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विजय का पर्व- विजयादशमी(दशहरा) 2024 (Hindi & English)

विजय का पर्व- विजयादशमी(दशहरा) 2024 (Hindi & English)

विजयादशमी या दशहरा का पर्व शारदीय नवरात्रि के ठीक बाद आश्विन मास की दशमी तिथि को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसे विजयादशमी इसलिए कहते हैं क्योंकि पौराणिक काल में भगवती दुर्गाजी ने नौ दिनों तक लगातार भीषण युद्ध करके महिषासुर का वध दशमी तिथि को किया था। साथ ही त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने भी भीषण संग्राम के बाद महाबली रावण का वध करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस तिथि को विजयादशमी कहते हैं। वैसे मुख्यतः विजयादशमी को श्रीरामजी की विजय से ही जोड़कर देखते हैं। भगवान श्रीराम को धर्म, सत्य, ज्ञान, और देवत्व का प्रतीक माना जाता है, जबकि रावण को अधर्म, असत्य, अहंकार और दानवत्व का प्रतीक माना जाता है।

इस प्रकार यह त्यौहार ज्ञान की अहंकार पर, सत्य की असत्य पर और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक माना जाता है। अपने कार्यों में सफलता की कामना रखने वाले लोगों को इस दिन दसों दिशाओं का पूजन करना चाहिए। इससे उनके मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं।

वर्ष 2024 में कब है विजयादशमी?

इस वर्ष 2024 में विजयादशमी का त्यौहार दिन शनिवार, 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

कब है पूजन का मुहूर्त?

विजया पूजन मुहूर्त- 14:05 से 14:50 तक (दोपहर)

अपरान्ह मुहूर्त- 13:16 से 15:25 तक (दोपहर)

दशमी तिथि के दिन किनका पूजन होता है?

इस दिन भगवती अपराजिता के साथ ही भगवती जया और विजया का पूजन किया जाता है। दशमी तिथि वाले दिन जब सूर्यास्त होने लगता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं, तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इसी मुहूर्त में भगवान श्रीराम ने विजया माता की आराधना कर दुष्ट रावण का वध किया था।

महाभारत काल में इसी मुहूर्त में अर्जुन ने शमी वृक्ष से गांडीव धनुष और अस्त्र-शस्त्र उतारकर अपने शरीर पर धारण किये थे और शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। इस पावन दिन पर आयुध या अस्त्र-शस्त्रों के साथ ही शमी वृक्ष के पूजन का भी विधान है। शमी वृक्ष को तेजस्विता और दृढ़ता का प्रतीक भी माना गया है। भविष्य पुराण में लिखा है कि यदि दशहरे के दिन व्यक्ति गंगाजल में खड़ा होकर गंगाजी की पूजा करता है और गंगा स्तोत्र को पढ़ता है तो उसके सभी पापकर्म मिट जाते हैं।

क्या है शमी वृक्ष के पूजन की पौराणिक कथा?

एक बार माता पार्वती ने शिवजी से विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन के विधान का संदर्भ जानना चाहा। तब शिवजी ने बताया कि पांडवों द्वारा जुए में राजपाट हार जाने के बाद दुर्योधन ने पांडवों के साथ 12 वर्ष तक वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास की शर्त रखी थी। यदि तेरहवें वर्ष उनका पता चल जाएगा तो उन्हें पुनः 12 वर्ष का वनवास भुगतना पड़ेगा। इस कारण अर्जुन ने क्षत्रिय वेश त्यागकर अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के पेड़ पर टांग दिए। और राजा विराट के राज्य में सेवाकार्य के लिए आ गए। जब उनके राज्य के गौवंश को हड़पने के लिए कुरु राजकुमारों नें हमला किया तो विराट नरेश के पुत्र उत्तर के साथ मिलकर उन्होंने शमी वृक्ष से गांडीव धनुष सहित अन्य अस्त्र-शस्त्र उतारकर पुनः धारण किये और युद्ध में विजयी हुए। उस दिन दशमी तिथि थी। उस एक वर्ष के अज्ञातवास के दौरान शमी के वृक्ष ने अर्जुन के अस्त्र-शस्त्रों की रक्षा की थी। तब उसे पूजनीय वृक्ष होने का वरदान मिला था। तब से दशमी के दिन शमी वृक्ष के पूजन का प्रचलन शुरू हुआ।

उपर्युक्त आलेख में मैंने विजयादशमी पर्व के विषय में एक संक्षिप्त जानकारी देने का प्रयास किया है। आशा करती हूँ आप सभी पाठको को मेरा ये प्रयास पसन्द आएगा।

