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Author: Guru Satyaram

श्री गणेश चतुर्थी 2024(Hindi & English)

श्री गणेश चतुर्थी 2024(Hindi & English)

हमारे सनातन धर्म में सर्वप्रथम पूजनीय श्री गणेश जी के पूजन का विस्तृत विधान है। गणेश, गजानन या गणपति के श्रीपूजन और आह्वान के मंत्रों का वेदों में भी वर्णन है। मूलतः श्रीगणपति पंच वैदिक देवों में से एक माने जाते हैं। हमारे सनातन धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य का शुभारंभ सर्वप्रथम श्रीगणेश पूजन से ही किया जाता है। ये सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। अतः किसी शुभ कार्य के आरंभ को “श्री गणेश करना” भी कहते हैं।

भविष्य पुराण में यह कहा गया है कि जब-जब मनुष्य भारी संकट और कष्ट में हो, या निकट भविष्य में किसी बड़ी विपदा की आशंका हो तो उसे चतुर्थी के व्रत करने चाहिए। इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होकर, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी?

कहा जाता है कि इंद्रदेव की पत्नी देवी रति द्वारा दिये गए श्राप के कारण देवी पार्वती अपने गर्भ से संतान को जन्म नहीं दे सकतीं थीं। अतः जब शिव ध्यानावस्था में कई वर्षों के लिए समाधि में चले गए तब पार्वती अपने एकांत के कारण घबरा उठीं। एक दिन वे उबटन स्नान कर रहीं थीं। तब शरीर से उतरे उबटन से उन्होंने एक बालक की आकृति बनाई और अपने योग शक्ति से उसमें प्राण डाल दिए। इस प्रकार गणेश जी का जन्मावतार हुआ। उस दिन भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि थी। तब से इस दिन को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

क्यों रखे जाते हैं 10 दिनों तक गणपति?

यह कथा महर्षि वेदव्यास के महाभारत लेखन से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से महर्षि वेदव्यास द्वारा प्रार्थना करने पर गणेश जी नें महाभारत के श्लोकों को लिपिबद्ध करना प्रारम्भ किया था। इस कार्य में उन्हें 10 दिन लगे थे। 10 दिनों तक लगातार एक ही मुद्रा में बैठे रहने से उनके शरीर पर धूल मिट्टी जम गई थी और शरीर मे अकड़न हो गयी थी। तब वे सरस्वती नदी में में स्नान करके स्वच्छ हुए। इस कार्य में उन्हें 10 दिन लगे थे। 10 दिनों तक लगातार एक ही मुद्रा में बैठे रहने से उनके शरीर पर धूल मिट्टी जम गई थी और शरीर मे अकड़न हो गयी थी। तब वे सरस्वती नदी में में स्नान करके स्वच्छ हुए। उस दिन अनन्त चतुर्दशी थी। तब से दस दिनों तक गणपति को विराजमान करा के ग्यारहवें दिन उनके विसर्जन की परिपाटी शुरू हुई।

आज भारत के कई राज्यों में बड़े बड़े पंडाल लगाकर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करके बहुत ही धूमधाम से दस दिनों तक यह त्यौहार मनाने की परंपरा है। वर्ष 2024 में गणेश चतुर्थी दिन शनिवार, 7 सितंबर को मनाई जायेगी।

क्या है गणेश चतुर्थी व्रत की कथा?

सतयुग में नल नामक एक बहुत पराक्रमी राजा थे, जिनकी दमयंती नामक अत्यंत रूपवती पत्नी थी और एक बहुत आज्ञाकारी पुत्र भी था। राजा अपने परिवार में सभी सुखों को भोगते हुए कुशलता पूर्वक अपने राज काज में सलंग्न रहते थे। एक बार कालचक्र की विषम परिस्थितियों के कारण राजा का महल आग में जल गया और उन्हें पत्नी पुत्र सहित जंगल में दर-दर भटकना पड़ा। इसी क्रम में सभी एक दूसरे से बिछुड़ गए। रानी दमयंती भटकती हुई और विलाप करती हुई शरभंग ऋषि के आश्रम में जा पहुंची और करुण स्वर में अपनी व्यथा ऋषि को सुनाने लगी। तब ऋषि शरभंग नें उन्हें श्रीगणेश पूजन और व्रत का महात्म्य बताया और कहा कि गणेश जी तुम्हारे सभी कष्टों और दुखों को हर लेंगे। तब रानी में निराहार और निर्जल रहकर दस दिनों तक गणेश जी की पूजा उपासना की। इससे भगवान गणेश जी ने प्रसन्न होकर राजा रानी का राज पाट और सुख सौभाग्य वापस दिलवा दिया। तब से हमारी सनातन परंपरा में गणेशोत्सव की प्रथा प्रारम्भ हुई।

क्यों होता है गणेश चतुर्थी पर चन्द्र दर्शन का निषेध?

इसकी भी एक अद्भुत कथा है। एक बार भगवान गणेश अपने वाहन मूषक पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। तभी रास्ते में मूषक के ठोकर खाने से गणेश जी गिर पड़े। यह देखकर चंददेव जोरों से हंस पड़े और मजाक उड़ाने लगे। तब गणेश जी नें चन्द्र देव को श्राप दिया कि भादो शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी चन्द्र दर्शन करेगा, उसे चोरी के झूठे कलंक का सामना करना पड़ेगा। कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमन्तक मणि के चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। क्योंकि उन्होंने चतुर्थी तिथि के चन्द्र का दर्शन कर लिया था।तब नारद ऋषि नें उन्हें बताया कि गणेश चतुर्थी व्रत करने से आप कलंक मुक्त हो जाएंगे। तब भगवान श्री कृष्ण ने भी गणेश चतुर्थी पूजन की प्रथा प्रारम्भ की थी।

– ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव

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Shri Ganesh Chaturthi 2024 (Hindi & English)

In our Sanatan Dharma, there is a detailed ritual of worshiping Shri Ganesh ji, the most revered. The mantras of Shri Puja and invocation of Ganesh, Gajanan or Ganapati are also described in the Vedas. Basically, Shri Ganapati is considered one of the Panch Vedic Gods. In our Sanatan Dharma, any auspicious work is started first with the worship of Shri Ganesh. He is the first to be worshiped among all the gods. Therefore, the beginning of any auspicious work is also called “Shri Ganesh Karna”.

It is said in Bhavishya Purana that whenever a person is in great trouble and pain, or there is a possibility of a big disaster in the near future, then he should observe the fast of Chaturthi. By observing this fast, all the troubles are removed and Dharma, Artha, Kama and Moksha are attained.

Why do we celebrate Ganesh Chaturthi?

It is said that due to the curse given by Indradev’s wife Devi Rati, Goddess Parvati could not give birth to a child from her womb. So when Shiva went into meditation for many years, Parvati got worried due to her solitude. One day she was taking a bath with Ubtan. Then she made the shape of a child from the Ubtan that came off her body and breathed life into it with her yogic powers. Thus Ganesha was born. That day was the Chaturthi Tithi of Bhadrapad month. Since then, this day is celebrated as the birthday of Ganesha.

Why is Ganapati kept for 10 days?

This story is related to Maharishi Ved Vyas’ writing of Mahabharata. It is said that on the Chaturthi Tithi of Bhadrapad month, on Maharishi Ved Vyas’s prayers, Ganesh ji started writing the verses of Mahabharata. It took him 10 days to complete this work. Due to sitting in the same posture for 10 days, dust and dirt had accumulated on his body and his body had become stiff. Then he bathed in the Saraswati river and cleaned himself. It took him 10 days to complete this work. Due to sitting in the same posture for 10 days, dust and dirt had accumulated on his body and his body had become stiff. Then he bathed in the Saraswati river and cleaned himself. That day was Anant Chaturdashi. From then onwards, the tradition of keeping Ganapati seated for ten days and then immersing him on the eleventh day started.

Today, in many states of India, there is a tradition of celebrating this festival for ten days with great pomp by erecting large pandals and installing the idol of Ganesha. In the year 2024, Ganesh Chaturthi will be celebrated on Saturday, 7 September.

What is the story of Ganesh Chaturthi Vrat?

In Satyug, there was a very powerful king named Nala, who had a very beautiful wife named Damyanti and a very obedient son. The king used to enjoy all the comforts of his family and was skillfully engaged in his royal duties. Once due to the adverse circumstances of the time cycle, the king’s palace burned down in fire and he had to wander from door to door in the forest along with his wife and son. In this process, everyone got separated from each other. Queen Damyanti, wandering and lamenting, reached the ashram of Sharabhang Rishi and started telling her sorrow to the sage in a sad voice. Then Rishi Sharabhang told her the significance of Shri Ganesh worship and fasting and said that Ganesh ji will take away all your troubles and sorrows. Then the queen stayed without food and water and worshipped Ganesh ji for ten days. Lord Ganesh ji was pleased with this and got the king and queen back their kingdom and happiness and good fortune. Since then the tradition of Ganeshotsav started in our eternal tradition.

