ऐसा करेंगे तो केतू ग्रह आजीवन हेतु खराब हो सकते हैं (Hindi & English)
भारतीय वैदिक सनातन ज्योतिष में केतुग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। लेकिन ऐसा भी कहना सही नहीं है कि केतुदेव के द्वारा जातक को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त होते हैं। केतुग्रह के द्वारा जातक को अत्यधिक शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह एकमात्र ग्रह आध्यात्म मार्ग, वैराग्य प्रणाली, मोक्ष निष्ठा, सात्विक तांत्रिक क्रियाओं आदि का कारक होता है। ज्योतिष विद्या में केतुग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु(9) राशि केतुदेव की उच्च राशि होती है, जबकि मिथनु(3) राशि में यह ग्रह नीच भाव को प्राप्त होता है। वहीं 27 नक्षत्रों में केतुग्रह अश्विनी नक्षत्र, मघा नक्षत्र और मूल नक्षत्र के स्वामी होते हैं। राहुग्रह की भांति यह भी एक छाया ग्रह है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतुग्रह स्वरभानु राक्षस का धड़ है। जबकि इसके सिर वाले भाग को राहु कहा जाता है।
सनातन ज्योतिष विद्या के अनुसार केतुग्रह व्यक्ति के जीवन क्षेत्र तथा समस्त सृष्टि को भी प्रभावित करता है। राहुदेव और केतुदेव दोनों लग्न जन्म कुण्डली में कालसर्प नामक दोष का निर्माण करते हैं। वहीं आकाश मंडल में केतुदेव का प्रभाव वायव्य कोण नामक दिशा में माना गया है। कुछ अनुभवी ज्योतिष विद्वानों का ऐसा मानना है कि केतुग्रह की कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण जातक अपने जीवन में यश के शिखर तक अवश्य पहुँच सकता है। राहुदेव और केतुदेव के कारण सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण होता है।
जैसा की स्पष्ट है कि जब केतुग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं होती इसलिए केतुग्रह जिस भी राशि में बैठता है वह उसी के अनुरूप फल देता है। इसलिए केतुग्रह का प्रथम भाव अथवा लग्न में फल को वहाँ स्थित राशि पूर्णतः प्रभावित करती है। कुछ ज्योतिष विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि कुंडली में प्रथम भाव का केतुग्रह जातक को साधू बना देता है। यह जातकों को कलयुग के समस्त भौतिक सुखों से बहुत दूर ले जाता है। इसके विषम प्रभाव से जातक केवल अकेले रहना ही पसंद करता है। वहीं दूसरी तरफ यदि लग्न(प्रथम) भाव में वृश्चिक(8) राशि हो तो जातक को इसके सम और सकारात्मक प्रभाव एवम परिणाम भी देखने को मिलते हैं।
केतुग्रह के अत्यधिक पीड़ित होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जातक के सामने अचानक कोई न कोई बाधा अवश्य आ ही जाती है। जातक किसी भी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे अपने स्वयं के निर्णयों के प्रति ही असफलता का सामना करना पड़ता है। केतुग्रह के कमज़ोर होने पर जातकों के पैरों में कमज़ोरी अवश्य आती है। पीड़ित केतुग्रह के कारण जातक को अपने नाना और मामा का प्यार नहीं मिल पाता है अर्थात, या तो मनमुटाव हो जाते हैं या शारीरिक दूरियां बढ़ जाती हैं। आइए अब जानते हैं वह 07 गलतियां जो आपके केतुग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी।
07 गलतियां जो आपके केतू ग्रह को हमेशा के लिए खराब कर देंगी
01. बहुत लंबे समय तक व्यर्थ में किसी भी व्यक्ति को लेकर उनके पीठ पीछे उनकी बुराई करते रहना।
02. आचार, खट्टी – मीठी नमकीन या किसी भी तरह के खट्टे खाद्य पदार्थों को उपहार रूप में भेंट करना।
03. बहुत लंबे समय तक छाती के बल रात्रि शयन करना या रात्रि शयन से पूर्व व्यर्थ में विलाप करना।
04. घर में या घर से बाहर कुत्तों को कष्ट देना। घर के पालतू कुत्ते का स्थान घर की छत पर बना देना।
05. उत्तम गुरु के मार्गदर्शन के अभाव में अपनी इच्छा से किसी भी मंत्र को जपना शुरू कर देना, हवन करना या नवग्रहों के उपाय करना।
06. गुरु मार्गदर्शन के अभाव में या बगैर ग्रहों की जांच करवाए निः संतान व्यक्ति की जमीन खरीदना, मकान खरीदना या किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी का लेन देन करना।
07. बहुत लंबे समय तक घर की खाट को उल्टा खड़ा करना। गौमाता को झूठा, बासी, बचा हुआ या उतारे की सामग्री खिलाते रहना।
-गुरु सत्यराम