धन्यवाद और आभार।

– ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Festival of Victory – Vijayadashami (Dussehra) 2024 (Hindi & English)

The festival of Vijayadashami or Dussehra is celebrated with great pomp on the Dashami date of the month of Ashwin, just after Sharadiya Navratri. It is called Vijayadashami because in the ancient times, Bhagwati Durgaji killed Mahishasura on the Dashami date after a fierce battle for nine days. Also, in Treta Yuga, Lord Shri Ram also conquered Lanka by killing the mighty Ravana after a fierce battle. Therefore, this date is called Vijayadashami. By the way, Vijayadashami is mainly associated with the victory of Shri Ram. Lord Shri Ram is considered a symbol of religion, truth, knowledge, and divinity, while Ravana is considered a symbol of irreligion, untruth, ego and demonism.

Thus this festival is considered a symbol of the victory of knowledge over ego, truth over untruth and religion over unrighteousness. People who wish for success in their work should worship the ten directions on this day. This fulfills their desired tasks.

When is Vijayadashami in the year 2024?

This year in 2024, the festival of Vijayadashami will be celebrated on Saturday, October 12.

When is the auspicious time for worship?

Vijaya Pujan Muhurta – 14:05 to 14:50 (afternoon)

Afternoon Muhurta – 13:16 to 15:25 (afternoon)

Who is worshipped on Dashami Tithi?

On this day, along with Bhagwati Aparajita, Bhagwati Jaya and Vijaya are worshipped. On the day of Dashami Tithi, when the sun starts setting and some stars start appearing in the sky, then this period is called Vijay Muhurta. In this Muhurta, Lord Shri Ram killed the evil Ravana by worshiping Vijaya Mata.

In the Mahabharata period, in this Muhurta, Arjuna took down the Gandiva bow and weapons from the Shami tree and wore them on his body and conquered his enemies. On this holy day, there is a ritual of worshipping the Shami tree along with the weapons. The Shami tree is also considered a symbol of brilliance and perseverance. It is written in the Bhavishya Purana that if a person stands in the Ganga water on the day of Dussehra and worships Gangaji and reads the Ganga Stotra, then all his sins are erased.

What is the mythological story of worshipping the Shami tree?

Once Mother Parvati wanted to know the context of the ritual of worshipping the Shami tree on the day of Vijayadashami from Lord Shiva. Then Lord Shiva told that after the Pandavas lost the kingdom in gambling, Duryodhan had put a condition of 12 years of exile and one year of incognito with the Pandavas. If their whereabouts are known in the thirteenth year, then they will have to undergo 12 years of exile again. For this reason, Arjuna abandoned his Kshatriya attire and hung his weapons on a Shami tree. And came to serve in the kingdom of King Virat. When the Kuru princes attacked to usurp the cattle of his kingdom, then along with the son of King Virat, Uttara, he took down the Gandiva bow and other weapons from the Shami tree and wore them again and won the war. That day was Dashami Tithi. During that one year of exile, the Shami tree had protected Arjuna’s weapons. Then it was blessed to be a revered tree. Since then, the practice of worshipping the Shami tree on Dashami day started.

In the above article, I have tried to give a brief information about the Vijayadashami festival. I hope all the readers will like my effort.

Thanks and gratitude.

– Astro Richa Srivastava

शारदीय नवरात्रि उत्सव 2024 (Hindi & English)

शारदीय नवरात्रि उत्सव 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva
नवरात्रि पर्व आद्या शक्ति भगवती माँ दुर्गा के प्रति आस्था और विश्वास प्रकट करने वाला पर्व है। नवरात्रि यूँ तो वर्ष में चार बार आती है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का अपना विशेष ही महत्व है। शारदीय नवरात्रि अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होती है। शारदीय नवरात्रि को मुख्यतः मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध और श्रीराम द्वारा रावण के वध से जोड़कर देखा जाता है। नवरात्रि के बाद दसवें दिन विजयादशमी का पर्व पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है।

वर्ष 2024 में कब है शारदीय नवरात्रि?

इस वर्ष नवरात्रि का शुभारंभ दिनांक 03 अक्टूबर 2024 को हो रहा है। और नवरात्रि का समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा।

शारदीय नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त कब है?