Why is Chandra Darshan prohibited on Ganesh Chaturthi?

There is a wonderful story behind this. Once Lord Ganesha was going somewhere on his vehicle, a mouse. Then Ganesha fell down after being hit by a mouse on the way. Seeing this, Chanddev started laughing loudly and started making fun of him. Then Ganesha cursed Chandra Dev that whoever sees Chandra on the Chaturthi Tithi of Bhado Shukla Paksha will have to face the false accusation of theft. It is said that during the Mahabharata period, Lord Krishna was falsely accused of stealing the Syamantaka Mani. Because he had seen the moon on Chaturthi Tithi. Then Sage Narad told him that by observing Ganesh Chaturthi fast, he will be free from the accusation. Then Lord Krishna also started the practice of Ganesh Chaturthi worship.

– Astrologer Richa Shrivastava

कोर्ट केस और प्रशासनिक कार्यवाही से मुक्ति पाएं(Hindi & English)

कोर्ट केस और प्रशासनिक कार्यवाही से मुक्ति पाएं(Hindi & English)

कोर्ट के चक्करों में कैसे व्यक्ति तबाह हो जाता है?

इस युग का कुछ ऐसा प्रभाव होता जा रहा है कि आमजन की परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। हमारे समाज में किसी भी व्यक्ति पर कोर्ट केस हो जाए या किसी भी तरह की प्रशासनिक कार्यवाही हो जाए तो समाज यह नहीं देखता है कि भला हुआ क्या है? बस अपने निर्णयों को पीड़ित व्यक्ति एवम उसके परिवार पर थोपना शुरू कर देता है। इन विषम दुखों के प्रभाव से व्यक्ति शारीरिक रूप के साथ मानसिक रूप से भी प्रताड़ित होना शुरू हो जाता है। इसलिए यह भी सत्य है कि जिस भी व्यक्ति पर कोर्ट केस या प्रशासनिक कार्यवाही आ जाती है तो वह व्यक्ति एक प्रकार से तबाह ही हो जाता है।

आखिर क्यों आते हैं जीवन में कोर्ट केस और प्रशासनिक दंड?

सर्वप्रथम हमें यह समझना आवश्यक है कि जो कुछ भी जीवन में अच्छा या बुरा घटित होता है उसका सीधा संबंध हमारे प्रारब्ध के कर्मों से जुड़ा रहता है। जैसे कर्म रहेंगे वैसा फल मिलना भी निश्चित रहता है। कर्मों का लेन देन ही पूर्ण जीवन की गाथा बनी रहती है। हमारे कर्म और ग्रहीय व्यवस्था मिलकर हमें सम या विषम फल प्रदान करती है। अगर आपकी कुंडली में बृहस्पति और राहु एक साथ द्वादश भाव में विराजे हुए हैं, आपके वर्तमान कर्म भी विषम हैं तथा प्रारब्ध भी आकर खड़ा हो गया है तो यहां पूर्ण संभावना बनी रहेगी कि आपके ऊपर कोर्ट केस या प्रशासनिक कार्यवाही चलनी आरंभ हो जाए। मेरे अनुभव में कुछ ऐसे उपाय हैं जिनकी पालना करने से और ईश्वर की कृपा से आपको शीघ्र लाभ मिलना संभव रहेगा।

कोर्ट केस को जड़ से खत्म करने के लिए 7 सरल उपाय

1. किसी भी मंगलवार या शनिवार से शुरू करते हुए नित्य शाम 4 बजे पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर 11 पाठ बजरंग बाण के करें।

2. नित्य रात्रि भोजन के पश्चात 2 लौंग मुख में रख लें और हनुमान चालीसा का मन में पाठ करें और दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके सो जाएं।

3. पुलिस स्टेशन या कोर्ट परिसर के अंदर लगे हुए पानी के नलकों से पानी पिया करें और दृष्टिहीन बच्चों को भोजन करवाएं।

4. किसी भी बुधवार से शुरू करते हुए 108 दिन तक लगातार शेर पर सवार मां दुर्गाजी पर 1 अनार फल अर्पण करें और वहीं बैठकर 32 नामावली की एक माला करें फिर दुर्गा सप्तशती में से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और क्षमा प्रार्थना करें।

5. किसी भी शनिवार से शुरू करते हुए 11 शनिवार लगातार सवा किलो कच्चा कोयला जल प्रवाह करा करें और संभव हो तो कोर्ट या जेल की कैंटीन से कुछ भी खाद्य सामग्री मंगाकर ग्रहण करा करें।

6. किसी भी बुधवार को किन्नरों के स्थान पर जाकर अपने सामर्थ्य अनुसार कुछ भी वस्त्र उन्हें भेंट करें और आशीर्वाद रूप में प्रार्थना करते हुए एक रक्षा सूत्र उनसे अपने हाथ या गले में बंधवा लें।

7. किसी भी बुधवार या शनिवार से शुरू करते हुए नित्य सांझ की संध्या या रात्रि के समय माता महाकाली के सम्मुख बैठकर शिव चालीसा पहले फिर काली चालीसा का पाठ करा करें।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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Get freedom from court cases and administrative proceedings(Hindi & English)

How does a person get destroyed in the court cases?

This era is having such an effect that the problems of the common man do not seem to end. In our society, if any person is subjected to a court case or any kind of administrative action, then the society does not see what good has happened? It just starts imposing its decisions on the victim and his family. Due to the effect of these strange sorrows, the person starts getting tortured mentally as well as physically. Therefore, it is also true that any person who is subjected to a court case or administrative action, that person gets destroyed in a way.

Why do we face court cases and administrative punishments in life?

First of all, we must understand that whatever good or bad happens in life is directly related to our destiny. The results are as per our deeds. The story of life is based on the give and take of our deeds. Our deeds and the planetary system together give us even or odd results. If Jupiter and Rahu are placed together in the 12th house in your Kundali, your current deeds are also odd and your destiny has also come and stood up, then there is a full possibility that a court case or administrative proceedings may start against you. In my experience, there are some such remedies, by following which and with the grace of God, it will be possible for you to get quick benefits.

7 simple remedies to end court cases from the root

1. Starting from any Tuesday or Saturday, sit under a Peepal tree at 4 pm every day and recite Bajrang Baan 11 times.

2. After dinner every night, keep 2 cloves in your mouth and recite Hanuman Chalisa in your mind and sleep with your head towards south.

3. Drink water from the water taps installed inside the police station or court premises and feed blind children.

4. Starting from any Wednesday, offer 1 pomegranate fruit to Maa Durgaji riding a lion for 108 days continuously and sit there and recite a rosary of 32 names, then recite Siddha Kunjika Stotra from Durga Saptashati and pray for forgiveness.

5. Starting from any Saturday, flow 1.25 kg raw coal in water for 11 Saturdays continuously and if possible, order some food items from the court or jail canteen and consume them.

6. On any Wednesday, go to the place of eunuchs and offer them some clothes according to your capacity and while praying for their blessings, get a protective thread tied on your hand or neck by them.

7. Starting from any Wednesday or Saturday, sit in front of Mata Mahakali every evening or night and recite Shiv Chalisa first and then Kali Chalisa.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram

करोड़पति कैसे बना जाए?(Hindi & English)

करोड़पति कैसे बना जाए?(Hindi & English)

मेरे निजी अनुभव में धन एक ऐसा विषय है जिसे जितना अधिक पढ़ा जायेगा उतना ही अधिक आपका अनुभव बढ़ता जायेगा। धन प्राप्ति का सीधा मार्ग उत्तम कर्म करते रहना है, लेकिन उत्तम कर्म करते रहने के पश्चात भी अनेकों जन ऐसे भी हैं जिनकी शिकायत बनी रहती है कि उन्हें उत्तम कर्मों का फल नहीं मिल पाता है। वह इसलिए होता है कि हमारे द्वारा अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां हो जाती हैं कि हमारे पास आने वाली धन ऊर्जा का क्षय होना प्रारंभ हो जाता है। बस हमें अपनी नित्य दिनचर्या में कुछ सरल बातों का ध्यान बनाकर रखना है। उसके पश्चात शनै शनै हम ईश्वरीय कृपा से धनवान बनना शुरू हो जाएंगे।

