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गोवर्धन पूजन पर्व 2024 (Hindi & English)

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October 31, 2024

गोवर्धन पूजन पर्व 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva

अन्नकूट अथवा गोवर्धन पूजन पर्व हमारी लोक संस्कृति का प्रमुख हिस्सा है। इस पर्व को मनाने का उद्देश्य गऊ यानि पृथ्वी और गऊ यानि गाय वंश की उन्नति और उनके संवर्धन से जुड़ा हुआ है। अन्नकूट का महोत्सव और गोवर्धन पूजा दोनों ही कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाए जाते हैं। बृजवासियों के लिए यह मुख्य त्यौहार है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का पर्व यूं तो अति प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। लेकिन आज जो विधान मौजूद है वह भगवान श्रीकृष्ण के इस धरा पर अवतरित होने के बाद द्वापरयुग से आरंभ हुआ है।

क्यों मनाते हैं अन्नकूट और गोवर्धन पर्व?

उल्लेखनीय है कि यह पूजन पशुधन व अन्य आदि के भंडार की वृद्धि के लिए मनाया जाता है। पुराणों में इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु, गणपति आदि देवताओं की पूजा करने का उल्लेख मिलता है। ऋषि मुनियों के अनुसार अन्नकूट और गोवर्धन उत्सव भगवान श्री हरि विष्णुजी की प्रसन्नता के लिए मनाना चाहिए। इस पूजन से गऊवंश का कल्याण होता है और पुत्र, पौत्रादि संततियों में वृद्धि होती है, ऐश्वर्य सुख एवम भोग की प्राप्ति होती है। कार्तिक महीने में जो कुछ भी होम, जप, पूजन-अर्चन किया जाता है, इन सब के पूर्ण फल प्राप्ति हेतु गोवर्धन पूजन अवश्य करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि गोवर्धन पूजा के दिन भगवान विश्वकर्माजी की भी पूजा की जाती है। सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों और कृषि यंत्रों की भी पूजा की जाती है।

पूजन का विधि-विधान

यह पर्व दीपावली के ठीक दूसरे दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को मनाया जाता है। इस दिन प्रातः काल शरीर पर तेल और उबटन आदि लगाकर स्नान करना चाहिए। फिर घर के द्वार पर गऊ के गोबरधन से गोवर्धन बनाना चाहिए। गोवर्धन गोबरधन से एक लेटे हुए पुरुष की आकृति के रूप में बनाए जाते हैं। नाभि के स्थान पर मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है। इस मिट्टी के दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं। पूजन करते समय धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाए जाने चाहिएं।

गोवर्धन पूजा सुबह अथवा शाम को करनी चाहिए। इस दिन गाय, बैल और कृषि के काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है। पूजन के पश्चात सब में प्रसाद वितरण किया जाता है और पुरोहित को दान-दक्षिणा आदि देकर विदा किया जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन देशभर के मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट के भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में भोजन प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

वर्ष 2024 गोवर्धन/अन्नकूट पूजन तिथि और मुहूर्त

वर्ष 2024 में गोवर्धन पूजा 02 नवंबर दिन शनिवार को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा का प्रातःकाल का मुहूर्त सुबह 06:34 से सुबह 08:46 तक होगा। गोवर्धन पूजा का सायंकाल का मुहूर्त दोपहर 02:30 से शाम 05:34 तक होगा।

गोवर्धन पूजन का पौराणिक सन्दर्भ

वैदिक काल में इंद्र सर्वश्रेष्ठ देवता थे। ऐसी मान्यता थी कि उनकी ही कृपा से वर्षा होती है जिसके कारण धरती पर अन्न पैदा होता है। द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के समय में भी ब्रज के लोग इंद्र की पूजा करते थे। इंद्र को अपनी शक्ति पर अत्यंत अभिमान हो गया था। श्रीकृष्ण ने इंद्र को सबक सिखाने के लिए यह पूजा बंद कर दी और ब्रज में स्थित गोवर्धन पर्वत पर चले गए। वहां पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन का रूप धरकर पूरे बृजवासियों को विभिन्न प्रकार के अन्नों का मिश्रण बनाकर भोजन कराया और सबकी भूख मिटाकर संतुष्ट किया। इससे इंद्र बहुत रुष्ट हो गए और ब्रजमंडल में इतनी वर्षा करी की चारों तरफ पानी-पानी हो गया। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली से गोवर्धन पहाड़ को उठा लिया और उसके नीचे सभी गोपियों, गाय और बछड़ों को रखकर वर्षा से सबकी रक्षा करी। यह देखकर इंद्र का अभिमान टूट गया और उन्हें अपनी हार माननी पड़ी। वर्षा समाप्त हो जाने पर भगवान श्रीकृष्ण सबको लेकर ब्रज में लौटे तभी से अन्नकूट और गोवर्धन की यह पूजा होने लगी।

इस पर्व का नाम गोवर्धन क्यों पड़ा?