नवरात्रि में कलश या घट स्थापना का विशेष महत्व है। यह मंगलकलश नकारात्मकता दूर करके सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लाता है। इस बार घट स्थापना का मुहूर्त गुरुवार 03 अक्टूबर को प्रातः 06:17 मिनट से प्रातः 07:24 मिनट तक रहेगा। वैसे कई लोग अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं, जिसका मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12:33 मिनट तक रहेगा।

भगवती देवी का आगमन और वाहन

देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण और भागवत पुराण में उल्लेख है कि, महालया के दिन जब पितृगण वापस अपने लोक चले जाते हैं तब माँ दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी लोक पर आतीं हैं। प्रत्येक वर्ष जिस दिन नवरात्रि प्रारम्भ होती है, उस दिन के अनुसार हर बार माता अलग-अलग वाहनों पर आतीं हैं। माता का वाहन पूरे वर्ष के भविष्य की शुभता या अशुभता बताता है। इस वर्ष माता का वाहन डोली या पालकी है। इसे इतना शुभ नहीं माना जाता है। इससे देश दुनियां में अव्यवस्था, मन्दी, हिंसा, और महामारी के संकेत मिलते हैं।

माँ दुर्गा के नौ रूप और नवग्रहों का जुड़ाव

नवरात्रि में 09 अलग-अलग तिथियों में माँ के 09 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी पूजन अनुष्ठान में रंगों और नवग्रहों का विशेष महत्व होता है। देवी भागवत में उल्लेख है कि सम्पूर्ण सृष्टि की जननी, और पूरे ब्रह्मांड में संचारित ऊर्जा के केंद्र में यही माँ आद्या शक्ति ही हैं। और हमारे नवग्रह भी इन्ही शक्ति के 09 रूपों से संचालित होते हैं। आइये, हम जानते हैं कि देवी के विभिन्न रूपों की पूजा किस रंग के वस्त्र पहनकर की जाती है? और देवी के कौन से रूप के पूजन से किस ग्रह को अनुकूल बनाया जा सकता है?

01. शैलपुत्री- पर्वत राज हिमावन की पुत्री माँ पार्वती का यह मूल स्वरूप है। माँ के दाएं हांथ में त्रिशूल और बाएं हांथ में कमल पुष्प है। इनकी सवारी सिंह है। माँ शैलपुत्री की पूजा पीले रंग के वस्त्रों को पहनकर की जानी चाहिए। इनकी पूजा से मन के कारक चन्द्रमा को मजबूती मिलती है व चन्द्र जनित दोषों से मुक्ति मिलती है।

02. ब्रह्मचारिणी- माँ का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। माँ के दाएं हांथ में माला और बाएं हाँथ में कमण्डल है। इनका पूजन हरे रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए। ग्रहों के सेनापति मंगल पर इनका शासन होता है। अतः माता मंगल जनित दोषों का शमन करती हैं।

03. चन्द्रघण्टा- अति कांतिमय माँ चन्द्रघण्टा के गले मे घण्टे के आकार का चन्द्रमा सुशोभित होता है। इनकी ग्रे रंग के कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। माँ के पूजन से शुक्र सम्बन्धी दोष समाप्त होते हैं और परिवार में प्रेम, ऐश्वर्य, सुख-शान्ति वास करती है।

04. कूष्मांडा- माँ कूष्माण्डा को समस्त ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। माँ की आठ भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र, अमृत कलश और कमल सुशोभित होता है। नारंगी रंग के कपड़े धारण करके पूजा करने से माँ प्रसन्न होती हैं और ग्रहों के राजा सूर्य को बल प्रदान करती हैं, समाज मे मान, प्रतिष्ठा प्रदान करती हैं।

05. स्कंदमाता- शिव और पार्वती पुत्र स्कंद या भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में इनका पूजन होता है। माँ की पूजा सफेद रंग के वस्त्र पहनकर की जानी चाहिए। स्कंदमाता के पूजन से ज्ञान और विवेक के ग्रह बुध को बल मिलता है।

06. कात्यायनी- महिषासुर का वध करने हेतु माँ दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के घर कात्यायनी के रूप में जन्म लिया था। अष्ट भुजाओं वाली यें माता महिषासुरमर्दिनी कहलाती हैं। इनकी पूजा लाल रंग के वस्त्र पहनकर करनी चाहिए। अमृत स्वरूप गुरू ग्रह माँ के पूजन से प्रसन्न और शांत होते हैं।

07. कालरात्रि- माँ कालरात्रि का घोररूप सभी दुष्टों का सर्वनाश करने वाला है। इनके स्मरण मात्र से मनुष्य भयमुक्त होकर अभय और मोक्ष प्राप्त करता है। देवी का पूजन नीले रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए। माँ कालरात्रि शनिग्रह की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनके पूजन से शनिग्रह प्रसन्न होकर अपनी पीड़ा से मुक्त करते हैं।