करोड़पति बनने के लिए 9 बातों का ध्यान रखिए

1. घर के मंदिर में कभी भी खड़े होकर पूजा नहीं करें।

2. घर का मंदिर हमेशा आपके आज्ञा चक्र के समानांतर या उससे ऊपर ही होना चाहिए।

3. नित्य की पूजा का आसन कुशासन ही होना चाहिए जिस पर लाल ऊन से बना हुआ कोई भी कपड़ा बिछा हुआ हो।

4. मंगलवार और शनिवार को हमेशा सुबह तथा शाम को झाड़ू लगनी ही चाहिए। झाड़ू हमेशा आपने लाल कपड़े से ढक कर और दूसरों की नजरों से छिपा कर ही रखनी है।

 

5. 108 दिन में एक बार पूरे घर की विशेषतः घर के मंदिर (ईशान कोण) की सफाई अवश्य करें और भगवान के वस्त्र और पूजन सामग्री इत्यादि भी नयी प्रयोग करें।

6. महीने में एक बार किसी भी शुभ दिन सामान्य शुद्धि हवन अवश्य करवाएं या हफ्ते में किसी भी एक दिन या फिर नित्य शाम की संध्या के समय देसी गौमाता के गोबर धन के कंडो की धूनी को “श्रीं” मंत्रजाप के साथ पूरे घर में दिखाएं।

7. हर महीने अपने घर की मुख्य पानी की टंकी की सफाई अवश्य करवाएं और उसमें थोड़ा सा गंगाजल अवश्य मिलाएं।

8. अपने फटे या उधड़े हुए वस्त्र किसी को भी नहीं दिया करें अपितु साफ व उत्तम सिले हुए कपड़े ही जरूरतमंदो को दिया करें।

9. अपने जन्मदिन पर रुद्राभिषेक अवश्य करवाया करें और इस शुभ अवसर पर थोड़ा अन्नदान भी अवश्य करा करें।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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How to become a millionaire? (Hindi & English)

In my personal experience, wealth is such a subject that the more you study, the more your experience will increase. The direct way to get wealth is to keep doing good deeds, but even after doing good deeds, there are many people who keep complaining that they do not get the fruits of good deeds. This happens because we inadvertently make some mistakes due to which the money energy coming to us starts getting depleted. We just have to keep some simple things in mind in our daily routine. After that, gradually we will start becoming rich by the grace of God.

Keep these 9 things in mind to become a millionaire

1. Never stand and worship in the temple at home.

2. The temple at home should always be parallel to or above your Agya Chakra.

3. The seat for daily worship should be a Kushasan on which any cloth made of red wool is spread.

4. Sweeping should always be done on Tuesdays and Saturdays in the morning and evening. The broom should always be covered with a red cloth and kept hidden from the eyes of others.

 

5. Clean the entire house once in 108 days, especially the temple (east corner) of the house and use new clothes and worship material etc. for the God.

6. Perform general purification havan once a month on any auspicious day or on any one day of the week or every day in the evening, show the incense of cow dung cakes of desi cow mother in the entire house with the chanting of “Shri” mantra.

7. Get the main water tank of your house cleaned every month and add a little Gangajal to it.

8. Do not give your torn or worn out clothes to anyone, instead give clean and well stitched clothes to the needy.

9. Get Rudrabhishek done on your birthday and also donate some food on this auspicious occasion.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram

 

स्वयं का मकान होना – कलयुग में एक स्वर्णिम सुख(Hindi & English)

स्वयं का मकान होना – कलयुग में एक स्वर्णिम सुख(Hindi & English)

Om-Shiva

अगर आज से 50 वर्ष पीछा जाएं तो स्वयं का मकान बनाना काफी सरल विषय माना जाता था। वह इसलिए भी क्योंकि महंगाई की इतनी अधिक मार नहीं थी और जनसंख्या भी काफी सीमित सी प्रतीत होती थी। परंतु वर्तमान समय में इतनी अधिक महंगाई हो चुकी है कि स्वयं का मकान होना पर्वत पर चढ़ाई करने के समान ही है। अपनी छत होना एक ऐसा सुख है जिसका स्वर्णिम लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होता है। मैं यहां आपको 09 सरल उपाय दे रहा हूं, जिनकी पालना करने से आपको मकान का सुख अवश्य प्राप्त होगा।

अपना मकान बनाने के लिए 9 सरल उपाय

स्वयं का मकान बनाने के लिए किन प्रमुख ग्रहों का मजबूत होना आवश्यक है?
शनि – मंगल – चन्द्रमा – बृहस्पति

1. मंगलवार या शनिवार या गुरुवार को एक चिड़िया का घोंसला लेकर आएं और ऐसे स्थान पर उसे रख दें जहां पर कोई भी चिडिय़ा आकर उसमे अपना घर बना ले।

2. मंगलवार या शनिवार या गुरुवार को एक चिड़िया का घोंसला लेकर आएं जिसमे चिड़िया और उसके बच्चे भी हों। अब उसे घर में दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ लटका दीजिए और 21 मंगलवार और शनिवार उस पर हल्दी का छीटां दें और दीपक दिखाएं।

3. एक लाल कपड़े में बंदर के पैरों की मिट्टी डालकर पोटली बना लें और 108 हनुमान चालीसा का पाठ कर उसे किसी भी पवित्र स्थान पर रख दें।

4. एक काले कपड़े में कौवे के पैरों की मिट्टी और 100 ग्राम साबुत काली उड़द डालकर एक पोटली बना लें और 108 बार “ॐ छाया माता नमो नमः” का जाप करें फिर उसे किसी भी पवित्र स्थान पर रख दें।

5. किसी भी बुजुर्ग विधवा स्त्री को माता रूप में कुछ भी पहनने वाले वस्त्र उनकी पसंद अनुसार भेंट करें और लगातार उनका आशीर्वाद प्राप्त करते रहें।

6. अपनी श्रद्धा अनुसार मजदूर वर्ग के बच्चों को 11 मंगलवार और शनिवार को देसी घी में बनी हुई उड़द डाल की पीली खिचड़ी खिलाएं। किसी भी रूप में बेसन की बनी हुई कोई भी मिठाई भी बच्चों में जरूर बांटें।

7. लंगूर के बच्चों को मीठे दूध में भीगी हुई रोटी अवश्य दें और गुड़+चना अपने हाथ से खिलाएं।

8. एक पीले रंग के कपड़े में 100 ग्राम चावल + 100 ग्राम साबुत काली उड़द + 100 ग्राम लाल मसूर डालकर उसकी पोटली बना लें। अब इस पोटली को अपने शयन करने वाले कमरे में रख दें या अपने सिरहाने के नीचे रख लें।

9. 11 पूर्णिमा लगातार शुद्ध केसर मिश्रित खीर बनाकर दुर्गाजी को भोग लगाएं और प्रसाद रूप में 9 वर्ष तक की कन्याओं को खिलाएं और खुशखबरी मिलने के पश्चात छोटी कन्याओं में कुछ चमकीले वस्त्र बांटें।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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Owning a house – a golden pleasure in Kaliyug.

Om-Shiva

If we go back 50 years from today, building one’s own house was considered a very simple matter. That too because inflation was not so much and the population also seemed to be quite limited. But in the present time, inflation has become so high that owning a house is like climbing a mountain. Having one’s own roof is such a pleasure whose golden benefits are also received by the coming generations. Here I am giving you 09 simple remedies, by following which you will definitely get the happiness of a house.

9 simple remedies to build your own house

Which major planets are required to be strong to build one’s own house?

Saturn – Mars – Moon – Jupiter

1. On Tuesday or Saturday or Thursday, bring a bird’s nest and keep it in such a place where any bird can come and make its home in it.

2. On Tuesday or Saturday or Thursday, bring a bird’s nest which contains the bird and its babies. Now hang it in the south or west direction of the house and sprinkle turmeric powder on it and light a lamp on 21 Tuesdays and Saturdays.

3. Put soil from the feet of a monkey in a red cloth and make a bundle. Recite Hanuman Chalisa 108 times and keep it in any holy place.

4. Put soil from the feet of a crow and 100 grams of whole black urad in a black cloth and make a bundle. Recite “Om Chaya Mata Namo Namah” 108 times and then keep it in any holy place.

5. Gift any old widowed woman any clothes of her choice which she can wear in the form of mother and keep receiving her blessings continuously.

6. According to your faith, feed the children of the working class yellow khichdi made of urad dal in desi ghee on 11 Tuesdays and Saturdays. Also distribute any sweet made of gram flour in any form among the children.

7. Give roti soaked in sweet milk to the children of Langur and feed jaggery + gram with your own hands.

8. Put 100 grams of rice + 100 grams of whole black urad + 100 grams of red lentils in a yellow cloth and make a bundle of it. Now keep this bundle in your bedroom or keep it under your pillow.

