ज्योतिष में कुछ प्रमुख योग- भाग 04 (Hindi & English)
Om-Shiva
आज मैं जन्म कुंडली में बनने वाले प्रमुख शुभ योगों की श्रृंखला की चौथी कड़ी प्रस्तुत करने जा रही हूं। ऐसे तो ज्योतिष शास्त्र में अनगिनत शुभ योगों की चर्चा है। किंतु मैं यहां सभी योगों में से सर्वाधिक प्रचलित योगों की प्रस्तुति करने जा रही हूं।
01. सौभाग्य योग
यदि पत्रिका के नवम भाव में शुभ ग्रह हों और नवम का स्वामी नीच अथवा अस्तगत ना हो, और वह किसी शुभ घर में बैठा हो। साथ ही नवम भाव पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो सौभाग्य योग बनता है। ऐसे योग वाला जातक धार्मिक, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होता है। जीवनभर उसे भाग्य का साथ मिलता रहता है और वह सुखमय जीवन व्यतीत करता है।
02. मान योग
यदि जन्म कुंडली के दसवें भाव में शुभ ग्रह हों, और दसवें भाव का स्वामी नीच अथवा अस्तगत ना हो। दसवें भाव का स्वामी स्वक्षेत्रीय हो या उच्च के घर में हो, तो ऐसा व्यक्ति समाज में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त नेता या अफसर होता है। वह अपने विरासत को आगे बढ़ाता है। समाज में उसका बहुत मान सम्मान रहता है।
03. शुभ लाभ योग
यदि पत्रिका के एकादश भाव में शुभ ग्रह हों, और एकादश का स्वामी अपने उच्च के घर में हों, और उसे शुभ ग्रह देखते हों, तो ऐसे योग वाले जातक को आजीवन व्यापार से, मित्रों से और रिश्तेदारों से किसी न किसी रूप में लाभ प्राप्त होता रहता है।
04. नीच भंग राजयोग
ज्योतिष शास्त्र में यह अत्यंत प्रसिद्ध और क्रियामूलक(functional) राजयोग है। नीच भंग राजयोग बनने की कई सारी शर्ते हैं। जो निम्न प्रकार से हैं।
(क) जब कोई नीच का ग्रह जिस घर में बैठता है उस घर का मालिक यदि अपने उच्च के घर में हो, और केंद्र में स्थित हो तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है
(ख) यदि कोई ग्रह अपने नीच के घर पर बैठा हो, और उस घर का मालिक उस नीच ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देखता है तो नीच भंग राजयोग बनता है।
(ग) यदि नीच की राशि में स्थित ग्रह नवांश कुंडली में अपने उच्च राशि में हो, तो भी नीच भंग हो जाता है।
(घ) कोई ग्रह जिस भी नीच राशि में हो, उस नीच राशि का स्वामी जन्म लग्न से केंद्र में हो, साथ ही जो ग्रह नीच हो रहा हो, उस ग्रह की उच्च राशि का स्वामी भी केंद्र भाव में कहीं भी उपस्थित हो, तब यह प्रबल नीच भंग राजयोग का निर्माण करेगा।
(च) नीच राशि के स्वामी तथा नीच ग्रह जहां उच्च राशि का होता है उसका स्वामी दोनो ही, चंद्रमा ग्रह से केंद्र भावों में कहीं भी स्थिति हों तब भी पूर्ण नीच भंग राजयोग होता है।
(छ) एक नीच राशि में स्थित ग्रह परस्पर अपने से सातवीं राशि में स्थित नीच ग्रह को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो, ऐसी स्थिति में दोनों नीच स्थित ग्रहों का पूर्ण नीच भंग हो जाएगा।
(ज) नीच राशि में स्थित ग्रह के साथ यदि उस राशि का स्वामी दृष्टि अथवा युति संबंध बनाता हो, ऐसे में नीच राशि ग्रह का पूर्ण नीच भंग हो जाएगा।
नीच भंगराज योग के प्रभाव का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि ऐसे जातक जीवन के पूर्वार्ध में संघर्ष व अभाव की अग्नि में तपकर, धीरे-धीरे अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए अपनी इच्छा अनुरूप समाज में अपने स्थान को बनाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के भीतर उत्तरोत्तर धार्मिक प्रवृत्ति का विकास होता है। उसमें दान, परोपकार आदि सात्विक गुणों की वृद्धि होती रहती है। प्राय: ऐसे जातक प्रतिष्ठित संत, मठाधीश, तपस्वी, समाजसेवी, राजनेता और चिकित्सक के रूप में अधिक सफलता प्राप्त करते देखे गए हैं।
आज के उपर्युक्त आलेख में मैनें ज्योतिष के कुछ प्रमुख शुभ योगों का उल्लेख किया है। आशा करती हूं कि आप पाठकों को मेरा यह प्रयास पसंद आया होगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय अवश्य दें।
धन्यवाद और आभार।
एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)
++++++++++++++++++++++++++++++++++++++
Some major yogas in astrology – Part 04 (Hindi & English)
Om-Shiva
Today I am going to present the fourth part of the series of major auspicious yogas formed in the birth chart. There are countless auspicious yogas discussed in astrology. But here I am going to present the most popular yogas among all the yogas.
