विजय का पर्व- विजयादशमी(दशहरा) 2024 (Hindi & English)
विजयादशमी या दशहरा का पर्व शारदीय नवरात्रि के ठीक बाद आश्विन मास की दशमी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे विजयादशमी इसलिए कहते हैं क्योंकि पौराणिक काल में भगवती दुर्गाजी ने नौ दिनों तक लगातार भीषण युद्ध करके महिषासुर का वध दशमी तिथि को किया था। साथ ही त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने भी भीषण संग्राम के बाद महाबली रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस तिथि को विजयादशमी कहते हैं। वैसे मुख्यतः विजयादशमी को श्रीरामजी की विजय से ही जोड़कर देखते हैं। भगवान श्रीराम को धर्म, सत्य, ज्ञान, और देवत्व का प्रतीक माना जाता है, जबकि रावण को अधर्म, असत्य, अहंकार और दानवत्व का प्रतीक माना जाता है।
इस प्रकार यह त्यौहार ज्ञान की अहंकार पर, सत्य की असत्य पर और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक माना जाता है। अपने कार्यों में सफलता की कामना रखने वाले लोगों को इस दिन दसों दिशाओं का पूजन करना चाहिए। इससे उनके मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं।
वर्ष 2024 में कब है विजयादशमी?
इस वर्ष 2024 में विजयादशमी का त्यौहार दिन शनिवार, 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
कब है पूजन का मुहूर्त?
विजया पूजन मुहूर्त- 14:05 से 14:50 तक (दोपहर)
अपरान्ह मुहूर्त- 13:16 से 15:25 तक (दोपहर)
दशमी तिथि के दिन किनका पूजन होता है?
इस दिन भगवती अपराजिता के साथ ही भगवती जया और विजया का पूजन किया जाता है। दशमी तिथि वाले दिन जब सूर्यास्त होने लगता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं, तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इसी मुहूर्त में भगवान श्रीराम ने विजया माता की आराधना कर दुष्ट रावण का वध किया था।
महाभारत काल में इसी मुहूर्त में अर्जुन ने शमी वृक्ष से गांडीव धनुष और अस्त्र-शस्त्र उतारकर अपने शरीर पर धारण किये थे और शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। इस पावन दिन पर आयुध या अस्त्र-शस्त्रों के साथ ही शमी वृक्ष के पूजन का भी विधान है। शमी वृक्ष को तेजस्विता और दृढ़ता का प्रतीक भी माना गया है। भविष्य पुराण में लिखा है कि यदि दशहरे के दिन व्यक्ति गंगाजल में खड़ा होकर गंगाजी की पूजा करता है और गंगा स्तोत्र को पढ़ता है तो उसके सभी पापकर्म मिट जाते हैं।
क्या है शमी वृक्ष के पूजन की पौराणिक कथा?
एक बार माता पार्वती ने शिवजी से विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन के विधान का संदर्भ जानना चाहा। तब शिवजी ने बताया कि पांडवों द्वारा जुए में राजपाट हार जाने के बाद दुर्योधन ने पांडवों के साथ 12 वर्ष तक वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास की शर्त रखी थी। यदि तेरहवें वर्ष उनका पता चल जाएगा तो उन्हें पुनः 12 वर्ष का वनवास भुगतना पड़ेगा। इस कारण अर्जुन ने क्षत्रिय वेश त्यागकर अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के पेड़ पर टांग दिए। और राजा विराट के राज्य में सेवाकार्य के लिए आ गए। जब उनके राज्य के गौवंश को हड़पने के लिए कुरु राजकुमारों नें हमला किया तो विराट नरेश के पुत्र उत्तर के साथ मिलकर उन्होंने शमी वृक्ष से गांडीव धनुष सहित अन्य अस्त्र-शस्त्र उतारकर पुनः धारण किये और युद्ध में विजयी हुए। उस दिन दशमी तिथि थी। उस एक वर्ष के अज्ञातवास के दौरान शमी के वृक्ष ने अर्जुन के अस्त्र-शस्त्रों की रक्षा की थी। तब उसे पूजनीय वृक्ष होने का वरदान मिला था। तब से दशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन का प्रचलन शुरू हुआ।
उपर्युक्त आलेख में मैंने विजयादशमी पर्व के विषय में एक संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करती हूँ आप सभी पाठको को मेरा ये प्रयास पसन्द आएगा।
धन्यवाद और आभार।
– ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव
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Festival of Victory – Vijayadashami (Dussehra) 2024 (Hindi & English)
The festival of Vijayadashami or Dussehra is celebrated with great pomp on the Dashami date of the month of Ashwin, just after Sharadiya Navratri. It is called Vijayadashami because in the ancient times, Bhagwati Durgaji killed Mahishasura on the Dashami date after a fierce battle for nine days. Also, in Treta Yuga, Lord Shri Ram also conquered Lanka by killing the mighty Ravana after a fierce battle. Therefore, this date is called Vijayadashami. By the way, Vijayadashami is mainly associated with the victory of Shri Ram. Lord Shri Ram is considered a symbol of religion, truth, knowledge, and divinity, while Ravana is considered a symbol of irreligion, untruth, ego and demonism.
Thus this festival is considered a symbol of the victory of knowledge over ego, truth over untruth and religion over unrighteousness. People who wish for success in their work should worship the ten directions on this day. This fulfills their desired tasks.
When is Vijayadashami in the year 2024?
This year in 2024, the festival of Vijayadashami will be celebrated on Saturday, October 12.
When is the auspicious time for worship?
Vijaya Pujan Muhurta – 14:05 to 14:50 (afternoon)
Afternoon Muhurta – 13:16 to 15:25 (afternoon)
Who is worshipped on Dashami Tithi?
On this day, along with Bhagwati Aparajita, Bhagwati Jaya and Vijaya are worshipped. On the day of Dashami Tithi, when the sun starts setting and some stars start appearing in the sky, then this period is called Vijay Muhurta. In this Muhurta, Lord Shri Ram killed the evil Ravana by worshiping Vijaya Mata.
In the Mahabharata period, in this Muhurta, Arjuna took down the Gandiva bow and weapons from the Shami tree and wore them on his body and conquered his enemies. On this holy day, there is a ritual of worshipping the Shami tree along with the weapons. The Shami tree is also considered a symbol of brilliance and perseverance. It is written in the Bhavishya Purana that if a person stands in the Ganga water on the day of Dussehra and worships Gangaji and reads the Ganga Stotra, then all his sins are erased.
What is the mythological story of worshipping the Shami tree?
Once Mother Parvati wanted to know the context of the ritual of worshipping the Shami tree on the day of Vijayadashami from Lord Shiva. Then Lord Shiva told that after the Pandavas lost the kingdom in gambling, Duryodhan had put a condition of 12 years of exile and one year of incognito with the Pandavas. If their whereabouts are known in the thirteenth year, then they will have to undergo 12 years of exile again. For this reason, Arjuna abandoned his Kshatriya attire and hung his weapons on a Shami tree. And came to serve in the kingdom of King Virat. When the Kuru princes attacked to usurp the cattle of his kingdom, then along with the son of King Virat, Uttara, he took down the Gandiva bow and other weapons from the Shami tree and wore them again and won the war. That day was Dashami Tithi. During that one year of exile, the Shami tree had protected Arjuna’s weapons. Then it was blessed to be a revered tree. Since then, the practice of worshipping the Shami tree on Dashami day started.
In the above article, I have tried to give a brief information about the Vijayadashami festival. I hope all the readers will like my effort.
Thanks and gratitude.
– Astro Richa Srivastava