9. Make pure saffron mixed kheer for 11 consecutive full moon days and offer it to Durgaji and feed it to girls up to 9 years of age as prasad and after getting good news distribute some bright clothes among small girls.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram

कलयुग में सरल धन प्राप्ति कैसे हो पाएगी?(Hindi & English)

कलयुग में सरल धन प्राप्ति कैसे हो पाएगी?(Hindi & English)

आज के युग में धन प्राप्ति एक ऐसा गंभीर विषय है कि उत्तम प्राप्ति पश्चात भी व्यक्ति को हमेशा अधूरा सा ही महसूस होता रहता है। क्योंकि जीवन में मात्र उत्तम धन आगमन से ही जीवन की लगभग आधी समस्याओं का निपटारा करना संभव बना रहता है। अब हमेशा कर्म को ही प्रधान मानते हुए धन के बारे में विचार किया जाता है, इसके साथ में ऐसे भी अनेकों व्यक्ति हैं जो कर्मों की बहुतायत के बाद भी उत्तम धन कृपा से वंचित बने रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब तक भाग्य का साथ नहीं होगा तो कितना ही कर्म कर लीजिए, उत्तम धन का अभाव बना ही रहेगा।

कर्म के साथ भाग्य क्यों आवश्यक है?

ऐसा भी देखने में आता है कि पिछले जन्मों के पाप कर्मों के प्रभाव से इस वर्तमान जन्म में व्यक्ति अपनी दैनिक मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी संघर्ष करता रहता है। इसलिए अब प्रश्न यह उठता है कि उत्तम कर्म के साथ में ऐसे क्या उपाय किए जाएं जिससे हमें भाग्य रूपी बल की प्राप्ति हो पाए? मेरे निजी अनुभव में केवल भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे कृपालु हैं जिनकी शरण में जाने से भाग्य में लिखा भी बदला जा सकता है। इसलिए उत्तम धन प्राप्ति के संदर्भ में हम आपको 9 विशिष्ट एवम अति सरल उपाय यहां पर बता रहें हैं, जिनकी नित्य पालना करने मात्र से आपको उत्तम धन प्राप्ति अवश्य होगी।

अति शीघ्र धन प्राप्ति के लिए 9 सरल उपाय

1. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए नित्य देसी खांड वाला मीठा जल शिवलिंग और शिव-परिवार पर अर्पण करना।

2. किसी भी शुक्रवार से शुरू करते हुए 11 शुक्रवार लगातार शिवलिंग को मीठी दही से स्नान करवाना फिर देसी खांड को उबटन की तरह लगाते हुए फिर सामान्य जल से स्नान कराना।

3. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए 21 सोमवार लगातार शिवलिंग को ईख के रस से स्नान करवाना फिर भांग और अक्षत से शिवलिंग का श्रृंगार करना।

4. किसी भी रविवार से शुरू करते हुए नित्य रात्रि के समय शिवलिंग पर देसी घी का और कपूर का दीपक दान करना।

5. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए 11 सोमवार लगातार गुलाब के फूलों से शिवलिंग का और शिव परिवार का श्रृंगार करना।

6. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए 11 सोमवार और शुक्रवार लगातार शिवलिंग पर गुलाब जल मिश्रित कच्चे दूध को अर्पण करना और गुलाब इत्र और पीले अक्षत से श्रृंगार करना।

7. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए 108 दिन लगातार किसी भी समय शिवलिंग पर 1 दीपक दान करना और वहीं उत्तरमुखी बैठकर पुष्पदंतचार्य कृत “शिवमहिम्न” स्तोत्र का वैखारि मुद्रा में पाठ करना।

8. किसी भी गुरुवार से शुरू करते हुए नित्य या 51 दिन लगातार रात्रि के समय 1 दीपक दान करते हुए उत्तरमुखी होकर “शिव-तांडव” स्तोत्र का वैखारि मुद्रा में पाठ करना।

9. किसी भी सोमवार से शुरू करते हुए 21 सोमवार लगातार 21 बिल्व पत्रों पर चंदन से “राम” लिखें और शिवलिंग पर अर्पण करें और वहीं उत्तरमुखी होकर बैठे और “श्रीसूक्तम” का पाठ करें।

Guru SatyaRam
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– गुरु सत्यराम

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How can we get easy wealth in Kaliyug?

Today’s Yoga: Getting wealth is such a serious matter that even after getting the best wealth, a person always feels
incomplete. Because only with the arrival of good wealth in life, it is possible to solve almost half of the problems of
life. Now, wealth is always considered by considering karma as the main thing, along with this, there are many people who remain deprived of the blessings of good wealth even after abundance of karma. It is said that as long as luck is not with you, no matter how much work you do, the lack of good wealth will remain.

Why is luck necessary along with karma?

It is also seen that due to the effect of sinful deeds of previous births, a person keeps struggling to fulfill his daily
basic needs in this present birth. Therefore, now the question arises that what measures should be taken along with good karma so that we can get the power of luck? In my personal experience, only Lord Shiva is the only kind person, by taking refuge in whom, what is written in the fate can be changed. Therefore, in relation to getting good wealth, we are telling you 9 special and very simple measures here, by following them daily you will definitely get good wealth.

9 Simple Remedies for Very Quick Wealth

1. Starting from any Monday, offer sweet water mixed with pure sugar candy to Shivling and Shiv family every day.

2. Starting from any Friday, bathe Shivling with sweet curd for 11 consecutive Fridays, then apply pure sugar candy as a paste and then bathe with normal water.

3. Starting from any Monday, bathe Shivling with sugarcane juice for 21 consecutive Mondays, then adorn Shivling with bhang and rice grains.

4. Starting from any Sunday, donate a lamp of pure ghee and camphor on Shivling every night.

5. Starting from any Monday, decorate Shivling and Shiv family with rose flowers for 11 consecutive Mondays.

6. Starting from any Monday, offer raw milk mixed with rose water on Shivling for 11 consecutive Mondays and Fridays and adorn it with rose perfume and yellow rice grains.

7. Starting from any Monday, donate 1 lamp on Shivling at any time for 108 days continuously and sitting there facing north, recite “Shivamahimna” stotra written by Pushpadantacharya in Vaikhari Mudra.

8. Starting from any Thursday, donate 1 lamp every day or continuously for 51 days at night, facing north, recite “Shiv-Tandav” stotra in Vaikhari Mudra.

9. Starting from any Monday, write “Ram” on 21 Bilva leaves with sandalwood for 21 consecutive Mondays and offer them on Shivling and sitting there facing north, recite “Shri Suktam”.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– Guru Satyaram

हर तालिका तीज व्रत महात्म्य- (Hindi & English) 

हर तालिका तीज व्रत महात्म्य- (Hindi & English)

उत्तर भारत में विवाहिता स्त्रियों के द्वारा किये जाने वाले सभी व्रत और उपवासों में से हरतालिका तीज व्रत प्रमुख व्रतों में से एक है। हालांकि इस व्रत को अविवाहित कन्याएं भी सुयोग्य वर की प्राप्ति हेतु करती हैं। विवाहित स्त्रियां इस व्रत को अपने पति और परिवार के दीर्घायु और समृद्धि में बढ़ोतरी के लिए करती हैं।

कब और क्यों किया जाता है हरतालिका तीज व्रत?

मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती नें भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या के रूप में किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किया जाता है। इस व्रत में माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा-उपासना की जाती है। उनसे अपने पति और परिवार के कल्याण की कामना की जाती है।

कैसे किया जाता है ये व्रत?

अनेक स्त्रियां इस दिन निर्जला उपवास रखती हैं। व्रत के एक दिन पहले से ही भोजन में मसाले, लहसुन, प्याज का त्याग कर दिया जाता है। फिर तीज वाले दिन स्त्रियाँ प्रातः काल से ही संकल्प लेकर 24 घण्टों का निर्जला उपवास रखती हैं। और प्रातः गणपति पूजन के साथ व्रत का प्रारम्भ करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके नवीन वस्त्र धारण करती हैं। और माँ पार्वती और शिव के पूजन हेतु विभिन्न मिष्ठान्नों का भोग तैयार करती हैं।
हरतालिका तीज की मुख्य पूजा संध्या को प्रदोष काल में की जाती है। सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टों के समयावधि को प्रदोष काल कहते हैं। इस समय मंडप आदि बनाकर शिव पार्वती और गणेश को स्थापित किया जाता है। फिर फल, फूल, धूप, दीप, फल, मिष्टान्न, नैवेद्य ,वस्त्र, सोलह सिंगार और दक्षिणा आदि से षोडशोपचार पूजा की जाती है। कई स्थानों में रात्रि जागरण किया जाता है और गौरा, गणेश , शिव की रात्रि भर भजन, कीर्तन और उपासना की जाती है। दूसरे दिन पूजन , आरती के बाद देवताओं की विदाई की जाती है और व्रत का पारण किया जाता है।

2024 में कब है हरतालिका तीज व्रत?