08. महागौरी- कपूर के समान उज्ज्वल रंग वाली महागौरी का सुंदर एवम शांत रूप मनुष्यो के समस्त कष्टों को हरने वाला है। गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करके गुलाबी पुष्पों से पूजन करने पर माँ प्रसन्न होती हैं। इनकी पूजा से राहुग्रह शांत होकर जीवन में उन्नति प्रदान करते हैं।

09. सिद्धिदात्री- समस्त सिद्धियो की अधिष्ठात्री देवी माँ सिद्धिदात्री हैं। 04 भुजाओं वाली माँ कमल के आसन पर विराजती हैं। इन देवी का पूजन बैंगनी रंग के वस्त्र पहनकर करना चाहिए। अध्यात्म और मोक्ष प्रदान करने वाले केतुग्रह माँ सिद्धिदात्री की पूजन से प्रसन्न होते हैं।

उपर्युक्त आलेख में मैंने विशेष तौर पर नवग्रह और उनसे सम्बन्धित रंगों को देवी के नौ रूपों से जोड़कर विवेचन किया है। आशा करती हूँ आपको यह आलेख पसन्द आया होगा। कृपया कमेंट के ज़रिए अपनी राय अवश्य दें।

हार्दिक धन्यवाद और आभार। जय माता दी।

-एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Sharadiya Navratri Festival 2024 (Hindi & English)

Om-Shiva
Navratri festival is a festival expressing faith and belief in Aadya Shakti Bhagwati Maa Durga. Although Navratri comes four times a year, Chaitra and Sharadiya Navratri have their own special significance. Sharadiya Navratri starts from Ashwin Shukla Pratipada. Sharadiya Navratri is mainly associated with the killing of Mahishasura by Maa Durga and the killing of Ravana by Shri Ram. The festival of Vijayadashami is celebrated with great pomp all over India on the tenth day after Navratri.

When is Sharadiya Navratri in the year 2024?

This year Navratri is starting on 03 October 2024. And Navratri will end on Saturday 12 October.

When is Sharadiya Navratri Ghat Sthapana Muhurta?

Kalash or Ghat Sthapana has special significance in Navratri. This Mangalkalasha removes negativity and brings positive energy and auspiciousness. This time the auspicious time for Ghat establishment will be from 06:17 am to 07:24 am on Thursday, 03 October. However, many people can also do Ghat establishment in Abhijeet Muhurta, whose auspicious time will be from 11:46 am to 12:33 pm.

Arrival and vehicle of Bhagwati Devi

It is mentioned in Devi Bhagwat, Markandeya Purana and Bhagwat Purana that, on the day of Mahalaya, when the ancestors go back to their world, then Mother Durga comes to Earth with her family and Ganas. Every year, according to the day on which Navratri starts, Mother comes on different vehicles every time. Mother’s vehicle tells the auspiciousness or inauspiciousness of the future of the whole year. This year the vehicle of the Mother is Doli or Palki. It is not considered so auspicious. This indicates chaos, recession, violence, and epidemic in the country and the world.

Nine forms of Maa Durga and connection with Navgrahas

In Navratri, 9 different forms of Maa are worshipped on 9 different dates. It is said that colors and Navgrahas have special importance in any worship ritual. It is mentioned in Devi Bhagwat that this Maa Aadya Shakti is the mother of the whole creation, and the center of energy transmitted in the entire universe. And our Navgrahas are also operated by these 9 forms of Shakti. Come, let us know which color clothes are worn while worshipping different forms of the Goddess? And which planet can be made favorable by worshipping which form of the Goddess?

01. Shailputri- This is the original form of Maa Parvati, daughter of mountain king Himavan. Maa has a trident in her right hand and a lotus flower in her left hand. She rides a lion. Maa Shailputri should be worshipped wearing yellow clothes. Worshipping her strengthens the moon, the factor of mind, and liberates one from the defects caused by the moon.

02. Brahmacharini- The second form of the mother is Brahmacharini. The mother has a rosary in her right hand and a kamandalu in her left hand. She should be worshipped wearing green clothes. She rules over Mars, the commander of the planets. Hence, the mother removes the defects caused by Mars.

03. Chandraghanta- The bell-shaped moon adorns the neck of the extremely radiant mother Chandraghanta. She should be worshipped wearing grey clothes. Worshipping the mother ends the defects related to Venus and love, prosperity, happiness and peace reside in the family.