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If you do this, Ketu Graha can be bad for life (Hindi & English)
In Indian Vedic Sanatan Astrology, Ketu Graha is considered an inauspicious planet. But it is not right to say that the native always gets bad results from Ketu Dev. The native also gets extremely auspicious results from Ketu Graha. This is the only planet that is a factor of spiritual path, asceticism system, Moksha devotion, Satvik Tantric activities etc. In astrology, Ketu Graha does not have ownership of any zodiac sign. But Sagittarius (9) is the high zodiac sign of Ketu Dev, while this planet gets the low house in Gemini (3) zodiac. At the same time, among the 27 constellations, Ketu Graha is the lord of Ashwini constellation, Magha constellation and Mool constellation. Like Rahu Graha, it is also a shadow planet. According to Vedic scriptures, Ketu Graha is the torso of Swarbhanu demon. While its head part is called Rahu.
According to Sanatan Jyotish Vidya, Ketu Graha affects the life sphere of a person and the entire universe. Both Rahu and Ketu create a defect called Kalsarp in the Lagna Janam Kundali. Whereas in the sky, the effect of Ketu is considered to be in the direction called Vayavya Kon. Some experienced astrology scholars believe that due to some special circumstances of Ketu Graha, the native can definitely reach the peak of fame in his life. Solar eclipse and lunar eclipse occur due to Rahu and Ketu.
As it is clear that when Ketu Graha does not have any fixed zodiac sign, so whatever zodiac Ketu Graha sits in, it gives results according to that. Therefore, the results of Ketu Graha in the first house or Lagna are completely affected by the zodiac sign present there. Some astrology scholars also believe that Ketu Graha in the first house in the horoscope makes the native a sadhu. It takes the natives far away from all the material pleasures of Kaliyug. Due to its adverse effect, the native only likes to stay alone. On the other hand, if Scorpio (8) is in the Lagna (1st) Bhav, then the native gets to see its equal and positive effects and results.
Due to the extreme affliction of Ketu Graha, the native has to face many types of problems. Suddenly some obstacle definitely comes in front of the native. Whatever decision the native takes for any work, he has to face failure in his own decisions. When Ketu Graha is weak, the native definitely gets weakness in his legs. Due to the afflicted Ketu Graha, the native does not get the love of his maternal grandfather and maternal uncle, that is, either there are differences or physical distances increase. Let us now know those 07 mistakes which will spoil your Ketu Graha forever.
07 Mistakes which will spoil your Ketu Graha forever
01. Talking ill about any person behind their back for a very long time in vain.
02. Presenting pickles, sweet-sour namkeen or any sour food items as gifts.
03. Sleeping on the chest for a very long time at night or lamenting in vain before going to sleep at night.
04. Hurting dogs inside or outside the house. Make the place of the pet dog on the roof of the house.
05. In the absence of the guidance of a good Guru, starting to chant any mantra of your own will, performing havan or doing remedies for the nine planets.
06. Buying land, buying a house or any kind of property transaction of a childless person in the absence of Guru’s guidance or without getting the planets checked.
07. Standing the cot of the house upside down for a very long time. Feeding leftover, stale, leftover or udara material to the cow.
-Guru Satyaram