हालांकि तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से प्रारम्भ हो रही, लेकिन सूर्योदय व्यापिनी उदया तिथि की मान्यता के कारण यह पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा। चूंकि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजे के बाद चतुर्थी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी, इसलिए इस बार तीज पूजन मुहूर्त प्रातः 6 बजे से 9:30 तक रहेगा। लोग यदि चाहें तो शाम के पूजन के शुभ चौघड़िया मुहूर्त शाम 5 बजे से 6:36 तक के बीच भी पूजन कर सकते हैं। किंतु तीज पूजन के समय हस्त नक्षत्र की उपस्थिति अनिवार्य है, इसलिए इस बार प्रदोष पूजन के बजाय प्रातः पूजन अधिक महत्वपूर्ण है।

क्या है हरतालिका व्रत की पौराणिक कथा?

हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए। एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद वे अपनी सखियों के साथ पिता का घर छोड़कर वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। चूंकि सखियां माता पार्वती को हर करके वन में ले गईं थीं, इस लिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा।
इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
-ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव

Hartalika Teej Vrat Mahatmya-

Among all the fasts and rituals performed by married women in North India, Hartalika Teej Vrat is one of the main fasts. However, unmarried girls also observe this fast to get a suitable groom. Married women observe this fast to increase the longevity and prosperity of their husband and family.

When and why is Hartalika Teej Vrat observed?

It is believed that this fast was first observed by Mother Parvati as a rigorous penance to get Lord Shankar as her husband. By observing Hartalika Teej Vrat, women get unbroken good fortune. This fast is observed on the Tritiya Tithi of Shukla Paksha of Bhadrapada month. In this fast, Mother Parvati and Lord Shiva are worshipped. They are prayed for the welfare of their husband and family.

How is this fast observed?

Many women observe Nirjala fast on this day. Spices, garlic and onion are avoided in food a day before the fast. Then on the day of Teej, women take a pledge from the morning itself and keep a waterless fast for 24 hours. And start the fast with Ganpati Puja in the morning. On this day, women do sixteen adornments and wear new clothes. And prepare various sweets for the worship of Mother Parvati and Shiva.
The main worship of Hartalika Teej is done in the evening during Pradosh Kaal. The time period of 2 hours after sunset is called Pradosh Kaal. At this time, Shiva, Parvati and Ganesha are installed by making a pavilion etc. Then Shodashopachar Puja is done with fruits, flowers, incense, lamps, fruits, sweets, offerings, clothes, sixteen decorations and Dakshina etc. Ratri Jagran is done in many places and Gauri, Ganesha, Shiva are worshipped throughout the night by bhajans, kirtans and prayers. On the second day, after worship and aarti, the deities are bid farewell and the fast is observed.

When is Hartalika Teej Vrat in 2024?

Although Tritiya Tithi is starting on 5th September at 12:21 pm, but due to the belief of Sunrise Vyapini Udaya Tithi, this festival will be celebrated on 6th September. Since Chaturthi Tithi will start after 3 pm on September 6, this time the Teej Pujan Muhurta will be from 6 am to 9:30 am. If people wish, they can also worship during the auspicious Chaughadiya Muhurta of evening worship from 5 pm to 6:36 pm. But the presence of Hasta Nakshatra is mandatory at the time of Teej worship, so this time morning worship is more important than Pradosh worship.

What is the mythological story of Hartalika Vrat?

Hartalika Teej Vrat is celebrated to commemorate the reunion of Lord Shiva and Mother Parvati. According to a mythological story, Mother Parvati did severe penance to get Lord Bholenath as her husband. Mother Parvati did penance by staying hungry and thirsty on the banks of river Ganga in the Himalayas. Seeing this condition of Mother Parvati, her father Himalaya became very sad. One day Maharishi Narada brought a proposal of marriage of Parvati ji from Lord Vishnu, but when Mother Parvati came to know about this, she started lamenting. When a friend asked, she told that she is doing hard penance to get Lord Shiva as her husband. After this, she left her father’s house with her friends and went to the forest and got engrossed in the worship of Lord Shiva. Since the friends had defeated Mother Parvati and taken her to the forest, this fast was named Hartalika Teej.
During this time, on the third day of Shukla Paksha in Bhadrapada, in Hasta Nakshatra, Mother Parvati made a Shivling from sand and kept awake the night, engrossed in the worship of Bholenath. Seeing the hard penance of Mother Parvati, Lord Shiva appeared before her and accepted her as his wife as per Parvati’s wish.
Since then, unmarried girls and married women keep the fast of Hartalika Teej to wish for a good husband and for the long life of the husband and get blessings by worshiping Lord Shiva and Mother Parvati.
-Astrologer Richa Srivastava

क्या स्त्रियां भी श्रीहनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं?(Hindi & English)

क्या स्त्रियां भी श्रीहनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं?(Hindi & English)

श्री हनुमान चालीसा: एक संक्षेप विवरण

श्री हनुमान चालीसा अवधी भाषा में लिखी गई एक विशिष्ट काव्यात्मक कृति है। इस भक्ति रस से पूर्ण कृति में भगवान श्री रामचन्द्रजी के परम एवम महान भक्त श्रीहनुमान जी के गुणों, कार्यों एवम सेवा भाव का चालीस चौपाइयों के द्वारा वर्णन किया गया है। इसके रचयिता भगवान श्रीरामचन्द्रजी महाराज के अनन्य भक्त श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी हैं।

श्री गोस्वामी तुलसीदासजी: जीवन परिचय

हर वर्ष उत्तम सावन मास के शुभ शुक्ल पक्ष की श्रेष्ठ सातवीं तिथि पर श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती हम सभी भक्तजन मनाते हैं। श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी का जन्म संवत् 1554 में उत्तर प्रदेश के पवित्र चित्रकूट जिले के राजापुर गांव में हुआ था। इसी गांव में ही श्रीरामचरित मानस मंदिर है, जहां श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी ने यह ग्रंथ मात्र 966 दिनों में लिखा था। श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी संवत्‌ 1680 में इस मानव देह को त्यागते हुए प्रभु श्रीरामचंद्रजी महाराज के पावन चरणों की सेवा में विलीन हो गए थे।

श्री गोस्वामी तुलसीदासजी: एक विशिष्ट पूजनीय भक्त

यह भी कहा जाता है कि अपने जन्म के तुरंत बाद भी श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी रोए नहीं थे अपितु स्वाभाविक रोने के स्थान पर उनके श्रीमुख से भगवान श्रीसांब सदाशिव का परम प्रिय शब्द ‘राम’ निकला था। इस ईश्वरीय लीला के कारण ही बचपन में श्रीगोस्वामी तुलसीदासज़ी का नाम रामबोला था। ऐसा भी भक्तों के द्वारा कहा जाता है कि जन्म से ही श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी के बत्तीस दांत थे।

श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी का जीवन

श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी के जन्म के कुछ समय पश्चात ही इनकी माताश्री हुलसी देवी का निधन हो गया था। इनके पिताश्री का नाम श्रीआत्माराम था। अपने बचपन से ही श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी(बालक रामबोला) संतों एवम विद्वानों की शरण में रहने लग गए थे। कुछ समय पश्चात ही बाबा श्री नरहरी जी ने इन्हें तुलसीदास नाम दिया था। बाबा।श्री नरहरी जी को श्री गोस्वामी तुलसीदासजी का गुरु माना जाता है। तुलसीदासजी की शादी देवी रत्नावली से हुई थी। विवाह के कुछ समय बाद ही वे अपनी धर्मपत्नी पत्नी से दूर हो गए थे और प्रभु श्रीरामजी की भक्ति में लीन हो गए।

श्री गोस्वामी तुलसीदासजी ने अपने 111 वर्ष के जीवन में कई अनुपम ग्रंथों की रचना की थी। इनमें श्रीरामचरित मानसजी सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इस अलौकिक श्रीग्रंथ के सुंदरकांड का पाठ कई भक्तों की नियमित दिनचर्या है। विनय पत्रिका और श्रीहनुमान चालीसा की रचना भी श्रीगोस्वामी तुलसीदास ने की थी।