01. Saubhagya Yoga
If there are auspicious planets in the ninth house of the horoscope and the lord of the ninth house is not low or setting, and it is sitting in an auspicious house. Also, if there is an auspicious planet’s sight on the ninth house, then Saubhagya Yoga is formed. A person with such yoga is religious, honest and dutiful. He gets the support of luck throughout his life and he lives a happy life.
02. Maan Yoga
If there are auspicious planets in the tenth house of the birth chart, and the lord of the tenth house is not low or setting. If the lord of the tenth house is in its own house or in an exalted house, then such a person is a leader or officer with high reputation in the society. He takes his legacy forward. He is respected a lot in the society.
03. Shubh Labh Yoga
If there are auspicious planets in the eleventh house of the horoscope, and the lord of the eleventh house is in its exalted house, and auspicious planets are looking at it, then the person with such yoga keeps getting benefits in some form or the other from business, friends and relatives throughout his life.
04. Neech Bhang Rajyoga
This is a very famous and functional Rajyoga in astrology. There are many conditions for the formation of Neech Bhang Rajyoga. Which are as follows.
(a) When the owner of the house in which a debilitated planet sits, is in its exalted house, and is situated in the center, then Neech Bhang Rajyoga is formed.
(b) If a planet is sitting in its debilitated house, and the owner of that house looks at that debilitated planet with full sight, then Neech Bhang Rajyoga is formed.
(c) If a planet situated in a debilitated sign is in its exalted sign in the Navamsha Kundli, then also the debilitation gets dissolved.
(d) If the lord of the debilitated sign in which a planet is debilitated is in the center from the birth lagna, and also if the lord of the exalted sign of the planet which is getting debilitated is also present anywhere in the center house, then this will create a strong Neech Bhang Rajyoga.
(f) If the lord of the debilitated sign and the lord of the exalted sign of the debilitated planet are both situated anywhere in the center houses from the Moon, then also complete Neech Bhang Rajyoga takes place.
(g) If a planet situated in a debilitated sign is looking at the debilitated planet situated in the seventh sign from it with full sight, then in such a situation the complete debilitation of both the planets situated in the debilitated sign will be dissolved.
(h) If the lord of that sign makes a sight or Yuti relation with the planet situated in the debilitated sign, then the complete debilitation of the planet in the debilitated sign will be dissolved.
By studying the effect of Neech Bhangraj Yoga, it is known that such natives, after suffering in the fire of struggle and deprivation in the first half of their life, gradually walk on the path of achieving their goals and make their place in the society according to their wish. Such persons gradually develop a religious tendency. Satvik qualities like charity, philanthropy etc. keep on increasing in them. Usually such natives have been seen achieving more success as renowned saints, heads of religious monasteries, ascetics, social workers, politicians and doctors.
In today’s above article, I have mentioned some major auspicious yogas of astrology. I hope that you readers would have liked my effort. Please give your opinion through comments.
Thanks and gratitude.
Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)