनियों का देश है। जिनकी प्रकांड मेधा से भारत सदा से ही “विश्व” गुरू के पद पर शोभित रहा है। जिनके ज्ञान के प्रकाश से हमारी भारतीय संस्कृति जगमगाती रही है।

हमारी भारतीय संस्कृति में तीन भरत हुए हैं। पहले हुए हैं जड़ भरत जिन्होंने रहूगन को ज्ञान दिया था। वे ज्ञान के प्रतीक एवं ज्ञान योग के सूचक हैं।

दूसरे भरत हुए हैं इक्ष्वाकु वंश के सम्राट दशरथ जी के पुत्र भरत, जिन्होंने अपना सर्वस्व प्रभु श्रीराम जी की भक्ति में अर्पित कर दिया। वे भक्ति की प्रतिमूर्ति हैं अतः वे भक्ति योग के द्योतक हैं।

तीसरे भरत हुए थे देवी शकुंतला एवं श्री चन्द्रवंशी दुष्यंत के पुत्र भरत, जिन्होंने अपने पराक्रम से पूरे विश्व पर विजय पायी थी। वे कर्म पर विश्वास रखते थे इसलिए वे कर्मयोग के प्रवर्तक हैं।

हमारे इस प्यारे देश का नाम भारत तीनो के सामंजस्य से हुआ है। अर्थात हमारा देश कर्म योग, भक्ति योग एवं ज्ञान योग का मिश्रण है जो विश्व में अन्य किसी भी देश को प्राप्त नहीं है।

भारत देश की मिटटी में एक सौंधी सुगन्ध होती है ,वह सुगन्ध किसी और देश में नही पाई जाती है। यह खुशबु ज्ञान की है, यह सुगन्ध हजारों वर्षों से चली आ रही हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत की है।

हमें गर्व है कि हम भारत देश के वासी हैं। हम भारतीय हैं। इंडिया शब्द अंग्रेजों(ब्रिटिश) का दिया हुआ है जोकि पूर्णतः केवल गुलामी का ही सूचक है। हिंदुस्तान भी विदेशियों की देन है। हमें इंडिया एवं हिंदुस्तान छोड़ कर भारत को अपनाना होगा।आइए हम संकल्प करें कि हम सभी देशवासी केवल भारतीय बनें, इंडियन नहीं। जय भारत।

– एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Why is our country named “Bharat”?(Hindi & English)

There are many reasons given for the origin of the word “Bharat” in the name of our beloved country, Bharat. “Bha” in Sanskrit signifies knowledge. One who is absorbed in knowledge is called Bharat. In our country, there has been a tradition of seeking knowledge and research on the “unknown” since the beginning. In fact, our country is a country of learned people and sages. Due to their immense intellect, India has always been adorned with the position of “world” guru. Our Indian culture has been shining with the light of their knowledge.

There have been three Bharats in our Indian culture. The first was Jad Bharat who imparted knowledge to Rahugan. He is the symbol of knowledge and the indicator of Gyan Yoga.

The second Bharat was Bharat, son of Emperor Dasharath of Ikshwaku dynasty, who dedicated his entire being to the devotion of Lord Shri Ram. He is the embodiment of devotion, hence he is the indicator of Bhakti Yoga.

The third Bharat was the son of Goddess Shakuntala and Shri Chandravanshi Dushyant, who conquered the whole world with his valour. He believed in karma, hence he is the originator of Karma Yoga.

The name of our beloved country Bharat is derived from the harmony of all three. That is, our country is a mixture of Karma Yoga, Bhakti Yoga and Gyan Yoga, which no other country in the world has.

The soil of India has a sweet fragrance, that fragrance is not found in any other country. This fragrance is of knowledge, this fragrance is of our glorious cultural heritage that has been going on for thousands of years.

We are proud that we are residents of India. We are Indians. The word India has been given by the British, which is completely indicative of slavery. Hindustan is also a gift of foreigners. We have to leave India and Hindustan and adopt Bharat. Let us pledge that all of us countrymen should become only Indians, not Indians. Jai Bharat.

– Astro Richa Shrivastava