श्री हनुमान चालीसा को लिखने हेतु प्रेरणा स्रोत

भगवान श्री महादेवजी के कहने पर लिखा गया था श्रीरामचरित मानस। ऐसा माना जाता है कि श्री गोस्वामी तुलसीदासजी को स्वपन के माध्यम में भगवान शिव ने आदेश दिया था कि आप अपनी मातृ भाषा में काव्य रचना करो। मेरे श्री आशीष से आपकी रचना तृत्य वेद श्रीसामवेद की तरह ही फलवती होगी। ये स्वपन देखने के पश्चात तुलसीदाजी जाग गए। इसके कुछ समय पश्चात संवत् 1631 को श्रीरामनवमी के शुभ दिन वैसा ही योग बना जैसा त्रेतायुग में प्रभु श्रीरामचंद्रजी के शुभ अवतरण के समय था। उस दिन प्रातः समय तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस जी को लिखना प्रारंभ किया था।

श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी ने मात्र 966 दिन में लिखा था

श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी ने संवत् 1631 में श्रीरामचरित मानसजी लिखनी आरंभ की थी। संवत् 1633 के अगहन महीने के शुक्लपक्ष की शुभ पंचमी तिथि पर यह पवित्र ग्रंथ पूरा हो गया था। अर्थात इसे पूर्ण करने में पूरे 2 वर्ष, 7 माह और 26 दिनों का समय लगा था। यह भी कहा जाता है कि रचना पूर्ण होते ही श्रीतुलसीदासजी ने सबसे पहले ये ग्रंथ शिवजी को अर्पित किया था। फिर इसे लेकर श्रीतुलसीदासजी काशी गए और यह पवित्र ग्रंथ भगवान श्री विश्वनाथजी के मंदिर में रख दिया था। यह भी माना जाता है कि अगले दिन प्रातः समय उस पवित्र ग्रंथ पर “सत्यं शिवं सुंदरम” लिखा हुआ था।

मान्यता: श्रीराम और हनुमानजी ने दिए थे तुलसीदासजी को दर्शन

ऐसी मान्यता है कि श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी को भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त श्रीहनुमानजी ने दर्शन दिए थे। जब श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी तीर्थ यात्रा पर काशी गए तो लगातार राम नाम जप करते ही रहे। इसके बाद श्रीहनुमानजी ने उन्हें दर्शन दिए थे। इसके बाद उन्होंने श्रीहनुमानजी से भगवान श्रीजी के शुभ दर्शनों हेतु प्रार्थना करी थी। श्रीहनुमानजी ने तुलसीदाजी के बताया था कि आपको चित्रकूट में श्रीराम के दर्शन प्राप्त होंगे। इसके बाद मौनी अमावस्या पर्व पर श्रीगोस्वामी तुलसीदासजी को चित्रकूट में भगवान श्रीरामचंद्र जी के दर्शन हुए थे।

श्री हनुमान चालीसा से संबंधित कुछ विशिष्ट प्रश्न एवम उत्तर।

1. हनुमान चालीसा का पाठ हमें कितनी बार करना चाहिए?

श्रीहनुमान चालीसा के पाठ का सर्वोत्तम फल प्राप्त करने के लिए दैनिक शुद्धि पश्चात केवल तांब्र पात्र के जल को ग्रहण करके लगातार 108 पाठ करें।

2. श्रीहनुमान चालीसा के संकल्पित पाठ का उद्यापन कैसे करना चाहिए?

11 बार श्रीहनुमान चालीसा का सूक्ष्म हवन करने के पश्चात मीठे का हनुमान मंदिर में भोग लगाएं और छोटे बच्चों, बंदरों, लंगूरों या किन्हीं भी पशु-पक्षिओं में बांटें।

3. संकल्पित पाठ पश्चात क्या नित्य भी हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए?

संकल्पित पाठ पश्चात नित्य 1/3/5/7/9/11 पाठ लगातार 108 दिन अवश्य करना चाहिए। इसके समापन पर किसी भी उद्यापन की आवश्यकता नहीं हैं।

4. संकल्पित श्रीहनुमान चालीसा का पाठ किस दिन से प्रारंभ करना शुभ रहेगा?

संकल्पित श्रीहनुमान चालीसा का पाठ सुबह की संध्या के समय मंगलवार, गुरुवार, शनिवार के दिन ही प्रारंभ करना अति शुभ और लाभकारी रहेगा।

5. क्या स्त्रियां भी संकल्पित या सामान्य रूप में श्रीहनुमान चालीसा का पाठ कर सकती हैं?

संकल्पित या सामान्य रूप में अपने सामान्य दिनों में स्त्रियां श्री हनुमान जी को परमेश्वर ब्रह्म रूप में या सदगुरु रूप में मानते हुए श्रीहनुमान चालीसा का पाठ अवश्य कर सकती हैं।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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Can women also recite Shri Hanuman Chalisa?(Hindi & English)

Shri Hanuman Chalisa: A Brief Description

Shri Hanuman Chalisa is a unique poetic work written in Awadhi language. In this devotional work, the qualities, works and service of Shri Hanuman, the supreme and great devotee of Lord Shri Ramchandraji, have been described through forty quatrains. Its author is Shri Goswami Tulsidas ji, an ardent devotee of Lord Shri Ramchandraji Maharaj.

Shri Goswami Tulsidasji: Biography

Every year, all of us devotees celebrate the birth anniversary of Shri Goswami Tulsidasji on the seventh day of the auspicious Shukla Paksha of the auspicious month of Sawan. Shri Goswami Tulsidasji was born in the year 1554 in Rajapur village of the holy Chitrakoot district of Uttar Pradesh. In this village itself is the Shri Ramcharit Manas temple, where Shri Goswami Tulsidasji wrote this book in just 966 days. Shri Goswami Tulsidasji left this human body in Samvat 1680 and merged in the service of the holy feet of Lord Shri Ramchandraji Maharaj.

Shri Goswami Tulsidasji: A special revered devotee

It is also said that even immediately after his birth, Shri Goswami Tulsidasji did not cry, but instead of natural crying, the most beloved word of Lord Shri Samb Sadashiv, ‘Ram’ came out of his mouth. Due to this divine play, Shri Goswami Tulsidasji’s name in childhood was Rambola. It is also said by devotees that Shri Goswami Tulsidasji had thirty-two teeth from birth.

Life of Shri Goswami Tulsidasji

Shortly after the birth of Shri Goswami Tulsidasji, his mother Hulsi Devi died. His father’s name was Shri Atmaram. From his childhood itself, Shri Goswami Tulsidasji (child Rambola) started living under the shelter of saints and scholars. After some time Baba Shri Narhari Ji gave him the name Tulsidas. Baba Shri Narhari Ji is considered to be the Guru of Shri Goswami Tulsidas Ji. Tulsidas Ji was married to Devi Ratnavali. Shortly after the marriage, he got separated from his wife and got absorbed in the devotion of Lord Shri Ram Ji.

Shri Goswami Tulsidas Ji had written many unique scriptures in his 111 years of life. Among these Shri Ramcharit Manas Ji is the most famous. Reading the Sundarkand of this divine scripture is a regular routine of many devotees. Vinay Patrika and Shri Hanuman Chalisa were also written by Shri Goswami Tulsidas.

Source of inspiration for writing Shri Hanuman Chalisa

Shri Ramcharit Manas was written at the behest of Lord Shri Mahadevji. It is believed that Lord Shiva had ordered Shri Goswami Tulsidasji through a dream to compose poetry in his mother tongue. With my blessings, your composition will be as fruitful as the Tritya Veda Shri Samveda. Tulsidasji woke up after seeing this dream. Some time later, on the auspicious day of Shri Ramnavami in Samvat 1631, the same situation was created as was there during the auspicious incarnation of Lord Shri Ramchandraji in Treta Yug. Tulsidasji started writing Shri Ramcharitmanas in the morning on that day.

Shri Goswami Tulsidasji wrote it in just 966 days

Shri Goswami Tulsidasji started writing Shri Ramcharit Manasji in Samvat 1631. This holy book was completed on the auspicious Panchami date of Shukla Paksha of the month of Aghan in Samvat 1633. That is, it took 2 years, 7 months and 26 days to complete it. It is also said that as soon as the composition was completed, Tulsidasji first offered this book to Lord Shiva. Then Tulsidasji went to Kashi with it and placed this holy book in the temple of Lord Vishwanathji. It is also believed that the next day in the morning, “Satyam Shivam Sundaram” was written on that holy book.

Belief: Shri Ram and Hanumanji had given darshan to Tulsidasji

It is believed that Lord Shri Ram and his supreme devotee Shri Hanumanji had given darshan to Shri Goswami Tulsidasji. When Shri Goswami Tulsidasji went to Kashi on pilgrimage, he kept chanting the name of Ram continuously. After this, Shri Hanumanji gave him darshan. After this, he prayed to Shri Hanumanji for the auspicious darshan of Lord Shreeji. Shri Hanumanji had told Tulsidasji that you will get the darshan of Shri Ram in Chitrakoot. After this, on the occasion of Mauni Amavasya festival, Sri Goswami Tulsidasji had the darshan of Lord Shri Ramchandra in Chitrakoot.