04. Kushmanda- Mother Kushmanda is said to be the presiding goddess of the entire universe. The eight arms of the mother are adorned with weapons, arms, Amrit Kalash and lotus. Wearing orange clothes pleases the Goddess and she gives strength to the Sun, the king of planets, and gives respect and prestige in the society.

05. Skandamata- She is worshipped as the mother of Shiva and Parvati’s son Skanda or Lord Kartikeya. The Goddess should be worshipped wearing white clothes. Worshipping Skandamata strengthens Mercury, the planet of knowledge and wisdom.

06. Katyayani- To kill Mahishasura, Goddess Durga was born as Katyayani in the house of sage Katyayan. She has eight arms and is known as Mahishasuramardini. She should be worshipped wearing red clothes. The planet Guru, which is the form of Amrit, becomes happy and calm by worshipping the Goddess.

07. Kaalratri- The fierce form of Goddess Kaalratri destroys all evildoers. Just by remembering her, a person becomes free from fear and attains abhay (fearlessness) and moksha (salvation). The Goddess should be worshipped wearing blue clothes. Maa Kalratri is the presiding goddess of Saturn. Saturn is pleased by worshipping her and relieves the person from his pain.

08. Mahagauri- The beautiful and calm form of Mahagauri, whose colour is as bright as camphor, removes all the troubles of human beings. The mother is pleased by wearing pink coloured clothes and worshipping with pink flowers. By worshipping her, Rahu becomes calm and gives progress in life.

09. Siddhidatri- The presiding goddess of all Siddhis is Maa Siddhidatri. The four-armed mother sits on a lotus seat. This goddess should be worshipped wearing purple coloured clothes. Ketu, which provides spirituality and salvation, is pleased by worshipping Maa Siddhidatri.

In the above article, I have specially discussed the nine planets and their related colours by connecting them with the nine forms of the goddess. I hope you liked this article. Please give your opinion through comments.

Heartfelt thanks and gratitude. Jai Mata Di.

-Astro Richa Shrivastava

एक दाम्पत्य जीवन में क्यों आती है दरार?(Hindi & English)

एक दाम्पत्य जीवन में क्यों आती है दरार?(Hindi & English)

Om-Shiva
हमारे भारतीय समाज में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है और विवाह केवल शारीरिक ही नहीं अपितु एक स्थाई मानसिक मिलन का भी द्योतक माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि विवाह की जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं, फिर धरती पर ईश्वर के आशीर्वाद से विवाह के बंधन में बंधती हैं। यदि भारतीय समाज मे विवाह एक पवित्र बंधन है, तो क्यों अधिकांश पति-पत्नी अपने दाम्पत्य जीवन में सुखी नहीं रह पाते हैं? आखिर क्यों इतनी कड़वाहट घुल जाती है कि बात अलगाव से लेकर तलाक तक पहुंच जाती है?

आइए हम इसका सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू खोजने का प्रयास करते हैं।

01. पति-पत्नी के बीच किसी तीसरे का हस्तक्षेप होना

एक सुखी विवाहित जोड़े के बीच किसी तीसरे का अत्यधिक हस्तक्षेप एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा है। स्त्री के ससुराल में यदि उसकी सास, ससुर, ननद या अन्य कोई भी सदस्य अगर बहुत अधिक हावी रहता है और पति या पत्नी को बहुत अधिक कंट्रोल करता है, तब दाम्पत्य जीवन में प्रेम की मिठास खत्म होकर कड़वाहट आने लगती है। यही बात पत्नी के मायके की तरफ से भी लागू होती है। पति या पत्नी स्वच्छन्द होकर कोई निर्णय नही ले पाते हैं, और ना ही अपने मन का कुछ कार्य कर पाते हैं। जिससे दोनों के मन में असन्तुष्टि का भाव उत्तपन्न हो जाता है तथा टकराव की स्थिति पैदा होने लग जाती है।

02. पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबंधों का होना

आजकल दाम्पत्य जीवन को लगभग समाप्त कर तलाक की दहलीज पर पहुंचा देने वाला यह एक प्रमुख कारण है। बढ़ती आधुनिकता, स्त्रियों की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता, सोशल मीडिया आदि के कारण अपने घर से बाहर स्त्री-पुरुषों को आपस में घुलने मिलने के अनेक अवसर मिलते हैं। आजकल घर के पर्दे से बाहर निकल कर स्त्रियां नौकरी कर रहीं हैं तथा अन्य सामाजिक कार्य भी कर रहीं हैं। ऐसे में उनका किसी पुरुष सहकर्मी के साथ अत्यंत घनिष्ठ हो जाना थोड़ा लाजिमी है। पुरुष भी घर से बाहर, आधुनिक और सजी संवरी महिलाओं को देखकर सहज ही आकर्षित हो जाते हैं। इस तरह उनमें सम्बन्ध स्थापित हो जाते हैं। जब ऐसे सम्बन्धों की भनक पति या पत्नी को लगती है तब दाम्पत्य जीवन विषैला हो उठता है।