जब गोवर्धन पर्वत पर बहुत सारे गऊ और बछड़े इकट्ठे हो गए थे। तब सब जगह गोबर ही गोबर हो गया था। गोवर्धन पर्वत भी गोबर के एक बहुत बड़े पहाड़ जैसा दिखने लगा था। इसलिए इस दिन गोबर से पहाड़ की आकृति बनाकर गोवर्धन का रूप बनाया जाता है और गोधूलि के समय इसकी पूजा की जाती है और परिक्रमा करी जाती है।

उपर्युक्त आलेख में मैंने गोवर्धन पूजा अथवा अन्नकूट पूजन के विषय में कुछ जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करती हूं कि, मेरा यह प्रयास आप पाठकों को पसंद आएगा। कृपया कमेंट के जरिए अपनी राय अवश्य बताएं।

धन्यवाद और आभार।

एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव (ज्योतिष केसरी)

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Govardhan Pujan Festival 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva

Annakoot or Govardhan Pujan festival is an important part of our folk culture. The purpose of celebrating this festival is related to the progress and promotion of Gau i.e. Earth and Gau i.e. Cow clan. Both Annakoot Festival and Govardhan Puja are celebrated on Kartik Shukla Pratipada. This is the main festival for the people of Brij. The festival of Annakoot or Govardhan Puja has been celebrated since ancient times. But the law that exists today started from Dwaparyuga after Lord Krishna descended on this earth.

Why do we celebrate Annakoot and Govardhan festival?

It is noteworthy that this worship is celebrated to increase the stock of livestock and others. In the Puranas, there is a mention of worshiping gods like Indra, Varun, Agni, Vayu, Ganapati etc. on this day. According to the sages and saints, Annakoot and Govardhan festival should be celebrated for the happiness of Lord Shri Hari Vishnuji. This worship brings welfare to the cow family and increases the number of sons, grandsons, progeny, attainment of wealth, happiness and enjoyment. Whatever hom, jaap, worship and prayer is done in the month of Kartik, Govardhan Puja must be done to get the full fruits of all these. It is worth mentioning that Lord Vishwakarma is also worshipped on the day of Govardhan Puja. Machines and agricultural equipment are also worshipped in all factories and industries.

Procedure of worship

This festival is celebrated on the first day of Shukla Paksha of Kartik month, the day after Diwali. On this day, one should take a bath in the morning after applying oil and ubtan on the body. Then Govardhan should be made from cow dung at the door of the house. Govardhan is made from cow dung in the form of a lying man’s figure. An earthen lamp is placed at the place of the navel. Milk, curd, Ganga water, honey, batasha etc. are put in this earthen lamp while performing the worship and later distributed as prasad. While performing the puja, incense, lamps, offerings, water, fruits etc. should be offered.

Govardhan Puja should be performed in the morning or evening. On this day, cows, bulls and animals used in agriculture are worshipped. After the puja, prasad is distributed among all and the priest is bid farewell by giving donations etc. On the day of Govardhan Puja, religious events and Annakoot Bhandara are held in temples across the country. After the puja, food is distributed among the people as prasad. On the day of Govardhan Puja, circumambulating the Govardhan mountain has great significance. It is believed that by circumambulating the Govardhan mountain, one gets the blessings of Lord Krishna.

Year 2024 Govardhan/Annakoot Puja Date and Muhurta

In the year 2024, Govardhan Puja will be celebrated on 02 November, Saturday. The morning muhurta of Govardhan Puja will be from 06:34 am to 08:46 am. The evening muhurat of Govardhan Puja will be from 02:30 pm to 05:34 pm.

Mythological reference of Govardhan Puja

In the Vedic period, Indra was the best god. It was believed that it is due to his grace that it rains, due to which food grains are produced on earth. In Dwaparyug, even during the time of Lord Krishna, the people of Braj used to worship Indra. Indra had become very proud of his power. To teach Indra a lesson, Shri Krishna stopped this worship and went to Govardhan mountain located in Braj. There, Shri Krishna took the form of Govardhan and fed the entire Brajvasis by making a mixture of different types of grains and satisfied everyone by satiating their hunger. This made Indra very angry and he rained so much in Braj Mandal that there was water all around. Then Shri Krishna lifted the Govardhan mountain with his little finger and kept all the gopis, cows and calves under it and protected everyone from the rain. Seeing this, Indra’s pride broke and he had to accept his defeat. When the rains ended, Lord Krishna returned to Braj with everyone, since then this worship of Annakoot and Govardhan started.

Why was this festival named Govardhan?

When many cows and calves gathered on Govardhan mountain. Then there was cow dung everywhere. Govardhan mountain also started looking like a very big mountain of cow dung. Therefore, on this day, Govardhan is made by making a mountain shape with cow dung and it is worshipped at dusk and circumambulation is done.

In the above article, I have tried to give some information about Govardhan Puja or Annakoot Puja. I hope that you readers will like my effort. Please tell your opinion through comments.

Thanks and gratitude.

Astro Richa Srivastava (Jyotish Kesari)

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