Some specific questions and answers related to Shri Hanuman Chalisa.

1. How many times should we recite Hanuman Chalisa?

To get the best results of reciting Shri Hanuman Chalisa, after daily purification, take only water from a copper vessel and recite it 108 times continuously.

2. How should the Udyaapan of Sankalpit Paath of Shri Hanuman Chalisa be done?

After performing subtle havan of Shri Hanuman Chalisa 11 times, offer sweets in Hanuman temple and distribute it among small children, monkeys, langurs or any animals and birds.

3. Should Hanuman Chalisa be recited daily after Sankalpit Paath?

After Sankalpit Paath, 1/3/5/7/9/11 recitations should be done daily for 108 days continuously. There is no need for any Udyaapan on its completion.

4. From which day will it be auspicious to start the recitation of Sankalpit Shri Hanuman Chalisa?

It will be very auspicious and beneficial to start the recitation of Sankalpit Shree Hanuman Chalisa in the morning and evening on Tuesday, Thursday and Saturday.

5. Can women also recite Shree Hanuman Chalisa in Sankalpit or normal form?

Women can certainly recite Shree Hanuman Chalisa in Sankalpit or normal form on their normal days by considering Shree Hanuman Ji as Parameshwar Brahma or as Sadguru.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

-Guru SatyaRam

हमारे देश का नाम “भारत” ही क्यों हैं?(Hindi & English)

हमारे देश का नाम “भारत” ही क्यों हैं?(Hindi & English)

हमारे प्यारे देश के नाम भारत में,”भारत” शब्द के उद्भव के कई कारण बताये गए हैं। “भा” संस्कृत में ज्ञान का द्योतक है। जो ज्ञान में रत है वह भारत कहलाता है। हमारे देश में प्रारम्भ से ही ज्ञान की खोज और “अज्ञात” के प्रति शोध-अनुसन्धान की प्रथा रही है। वस्तुतः हमारा देश ज्ञानियों और ऋषि-मुनियों का देश है। जिनकी प्रकांड मेधा से भारत सदा से ही “विश्व” गुरू के पद पर शोभित रहा है। जिनके ज्ञान के प्रकाश से हमारी भारतीय संस्कृति जगमगाती रही है।

हमारी भारतीय संस्कृति में तीन भरत हुए हैं। पहले हुए हैं जड़ भरत जिन्होंने रहूगन को ज्ञान दिया था। वे ज्ञान के प्रतीक एवं ज्ञान योग के सूचक हैं।

दूसरे भरत हुए हैं इक्ष्वाकु वंश के सम्राट दशरथ जी के पुत्र भरत, जिन्होंने अपना सर्वस्व प्रभु श्रीराम जी की भक्ति में अर्पित कर दिया। वे भक्ति की प्रतिमूर्ति हैं अतः वे भक्ति योग के द्योतक हैं।

तीसरे भरत हुए थे देवी शकुंतला एवं श्री चन्द्रवंशी दुष्यंत के पुत्र भरत, जिन्होंने अपने पराक्रम से पूरे विश्व पर विजय पायी थी। वे कर्म पर विश्वास रखते थे इसलिए वे कर्मयोग के प्रवर्तक हैं।

हमारे इस प्यारे देश का नाम भारत तीनो के सामंजस्य से हुआ है। अर्थात हमारा देश कर्म योग, भक्ति योग एवं ज्ञान योग का मिश्रण है जो विश्व में अन्य किसी भी देश को प्राप्त नहीं है।

भारत देश की मिटटी में एक सौंधी सुगन्ध होती है ,वह सुगन्ध किसी और देश में नही पाई जाती है। यह खुशबु ज्ञान की है, यह सुगन्ध हजारों वर्षों से चली आ रही हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत की है।

हमें गर्व है कि हम भारत देश के वासी हैं। हम भारतीय हैं। इंडिया शब्द अंग्रेजों(ब्रिटिश) का दिया हुआ है जोकि पूर्णतः केवल गुलामी का ही सूचक है। हिंदुस्तान भी विदेशियों की देन है। हमें इंडिया एवं हिंदुस्तान छोड़ कर भारत को अपनाना होगा।आइए हम संकल्प करें कि हम सभी देशवासी केवल भारतीय बनें, इंडियन नहीं। जय भारत।

– एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Why is our country named “Bharat”?(Hindi & English)

There are many reasons given for the origin of the word “Bharat” in the name of our beloved country, Bharat. “Bha” in Sanskrit signifies knowledge. One who is absorbed in knowledge is called Bharat. In our country, there has been a tradition of seeking knowledge and research on the “unknown” since the beginning. In fact, our country is a country of learned people and sages. Due to their immense intellect, India has always been adorned with the position of “world” guru. Our Indian culture has been shining with the light of their knowledge.

There have been three Bharats in our Indian culture. The first was Jad Bharat who imparted knowledge to Rahugan. He is the symbol of knowledge and the indicator of Gyan Yoga.

The second Bharat was Bharat, son of Emperor Dasharath of Ikshwaku dynasty, who dedicated his entire being to the devotion of Lord Shri Ram. He is the embodiment of devotion, hence he is the indicator of Bhakti Yoga.

The third Bharat was the son of Goddess Shakuntala and Shri Chandravanshi Dushyant, who conquered the whole world with his valour. He believed in karma, hence he is the originator of Karma Yoga.

The name of our beloved country Bharat is derived from the harmony of all three. That is, our country is a mixture of Karma Yoga, Bhakti Yoga and Gyan Yoga, which no other country in the world has.

The soil of India has a sweet fragrance, that fragrance is not found in any other country. This fragrance is of knowledge, this fragrance is of our glorious cultural heritage that has been going on for thousands of years.

We are proud that we are residents of India. We are Indians. The word India has been given by the British, which is completely indicative of slavery. Hindustan is also a gift of foreigners. We have to leave India and Hindustan and adopt Bharat. Let us pledge that all of us countrymen should become only Indians, not Indians. Jai Bharat.

– Astro Richa Shrivastava

शनि का छाया-पात्र का दान क्या होता है?(Hindi & English) 

शनि का छाया-पात्र का दान क्या होता है?(Hindi & English)

Om-Shiva

भगवान शनिदेव का भारतीय सनातनी ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही विशिष्ट महत्व माना जाता है। शनिदेव को उनके इष्ट एवम गुरुदेव भगवान श्री सांब सदाशिव ने न्याय की पदवी पर विराजमान कराया है, इसलिए ही शनिदेव को उत्तम न्याय का देवता माना जाता है। न्यायधीश भगवान शनिदेव इस मृत्युलोक के सभी जातकों को उनके कर्मों के आधार पर शुभ/अशुभ फल प्रदान करते हैं। भगवान शनिदेव को जो दंडाधिकारी का पद प्राप्त है उसके चलते सभी के हृदय में शनिदेव के प्रति एक भय भी बना रहता है और महादेव की आज्ञा अनुसार शनिदेव अपने इस उत्तम धर्म की पालना हेतु कभी भी पीछे नहीं हटते हैं।

भगवान शनिदेव केवल कर्मों के अनुसार ही जातक के जीवन को उठाने हेतु न्याय करने के उपरांत उत्तम फल प्रदान करते हैं। इसलिए बुरे कर्म करने वालों को बुरा फल और अच्छे कर्म करने वालों को अच्छा फल सदा से मिलता आया है और आगे भी मिलता ही रहेगा। ऐसी स्पष्ट मान्यता है कि शनिदेव की सीधी क्रूर द्दष्टि अगर किसी पर पड़ जाए तो जातक के जीवन में संघर्ष के रूप में कई तरह के कष्ट एवम परेशानियां आना शुरू हो जाती हैं।

वहीं दूसरी तरफ अगर भगवान शनिदेव की सीधी शुभ दृष्टि अगर किसी जातक पर पड़ जाए तो जातक का रंक से राजा बनना अटल हो जाता है। प्रायः भगवान शनिदेव के स्वाभाविक गोचरीय वयवस्था अनुसार चलायमान शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या से लगभग सभी जातक बहुत ही परेशान होकर अपने-अपने जीवन में संघर्षों को अनुभव करते हैं।

लेकिन भगवान शनिदेव की कृपा जब बरसती है तो जातक राजाओं जैसा जीवन व्यतीत करता हैं। शनिदेव का छाया पात्र का दान भी शनिदेव की कृपा प्राप्ति का अति सर्वोत्तम उपाय माना जाता है। आइए अब जानते हैं कि शनिदेव का छाया पात्र का दान क्या होता है और कैसे इस उपाय से हमारे जीवन में सुखों की बढ़ोत्तरी होती है?