03. लगातार एक दूसरे की उपेक्षा करते रहना

यह दाम्पत्य जीवन के लिए बड़ी खतरनाक स्थिति है। कहते हैं कि जो दम्पति एक दूसरे से लड़ झगड़ लेते हैं, अपनी बातें एक दूसरे को सुनाकर हल्के हो लेते हैं, उनमें फिर भी प्रेम बना रहता है। लेकिन अपने पार्टनर से उपेक्षित पति या पत्नी को अपना पूरा जीवन ही बोझ लगने लगता है। उनमें कम्युनिकेशन और तालमेल की कमी के कारण आपसी समझ नहीं बन पाती है, और वें एक ही छत के नीचे अजनबियों की तरह अपना नीरस जीवन व्यतीत करते हैं। यह परिस्थिति कई कारणों से उत्तपन्न हो सकती है। जैसे मनपसंद जीवनसाथी का नहीं मिलना, जीवनसाथी का उम्मीदों पर खरा नहीं उतरना, जीवनसाथी का दिल दूसरों के प्रति असंवेदनशील होना। जब उपेक्षा की स्थिति बनी रहेगी तो पति पत्नी के बीच प्रेम या स्नेह का रिश्ता पनप ही नहीं सकता है। एक निर्जीव वस्तु भी उपेक्षित होकर पड़े-पड़े सड़ जाती है या बिगड़ जाती है, तो फिर इंसानों का कहना ही क्या? अपने पार्टनर द्वारा करी जाने वाली सतत उपेक्षा जीवनसाथी को मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ देती है। वें बस पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए एक ही छत के नीचे दिखावे के लिए एकसाथ जीवन व्यतीत करते हैं।

04. अविश्वास और अनादर का रिश्तों में बढ़ना

कुछ पति या पत्नी स्वभावतः शक्की होते हैं। वें कुछ भी कार्य करें लेकिन एक दूसरे के ऊपर छोटी-छोटी बातों पर शक करते ही रहते हैं। एक दूसरे के मोबाइल को चेक करते रहना या सोशल मीडिया पर ताक झांक करते रहना एक आम सी बात हो गई है। आजकल तो फेसबुक और इंस्टाग्राम के पोस्ट के कारण पति-पत्नी में भयंकर झगड़े होना बिल्कुल आम बात हो गई है। इसके अलावा पति या पत्नी द्वारा छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे को नीचा दिखाना, एक दूसरे के मनोबल को तोड़ देता है। ऐसा अनेक बार देखा गया है कि पत्नी यदि अधिक प्रतिभाशाली हो और घर से बाहर जाकर अपनी पहचान बनाती है तो यह बात उसके पति को हजम नहीं हो पाती है। वह अपनी पत्नी को अनेक प्रतिबंध में बांधने की कोशिश करके उसे आगे नही बढ़ने देने की कोशिश में लगा रहता है। इसके पीछे असुरक्षा और ईर्ष्या की भावना भी छुपी हो सकती है। लेकिन यह बात पत्नी को चुभती रहती है, और वह अपने दाम्पत्य जीवन में कभी संतुष्ट नहीं हो पाती है। इसी प्रकार से पत्नी भी अपने पति की महिला मित्रों या महिला सह-कर्मियों को लेकर सदैव आशंकित बनी रहती है। पति के साथ गलत सम्बन्धों की कल्पना करके परेशान होती रहती है। यही परेशानी उसके व्यवहार में भी झलकती है। इस कारण से पति-पत्नी में क्लेश बना रहता है।

05. जीवन में काम के चलते अति व्यस्तता का होना

आज के आधुनिक युग में व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी स्वभाव के चलते अपने व्यवसाय या नौकरी में इतना अधिक व्यस्त हो जाता है कि अपने घर-परिवार और पत्नी के साथ एक क्वालिटी टाइम बिताने के लिए उसके पास वक्त ही नहीं हो पाता है। नौकरी हो या बिजनेस, पुरुष उत्तरोत्तर तरक्की करने की चाह में अपना सारा ध्यान उसी में लगा देता है। यह अति व्यस्तता घर के वातावरण को असंतुलित करके, घर के माहौल को ख़राब कर देती है। दिनभर का थका-हारा पति जब घर लौटता है तो घर में शांति और आराम को खोजता है। उसे पत्नी की साधारण बातें भी तंग करने वाली लगती हैं। जबकि दिनभर घर गृहस्थी के कार्यों में उलझी हुई पत्नी, अपने पति के साथ बैठकर प्रेम भरी बातें करना चाहती है।