01. शनि का छाया-पात्र का दान क्या होता है?

शनि ग्रह की अतिरिक्त ऊर्जा जब प्रारब्ध के आधार पर या सामान्य साढ़ेसती के आधार पर या जन्म कुंडली में शनिदेव के विराजने के आधार पर जब अधिक बढ़ जाती है तब शनिदेव के प्रभाव को कम करने के लिए, उनसे क्षमा मांगने के लिए काले तिल, सरसों का तेल और लौह पात्र का दान किया जाता है उसे ही शनि का छाया-पात्र का दान कहते हैं।

02. शनि का छाया-पात्र का दान कैसे और किस दिन किया जाता है?

किसी भी गुरुवार/शनिवार को एक लौह पात्र में थोड़े काले तिल डालकर, सरसों का तेल डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े होकर पात्र में अपना प्रतिबिंब देखने के पश्चात केवल शनिदेव के मंदिर में ही पात्र समेत दान दिया जाना चाहिए।

03. शनि का छाया-पात्र का दान किसको देना चाहिए?

शनिदेव के छाया पात्र का दान या शनिग्रह से संबंधित कोई भी दान केवल शनिदेव के मंदिर में ही दिया जाना चाहिए।

04. शनि का छाया-पात्र का दान किन जातकों को करना चाहिए?

1a. जिनको भी संतान से कष्ट हो, संतान न हो, मुकदमे चल रहे हो, पैरों में अधिक दर्द रहता हो या रीढ़ की हड्डी प्रभावित रहती हो या उनकी जन्म राशि पर साढ़ेसती चल रही हो। उन्हें छाया पात्र का दान 11 गुरुवार/शनिवार अवश्य करना चाहिए।

 

2b. जिनकी लग्न कुंडली में शनिदेव अगर 1,2,5,7,9 भाव में विराजे हुए हों तो जब आपकी जन्म राशि पर साढ़ेसती आयेगी तो ऐसे जातकों को उस दौरान प्रत्येक वर्ष 11 गुरुवार/शनिवार लगातार छाया पात्र का दान अवश्य करना चाहिए।

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

– गुरु सत्यराम

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What is the donation of Shani’s Chhaya-Patra?(Hindi & English)

Om-Shiva

Lord Shani Dev is considered to have a very special significance in Indian Sanatani astrology. Shani Dev has been placed on the position of justice by his Ishta and Gurudev Lord Shri Samb Sadashiv, that is why Shani Dev is considered to be the god of good justice. The judge Lord Shani Dev gives auspicious/inauspicious results to all the people of this mortal world on the basis of their deeds. Due to the position of a magistrate that Lord Shani Dev has, there is a fear of Shani Dev in everyone’s heart and as per Mahadev’s orders, Shani Dev never steps back from following this great religion of his.

Lord Shani Dev gives good results only after doing justice to uplift the life of the person according to their deeds. That is why people who do bad deeds have always got bad results and people who do good deeds have always got good results and will continue to get them in future too. There is a clear belief that if Shanidev’s direct cruel sight falls on someone, then many kinds of troubles and problems start coming in the form of struggle in the life of the person.

On the other hand, if Lord Shanidev’s direct auspicious sight falls on a person, then it becomes certain that the person becomes a king from a pauper. Usually, according to the natural transitory system of Lord Shanidev, almost all the people get very troubled by the moving Saturn’s Sadesati and Shani’s Dhaiyya and experience struggles in their lives.

But when Lord Shanidev’s blessings are showered, then the person lives a life like kings. Donation of Shanidev’s Chhaya Patra is also considered to be the best way to get Shanidev’s blessings. Let us now know what is the donation of Shanidev’s Chhaya Patra and how does this remedy increase happiness in our life?

01. What is the donation of Shani’s Chhaya Patra?

When the excess energy of Saturn increases on the basis of destiny or general sadhesati or presence of Shanidev in the birth chart, then to reduce the effect of Shanidev, to ask forgiveness from him, donation of black sesame seeds, mustard oil and iron vessel is done, this is called donation of Shani’s Chhaya-patra.

02. How and on which day is the donation of Shani’s Chhaya-patra done?

On any Thursday / Saturday, put some black sesame seeds, mustard oil in an iron vessel, stand under a peepal tree and see your reflection in the vessel, after which the donation should be done along with the vessel only in Shanidev’s temple.

03. To whom should Shani’s Chhaya-patra be donated?

Donation of Shanidev’s Chhaya-patra or any donation related to Shanigraha should be given only in Shanidev’s temple.

04. To whom should Shani’s Chhaya-patra be donated?

1a. Those who are facing problems with their children, do not have children, have ongoing court cases, have pain in their legs, their spine is affected or their birth sign is under Sadesati, they must donate Chhaya Patra on 11 Thursdays/Saturdays.

2b. If Lord Shani is placed in 1,2,5,7,9th house in their Lagna Kundali, then when Sadesati comes on your birth sign, such people must donate Chhaya Patra on 11 Thursdays/Saturdays every year during that period.

Guru SatyaRam
Guru SatyaRam

-Guru SatyaRam

क्या होते हैं स्मार्त और वैष्णव?(Hindi & English)

आइए जानते हैं क्या होते हैं स्मार्त और वैष्णव??(Hindi & English)

प्रायः आप लोगों ने पंचांग, कैलेंडरों आदि में किसी पर्व(त्योहार) के व्रत, पूजन, आदि के सम्बंध में दो तिथियां देखी होंगी। एक वैष्णव लोगों के लिए, दूसरी तिथि स्मार्त लोगों के लिए। तो आइए, जानते हैं, कौन हैं ये वैष्णव और स्मार्त ?

स्मार्त

वेद, पुराण, श्रुति- स्मृति, को मानने वाले चारों वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र), गायत्री और पंच देवों, देवियों, देवताओं को मानने वाले ये सभी आस्तिक लोग स्मार्त कहलाते हैं। साधारण शब्दो मे कहा जाए तो आम सनातनी हिन्दू जनता जो अपनी गृहस्थी में रहते हुए ही अपने धर्म का पालन करती जो। इन लोगों को स्मार्तीय तिथियों में ही व्रत, उपवास, दान, यम, नियम करना चाहिए।

वैष्णव

वे धर्मपरायण लोग, जिन्होंने किसी प्रतिष्ठित वैष्णव सम्प्रदाय के गुरु से दीक्षा ग्रहण की हो, गले में श्री गुरुदेव द्वारा दी गई कंठी धारण की हो, तथा मस्तक एवं गले पर श्रीखंड चंदन या गोपी चंदन के तिलक, त्रिपुंड आदि के चिन्ह धारण करते हों, बिना लहसुन प्याज़ के शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हों, ऐसे भक्त जन वैष्णव कहलाते हैं।

वैष्णव जन के पर्व त्योहार की तिथि, स्मार्त जन के एक दिन बाद पड़ती है।

हमारे ग्रंथो में तिथि, मुहूर्त अनुसार ही व्रत, पूजन, उपवास, दान आदि का महत्व है। अतः दी गयी स्मार्त और वैष्णव तिथि अनुसार ही उपवास त्योंहार आदि करें तभी सुफल प्राप्त होगा।

– ज्योतिषाचार्य ऋचा श्रीवास्तव

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Let’s know what are Smarta and Vaishnava?(Hindi & English)

Usually you must have seen two dates in Panchang, calendars etc. related to fasting, worship etc. of any festival. One date is for Vaishnava people, the other date is for Smarta people. So let’s know, who are these Vaishnava and Smarta?

Smarta

All the four Varnas (Brahmin, Kshatriya, Vaishya, Shudra) who believe in Vedas, Puranas, Shruti-Smriti, all the believers who believe in Gayatri and Panch Devas, Goddesses, Gods are called Smarta. In simple words, the common Sanatani Hindu people who follow their religion while living in their household. These people should observe fasts, upvaas, daan, yama, niyam only on Smarta dates.

Vaishnav

Those religious people who have taken initiation from a Guru of a reputed Vaishnav Sect, wear the Kanthi given by Shri Gurudev around their neck, and wear the marks of Tilak, Tripund etc. of Shrikhand Chandan or Gopi Chandan on their forehead and neck, eat pure vegetarian food without garlic and onion, such devotees are called Vaishnavs.

The date of festivals of Vaishnav people falls one day after Smart people.

In our scriptures, fasting, worship, fasting, donation etc. are important according to the date and auspicious time. Therefore, observe fasts, festivals etc. according to the given Smart and Vaishnav dates. Only then will you get good results.

– Astrologer Richa Shrivastava