इसके विपरीत हम देखें तो आजकल की आधुनिक नारियां घर से बाहर निकल कर कार्य कर रहीं हैं। आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की चाह में वें नौकरी और व्यवसाय को प्राथमिकता देती हैं। जबकि आज “औरत के घर संभालने और पुरुष को कमाने” की हमारी प्राचीन व्यवस्था टूटती जा रही है। नतीज़तन घरेलू व्यवस्था में असंतुलन पैदा हो रहा है। यहां मैं यह नहीं कह रही हूं कि स्त्रियों का घर के बाहर निकलकर काम काज करना अनुचित है, लेकिन यदि पति-पत्नी दोनों ही अति व्यस्त रहते हैं तो कहीं ना कहीं दोनों में मानसिक और शारीरिक दूरी बढ़नी शुरू हो जाती है। तब महत्वकांक्षा सर्वोपरि होने के कारण दाम्पत्य में दरार पड़नी शुरू हो जाती है।

06. झूठा फेमिनिज़्म और सोशल मीडिया का विस्तार होना

आजकल समाज में नारी सशक्तिकरण की आड़ में एक झूठे नारीवाद या फेमिनिज़्म की बाढ़ आई हुई है। हमारे क़ानून नें भी स्त्रियों को अनेक संवैधानिक अधिकार दे रखे हैं। आज की नारी अपने हक, अधिकारों के प्रति बहुत जागरूक हो गयी है। हालांकि हमारे भारतीय समाज में स्त्रियां त्याग, ममता और समझौते की मूर्ति कही जातीं हैं। उनको अधिकार देकर सशक्त बनाया गया, यह बिल्कुल सही बात है, क्योंकि अधिकांश मामलो में औरतें ही प्रताड़ित होती हैं और घरेलू हिंसा की शिकार होतीं हैं। लेकिन इस जागरूकता की आड़ में कुछ औरतें अपने प्रेम और समझौते वाले मूल स्वभाव को लगातार खोती जा रहीं हैं। वह पति और घर-परिवार की ज़रूरतों के बजाय अपने अधिकारों को अधिक प्राथमिकता देती हैं। छोटे-मोटे घरेलू बातों में भी लड़ने लगती हैं और अपने अधिकारों की मांग करती हैं। ऐसे में पति के साथ उनकी पटरी नहीं बैठ पाती और टकराव की स्थिति उतपन्न होती है।

आजकल यह भी देखा जाता है कि पति-पत्नी एक साथ बैठे रहने का बावजूद हाथ में पकड़े मोबाईल में ही मसरूफ रहते हैं। वें आपस में बातचीत करने के बजाय सोशल मीडिया की एक्टिविटी देखने में ही मशगूल रहते हैं। एक सर्वे के अनुसार आजकल मोबाइल फोन भी पति-पत्नी के बीच दूरियां पैदा करने में अहम भूमिका निभा रहा है।

उपर्युक्त आलेख में मैनें दाम्पत्य जीवन में आने वाली कड़वाहट और दरार के कुछ सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलू को उजागर करने की कोशिश करी है। में आशा करती हूँ कि मेरा यह आलेख आप सभी पाठकों को पसन्द आएगा। सुधी पाठक जन भी कमेंट के ज़रिए अपने विचार प्रकट कर सकतें हैं।

आभार एवम धन्यवाद।

-ऐस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव

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Why does a marital life fall apart? (Hindi & English)

Om-Shiva
In our Indian society, marriage is considered a bond of seven lives and marriage is not only considered a physical union but also a symbol of a permanent mental union. It is also said that marriage couples are made in heaven and then they get married on earth with the blessings of God. If marriage is a sacred bond in Indian society, then why most of the husbands and wives are not able to remain happy in their married life? Why does so much bitterness grow that the matter reaches from separation to divorce?

Let us try to find its social and psychological aspect.

01. Interference of a third person between husband and wife

Excessive interference of a third person between a happily married couple is a major social issue. If the mother-in-law, father-in-law, sister-in-law or any other member of the woman’s in-laws’ house dominates too much and controls the husband or wife too much, then the sweetness of love in married life ends and bitterness starts coming. The same thing applies to the wife’s parents’ side as well. The husband or wife are not able to take any decision freely, nor are they able to do anything of their choice. Due to which a feeling of dissatisfaction arises in the mind of both and a situation of conflict starts arising.

02. Husband or wife having extramarital affairs

Nowadays this is a major reason that almost ends the married life and brings it to the threshold of divorce. Due to increasing modernity, social and economic independence of women, social media etc., men and women get many opportunities to mingle with each other outside their homes. Nowadays women are working and doing other social work outside the curtain of the house. In such a situation, it is a bit natural for them to become very close to a male colleague. Men also get easily attracted to modern and well-dressed women outside the home. In this way, relationships are established between them. When the husband or wife gets a hint of such relationships, then the married life becomes poisonous.

03. Constantly ignoring each other

This is a very dangerous situation for married life. It is said that couples who fight with each other, lighten their minds by sharing their stories with each other, still love remains in them. But the husband or wife who is neglected by their partner starts feeling their whole life as a burden. Due to lack of communication and coordination, mutual understanding is not formed between them, and they live their monotonous life like strangers under the same roof. This situation can arise due to many reasons. Like not getting a life partner of your choice, the life partner not meeting expectations, the heart of the life partner being insensitive towards others. When the situation of neglect continues, the relationship of love or affection between husband and wife cannot flourish. Even an inanimate object rots or gets spoiled by being neglected, then what to say about humans? Constant neglect by one’s partner breaks the life partner psychologically. They live together under the same roof just for the sake of show to fulfill family responsibilities.

04. Mistrust and disrespect growing in relationships

Some husbands and wives are naturally suspicious. Whatever they do, they keep doubting each other on small matters. Checking each other’s mobile or peeping on social media has become a common thing. Nowadays, fierce fights between husband and wife have become quite common due to Facebook and Instagram posts. Apart from this, husband or wife belittling each other on small matters breaks each other’s morale. It has been seen many times that if the wife is more talented and goes out of the house and makes her mark, then her husband is unable to digest this. He keeps trying to bind his wife with many restrictions and does not let her move forward. Feelings of insecurity and jealousy may also be hidden behind this. But this thing keeps pricking the wife, and she is never satisfied in her married life. Similarly, a wife is always apprehensive about her husband’s female friends or female co-workers. She remains troubled by imagining wrong relations with her husband. This worry is reflected in her behaviour as well. Due to this, there is always a conflict between husband and wife.

05. Being overly busy in life due to work

In today’s modern era, a person becomes so busy in his business or job due to his overly ambitious nature that he does not have time to spend quality time with his family and wife. Be it a job or business, a man puts all his attention in it in the desire to progress. This overly busyness spoils the atmosphere of the house by making it unbalanced. When a husband returns home tired after a long day, he searches for peace and comfort in the house. He finds even the simple talks of his wife annoying. Whereas a wife, who is busy in household chores all day, wants to sit with her husband and have a loving conversation.

On the contrary, if we look at it, today’s modern women are working outside the house. In the desire to be financially independent, they give priority to job and business. Whereas today our ancient system of “woman managing the house and man earning” is breaking down. As a result, there is an imbalance in the domestic system. Here I am not saying that it is wrong for women to go out and work, but if both the husband and wife are very busy, then somewhere the mental and physical distance between them starts increasing. Then due to ambition being paramount, cracks start appearing in the marital life.

06. False feminism and expansion of social media

Nowadays, there is a flood of false feminism in the society under the guise of women empowerment. Our laws have also given many constitutional rights to women. Today’s women have become very aware of their rights. Although in our Indian society women are considered the epitome of sacrifice, affection and compromise. It is absolutely correct that they were empowered by giving them rights, because in most cases women are harassed and become victims of domestic violence. But under the guise of this awareness, some women are continuously losing their basic nature of love and compromise. They give more priority to their rights instead of the needs of their husband and family. They start fighting even on small domestic issues and demand their rights. In such a situation, they do not get along with their husband and a situation of conflict arises.

Nowadays it is also seen that despite sitting together, husband and wife are busy with the mobile in their hands. Instead of talking to each other, they are busy watching social media activities. According to a survey, nowadays mobile phone is also playing an important role in creating distance between husband and wife.

In the above article, I have tried to highlight some social and psychological aspects of bitterness and rift in married life. I hope that all of you readers will like this article of mine. Intelligent readers can also express their views through comments.

Gratitude and thanks.

-Astro Richa Srivastav